अंतराष्ट्रीय संगठन

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संयुक्त राष्ट्र संघ

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने में सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व में शांति के लिए कार्यरत रहना हैं।

इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के बाद हुई। वर्तमान में इसमे शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 हैं।

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संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास

संयुक्त राष्ट्र संघ से पूर्व, पहले विश्व युद्ध के बाद राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य किसी संभावित दूसरे विश्व युद्द को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ 1930 के दशक में दुनिया के युद्ध की तरफ़ बढ़ाव को रोकने में विफल रहा और 1946 में इसे भंग कर दिया गया. राष्ट्र संघ के ढांचे और उद्देश्यों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनाया. 1944 में अमरीका, ब्रिटेन, रूस और चीन ने वाशिंगटन में बैठक की और एक विश्व संस्था बनाने की रुपरेखा पर सहमत हो गए. इस रूपरेखा को आधार बना कर 1945 में पचास देशों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई. फिर 24 अक्टूबर, 1945 को घोषणापत्र की शर्तों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई.

  • UNO का मुख्य कार्यालय 1952 . में बनकर तैयार हुआ था यहां इसकी महासभा की प्रथम बैठक अक्टूबर 1952 . में आयोजित की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रथम बैठक 10 जनवरी, 1946 को लंदन में हुआ था।

  • सोवियत रूस के क्रीमिया प्रदेश की याल्टा नगर में 4 फरवरी 1944 . को ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल, सोवियत राष्ट्रपति स्टालिन तथा अमेरिका राष्ट्रपति रूजवेल्ट का एक शिखर सम्मेलन हुआ जिसमें सुरक्षा परिषद में मतदान प्रणाली पर निर्णय लिया।

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्य देशों की संख्या 51 थी। 26 जून, 1945 को अधिकार पत्र पर तो केवल 50 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे, बाद में इस पर हस्ताक्षर कर पोलैंड का 51 वां संस्थापक सदस्य देश बना था वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन) के सदस्य देशों की संख्या 193 है ।

  • नोट :- 11 जुलाई 2011 . को दक्षिणी सूडान को 193 वां देश बनाया गया ।

  • अंतराष्ट्रीय संगठन

    संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के संविधान चार्टर है जिसमें कुल 111 अनुच्छेद तथा 19 अध्याय हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारी भाषाएं अंग्रेजी एवं फ्रेंच हैं लेकिन इसकी अधिकृत अन्य 6 भाषाएं अंग्रेजी, फ्रेंच, चीनी, अरबी, रूसी तथा स्पेनिश है।

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प्रतीक चिन्ह

मूल प्रतीक चिन्ह सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन के लिए डिजाइन किया गया था। मामूली फेरदबदल के बाद 7 दिसम्बर, 1946 को उसे संयुक्त राष्ट्र का प्रतीक चिन्ह मान लिया गया।

इस डिजाइन में विश्वम के मानचित्र को जैतून की आड़ीतिरछी शाखाओं के चक्र में बांधा गया है। विश्व मानचित्र उत्तरी धु्रव पर केन्द्रित है और 7 डिग्री दक्षिण देशांतर तक विस्तारित है। इस तरह सभी देशों को दिखाया गया है और कोई केन्द्र में नहीं है, जो सभी देशों की बराबरी का प्रतीक है। जैतून की शाखाएं शांति की प्रतीक हैं। मूल रंग धुंधले नीले के ऊपर सुनहरा था और जल क्षेत्र सफेद थे।

ध्वज

संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक ध्वज को 20 अक्तूबर 1947 में अपनाया गया था। इसमें संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक प्रतीक चिन्ह को नीली पृष्ठ भूमि पर श्वेत रंग में दिखाया गया है। यह प्रतीक चिन्ह ध्वज के पूरी तरह केन्द्र में उसकी ऊंचाई का आधा हिस्सा है।

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संयुक्त राष्ट्र के चार उद्देश्य हैं:

(1) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संरक्षण

(2) देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास

(3) अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में सहयोग एवं मानव अधिकारों के प्रति सम्मान

(4) देशों की कार्रवाइयों के बीच तालमेल के केन्द्र के रूप में काम करना। इस प्रयास में 30 से अधिक संबद्ध संगठन सहयोग करते हैं। उन्हें मिलाकर संयुक्त राष्ट्र तंत्र बनता है और सबके अपनेअपने निश्चित कार्यक्षेत्र हैं।

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संयुक्त राष्ट्र के कार्य

  • संयुक्त राष्ट्र कोई विश्व सरकार नहीं है किन्तु यह अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के समाधान में मदद करने के लिए साधन प्रदान करता है और हम सबको प्रभावित करने वाले मामलों में नीतियां बनाता है। संयुक्त राष्ट्र एक ऐसा मंच है, जहां सभी देश मिलकर मानव अधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, समुद्र और आतंकवाद से संघर्ष जैसे क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय कानून जैसे विषयों पर चर्चा और विस्तृत विचारविमर्श करते हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून लागू कराते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र में बड़ेछोटे, अमीर और गरीब, भिन्नभिन्न राजनीतिक विचारधारा और सामाजिक प्रणालियों वाले सभी सदस्यों की आवाज सुनी जाती है और महासभा में फैसले लेने में मतदान का अधिकार होता है।
  • संयुक्त राष्ट्र तंत्र मानव अधिकारों के प्रति सम्मान बढ़ाने, गरीबी कम करने, रोगों से लड़ने और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करता है। संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय अभियानों के साथसाथ महिलाओं के प्रति हिंसा समाप्त कराने और प्राकृतिक पारिस्थितिकी को संरक्षण देने के प्रयासों का नेतृत्व करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियां दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के काम करती हैं। इनमें शरणार्थियों को सहायता देना, एड्स और मलेरिया से लड़ना, आहार उत्पादन बढ़ाना, सैनिकों को संरक्षण देना, सबके लिए शिक्षा को समर्थन देना और प्राकृतिक आपदाओं एवं सशस्त्र संघर्षों के बाद सहायता प्रदान करना शामिल है।

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संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग :

  • महासभा (general assembly)
  • सुरक्षा परिषद (security council)
  • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (economic and social council)
  • प्रन्यास परिषद (trusteeship)
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (international Court of Justice)
  • सचिवालय (Secretariat)अंतराष्ट्रीय संगठन

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महासभा (General Assembly)

  • महासभा (General Assembly) एक लोकतान्त्रिक संस्था है क्योंकि इसमें सभी राज्यों का समान प्रतिनिधित्व होता है। यह एक प्रकार से विश्व संसद की तरह है। यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचारविमर्श निकाय है जो मुक्त एवं उदार बातचीत के जरिये समस्याओं के समाधान ढूँढने का प्रयास करता है। यह विश्व का स्थायी मंच एवं बैठक कक्ष है। इसका गठन कुछ इस मान्यता पर आधारित है – “शब्दों से लड़ा जाने वाला युद्ध तलवारों से लड़े जाने वाले युद्ध से बेहतर है। ”

    • महासभा की अध्यक्षता एक महासचिव द्वारा की जाती है, जो सदस्य देशों एवं 21 उपअध्यक्षों के द्वारा चुने जाते हैं. इसमें सामान्य मुद्दों पर फैसला लेने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरुरत होती है।
    • सभा को संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र की परिधि में आने वाले तमाम मुद्दों पर बहस एवं अनुशंसा करने का अधिकार प्राप्त हैहालाँकि इसके फैसले को मानना सदस्य राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं है, तथापि उन फैसलों में विश्व जनमत की अभिव्यक्ति होती है.
    • महासभा राष्ट्रीय संसद की तरह कानून का निर्माण नहीं करती है फिर भी संयुक्त राष्ट्र में छोटेबड़े धनीनिर्धन और विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था वाले देशों के प्रतिनिधियों को अपनी बात करने और वोट देने का अधिकार प्राप्त होता है।
  • महासभा में कार्यों को करने हेतु कई प्रकार की समितियाँ हैं –
    • निःशस्त्रीकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा समिति
    • आर्थिक एवं वित्तीय समिति
    • सामाजिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक समिति
    • राजनीतिक एवं औपनिवेशक स्वतंत्रता समिति
    • प्रशासनिक एवं आयव्यय सम्बन्धी समिति

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    विधि समिति

    • महासभा की बैठक प्रतिवर्ष सितम्बर माह से होती है. इसी बैठक में विभिन्न अध्यक्ष और कई उपाध्यक्षों का निर्वाचन होता है। अनुच्छेद 18 के अनुसार महासभा में किसी भी देश के 5 से अधिक प्रतिनिधि नहीं होंगे।अंतराष्ट्रीय संगठन

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    सुरक्षा परिषद्

    • संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है। इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है। इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य हैइसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है। चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है।
    • ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है। अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है।
    • परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है. परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है। वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है।
    • वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है। महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं। आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है। उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था। संरचनासुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई। अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –
      1. 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
      2. 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
      3. 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
      4. 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से
      • चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है।
      • परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दोतिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 191 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था।
      • इसकी बैठक वर्षभर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता।अंतराष्ट्रीय संगठन

      3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC)

       

      • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, व्यापार, परिवहन एवं आर्थिक विकास जैसे आर्थिक मुद्दों और गरीबी एवं बेहतर आजीविका जैसे सामाजिक मुद्दों पर चर्चा का मंच है। यह देशों को इस बारे में समझौते करने में मदद देता है कि शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति कै से सुधारें, सार्वभौम अधिकारों तथा हर जगह लोगों की स्वतंत्रता के पालन और उनके प्रति सम्मान को कै से बढ़ावा दें।
      • क्रियाकलाप आर्थिक एक सामाजिक परिषद एक मुख्य अंग है।
      1. रहनसहन के ऊंचे स्तर, पूर्ण रोजगार और आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देती है।
      2. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान तलाशती हैं।
      3. अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक एवं शैक्षिक सहयोग में मदद करती है।
      4. मानव अधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं के लिए सर्वत्र सम्मान को प्रोत्साहित करती है।
      • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के पास इन मुद्दों पर अध्ययन करने या कराने और रिपोर्ट तैयार करने का अधिकार है। यह परिषद आर्थिक, सामाजिक एवं संबद्ध क्षेत्रों में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की तैयारी और आयोजन में शामिल होती है तथा इन सम्मेलनों की बाद की व्यावहारिक कार्रवाई से जुड़ी रहती है।
      • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के सदस्यों की संख्या 54 है, इसके सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।
        1. यह एक अस्थाई संस्था है, परंतु इसके एक तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष पद मुक्त होते हैं परंतु अवकाश ग्रहण करने वाला सदस्य पुनः निर्वाचित हो सकता है।
        2. परिषद में प्रत्येक सदस्य राज्य का एक ही प्रतिनिधि होता है इसमें निर्णय साधारण बहुमत से होता है।

      यह संयुक्त राष्ट्र की 14 विशिष्ट एजेंसियों, दस कार्यात्मक आयोगों और पाँच क्षेत्रीय आयोगों के कार्यों का समन्वय करता है, नौ संयुक्त राष्ट्र निधियों और कार्यक्रमों से रिपोर्ट प्राप्त करता है तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली व सदस्य राज्यों के लिये नीतिगत सिफारिशें जारी करता है।

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      आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के उद्देश्य

      • महासभा में संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए उत्तरदायी होना।
      • अंतराष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य संबंधी एवं शैक्षणिक विषयों पर रिपोर्ट तैयार करना तथा एवं अभिप्रस्ताव प्रस्तुत करना।
      • जाति, लिंग, भाषा, और धर्म का भेदभाव किए बिना मानव अधिकारों एवं मौलिक स्वाधीनता के लिए सम्मान भाव की अभिवृद्धि एवं सर्वत्र उनका पालन करना।
      • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की बैठक के वर्ष में दो बार: अप्रैल न्यूयॉर्क में तथा जुलाई में जिनेवा में होता हैं।अंतराष्ट्रीय संगठन

       

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      4. न्यास परिषद (Trusteeship Council)

      इसकी स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा अध्याय XIII के तहत की गई थी।

      • न्यास क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र के न्यास परिषद द्वारा एक प्रशासनिक प्राधिकरण के तहत रखा गया एक गैरस्वशासित क्षेत्र है।
      • लीग ऑफ नेशंस का अधिदेश प्रथम विश्व युद्ध के बाद कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण एक देश से दूसरे देश को स्थानांतरित करने का एक कानूनी उपकरण था जिसमें राष्ट्र संघ की ओर से क्षेत्र को प्रशासित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहमत शर्तें शामिल थीं।
      • संयुक्त राष्ट्र के न्यास क्षेत्र (Trust Territories) शेष राष्ट्रों में संघ अधिदेशों को लागू करने हेतु उत्तरदायी थे, और ये तब अस्तित्व में आए जब लीग ऑफ नेशंस का अस्तित्व वर्ष 1946 में समाप्त हो गया।
      • इसे 11 न्यास क्षेत्रों के लिये अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण प्रदान करना था जिन्हें सात सदस्य राज्यों के प्रशासन के तहत रखा गया था और साथ ही इन क्षेत्रों के स्वशासन एवं स्वतंत्रता हेतु पर्याप्त कदम उठाए गए थे।
      • वर्ष 1994 तक सभी न्यास क्षेत्रों ने स्वसरकार या स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी। न्यास परिषद ने 1 नवंबर, 1994 में संचालन बंद कर दिया।

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   5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (international Court of Justice)

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) संयुक्त राष्ट्र (UN) का प्रमुख न्यायिक अंग है। यह जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था और अप्रैल 1946 में काम करना शुरू किया।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

  • यह न्यायालय परमानेंट कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल जस्टिस (PCIJ) का ही नया रूप है जिसकी स्थापना 1920 में की गई थी। जो की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में बदल गई। पर आधिकारिक रूप से इस ICJ का कामकाज 1946 में शुरू किया गया।
  • इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच विवाद को मिटाना था।

इतिहास

  • 1899 में हुई Hegue Peace Conference द्वारा विवादों के समाधान हेतु सन 1900 में इंटरनेशनल कोर्ट फॉर आर्बिट्रेशन (International Court for Arbitration) की स्थापना की गई थी। इस संस्था ने साल 1902 से अपना कामकाज प्रारंभ किया था। और इसकी शुरुआत रसियन निकोलस द्वितीय द्वारा की गई।
  • इस कॉन्फ्रेंस में दुनिया भर अभी बड़े देशों को और कई छोटे के मुखिया शामिल किए गए थे। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में हुई पेरिस पीस कॉन्फ्रेंस के बाद बने लीग ऑफ नेशंस (league of nations) के बाद PCIJ की स्थापना हुई जिसने आगे चलकर ICJ का रूप लिया।

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अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य 

  • वर्तमान में ICJ में 15 न्यायधीशों की नियुक्ति होती है। जो की सभी न्यायधीश अलग अलग देशों से चयनित किए जाते है। इस न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल सामान्यतया 9 वर्ष तक का होता है। पूर्व में इस न्यायालय के सदस्य रहे न्यायाधीशों को पुनः भी नियुक्त किया जा सकता है। इन न्यायधीशों की नियुक्ति हर 3 वर्ष से की जाती है। 
  • ऐसे न्यायधीश जो पूर्व में ICJ के सदस्य रहे हो, उन पर अन्य अहम जिम्मेदारियां भी भविष्य में इस न्यायालय द्वारा रखी जा सकती है। विवादास्पद स्थिति में, यदि किसी न्यायधीश को ICJ से बर्खास्त करना हो तो ऐसे निर्णय सदस्य न्यायधीशों की टीम के बहुमत से लिया जाता है। 
  • ऐसे केस जिनमे इन सभी न्यायधीशों का मत अलग अलग हो, तो वे स्वतंत्र रूप से अपना निर्णय लिख सकते है। वे सभी न्यायाधीश जो इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य होते है, किसी अन्य पद पर नहीं रह सकते।
  • विशेष परिस्थितियों में वे देश भी अपने देश की तरफ से न्यायधीश नियुक्त कर सकते है, जिन देशों से न्यायधीशों की नियुक्ति नहीं होती हो, ताकि उन्हें भी अपना पक्ष रखने की पूर्ण स्वतंत्रता मिल सके एवम् वे खुद अपने को वंचित महसूस न करे।
  • न्यायालय की भूमिका अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, राज्यों द्वारा प्रस्तुत कानूनी विवादों को निपटाने और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा संदर्भित कानूनी प्रश्नों पर सलाहकार राय देने के लिए है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष सिर्फ वही विवाद आ सकते हैं जो कि राज्यों द्वारा स्वेच्छा से प्रस्तुत किए जाते हैं। राज्यों के निम्नांकित विवाद इस न्यायालय में प्रस्तुत किए जाते हैं
        • अन्तर्राष्ट्रीय कानून से सम्बन्धित विवाद का कोई भी प्रश्न ।
        • किसी समझौते या सन्धि का अर्थ स्पष्ट करना ।
        • अन्तर्राष्ट्रीय दायित्वों को भंग करने पर क्षतिपूर्ति निश्चित करना।
  • विवादों का समाधान अन्तर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अनेक पेचीदे मामलों को निपटाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध की है।

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6. सचिवालय (Secretariat council)

सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रशासनिक अंग है। जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा नेतृत्व होता है। इसकी स्थापना 1945 में की गई।

इसका मुख्यालय

  • मैनहैटन टापू, न्यूयॉर्क शहर, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य में है।

इसका प्रमुख कार्य

  • विभिन्न सूचनाओं को एकत्र करना और करना और उन्हें संकलित कर सदस्यों के विचारविमर्श हेतु उसके समक्ष प्रस्तुत करना है।

महासचिव

  • महासचिव का कर्तव्य अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाना, शांतिरक्षा कार्यों का प्रबंध करना, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करना, सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के कार्यान्वयन को जांचना और सदस्य सरकारों से बातचीत करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों के संबंध में यह वार्षिक तथा पूरक प्रतिवेदन महासभा में प्रस्तुत करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के वर्तमान (2018) अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस है।
  • महसभा द्वारा सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर 5 वर्षों के लिए महासचिव की नियुक्ति की जाती है। वह दुबारा भी चुना जा सकता है।
  • सचिवालय में लगभग 4000 कर्मचारी है ।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के नित्य प्रतिदिन कार्यों को करने के लिए एक सचिवालय है जिसमें लगभग 10000 कर्मचारी कार्य करते है।
  • सचिवालय का सबसे बड़ा अधिकारी महासचिव होता है।महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर महासभा द्वारा 5 वर्षों के लिए होती है। अंतराष्ट्रीय संगठन                                                                      

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