भारत के विश्व विरासत स्थल
विश्व धरोहर स्थल क्या है
पूरे विश्व में हजारों ऐसी जगहें है जिनका ऎतिहासिक, भौतिक या फिर सांस्कृतिक महत्त्व है| हमें ऐसी जगहों को सहेज कर रखने की जरुरत होती है। इसलिए प्रत्येक देश अपने प्रभाव क्षेत्र के तहत ऐसी जगहों को चिन्हित करता है| और उन्हें संरक्षित करता है।भारत के विश्व विरासत स्थल
इसके अतिरिक्त यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन (UNESCO) पूरे विश्व में ऐसी जगहों की पहचान करता है और उन्हें यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करता है।
एक ऐसा विशेष क्षेत्र या स्थान जिसकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के कारण उस स्थान का चयन विश्व विरासत स्थल समिति के द्वारा किया जाता है विश्व विरासत स्थल या विश्व धरोहर स्थल कहां जाता है तथा इन सभी स्थानों की देखरेख यूनेस्को के द्वारा किया जाता है यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित करने का मुख्य उद्देश्य ऐसे स्थलों का चयन और संरक्षण करना है जो वैश्विक संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण है ।
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल कोई भी जगह हो सकती है जैसे कि जंगल, झील, भवन, द्वीप, पहाड़, स्मारक, रेगिस्तान, या एक शहर जिसका एक विशेष भौतिक या सांस्कृतिक महत्व है।
8 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व विरासत दिवस का उद्देश्य–
स्मारकों, धरोहर स्थलों और मानव विरासत के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है|
भारत के विश्व विरासत स्थल
UNESCO क्या है
- यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन (UNESCO) जिसे यूनेस्को के रूप में जाना जाता है, एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विज्ञान, संस्कृति, शिक्षा और संचार के संबंध में देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए काम करता है।
- UNESCO का मुख्यालय पेरिस में स्थित है|
- यह संगठन संयुक्त राष्ट्र का एक हिस्सा है और विश्व स्तर पर शांति को बढ़ावा देता है।
- भारत में 40 विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Sites) स्थित हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित स्थल शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख में शामिल लगभग 3,691 स्मारकों को राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक (Monuments of National Importance) घोषित किया गया है।
भारत के विश्व विरासत स्थल
धरोहर के मुख्य प्रकार
- सांस्कृतिक धरोहर: इसमें भौतिक या कलाकृतियों जैसे मूर्त सांस्कृतिक धरोहर शामिल हैं। ये आम तौर पर चल और अचल धरोहर के दो समूहों में विभाजित होते हैं।
अचल धरोहर में इमारतें, ऐतिहासिक स्थान और स्मारक शामिल हैं।
चल धरोहर में ग्रंथ, दस्तावेज, चल कलाकृतियाँ, संगीत और ऐसी अन्य वस्तुएँ शामिल हैं जिन्हें भविष्य के लिये संरक्षण योग्य माना जाता है।
- प्राकृतिक धरोहर: इसमें वनस्पतियों एवं जीवों सहित ग्रामीण इलाके और प्राकृतिक पर्यावरण शामिल हैं।
प्राकृतिक धरोहर में सांस्कृतिक भूदृश्य भी शामिल हो सकते हैं (ऐसी प्राकृतिक स्थालाकृतियाँ जिनमें सांस्कृतिक विशेषताएँ हो सकती हैं)।
- अमूर्त धरोहर: इसमें किसी संस्कृति विशेष के गैर-भौतिक पहलू शामिल होते हैं, जिन्हें इतिहास में एक विशिष्ट अवधि के दौरान सामाजिक रीति-रिवाजों द्वारा बनाए रखा गया है।
इनमें सामाजिक मूल्य एवं परंपराएँ, रीति-रिवाज एवं प्रथाएं, सौंदर्यात्मक एवं आध्यात्मिक आस्थाएँ, कलात्मक अभिव्यक्ति, भाषा और मानव गतिविधि के अन्य पहलू शामिल हैं।
स्वाभाविक रूप से, भौतिक वस्तुओं की तुलना में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना अधिक कठिन है।
भारत के विश्व विरासत स्थल
विश्व विरासत स्थल हेतु मापदण्ड
किसी स्थान को विश्व विरासत स्थल का दर्जा देने के लिए विभिन्न श्रेणियों में दस मानक निर्धारित किए गए हैं , जिनके विवरण निम्न हैं –
- मानव इतिहास में महत्त्व
- सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप
- मानव रचनात्मक प्रतिभा
- असाधारण मानव निपटान
- घटनाएँ या सुन्दरता
- सार्वभौमिक महत्त्व की घटनाओं के साथ जुड़ाव
- मानव इतिहास में महत्त्व
- पृथ्वी के इतिहास के मंच से सम्बन्धित तथ्यों पर
- महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक एवं जैविक प्रक्रियाओं से सम्बधता
- जैव विविधता के महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आवास के सम्बधता
Earthquake भारत में भूकंप क्षेत्र:
भारत के विश्व विरासत स्थल
विश्व विरासत स्थल या विश्व धरोहर स्थल का महत्व
कोई भी स्थल जो मानवता के विकास एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है तथा जिसका सांस्कृतिक और भौतिक महत्त्व है उसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी जाती है यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों का काफी महत्व है ।
किसी व्यक्ति का अपनी धरोहर से जाने – अनजाने उसी प्रकार का संबंध होता है जैसे संबंध एक बच्चे का अपनी माँ से होता है। ये धरोहर हम मानवजाति का गौरव हैं और ये सभी धरोहर स्थल हमारे इतिहास-बोध को मज़बूत करते हैं ये धरोहर स्थल हमारी कला और संस्कृति की समृद्धि को दर्शाते है ।
इतना ही नहीं ये विरासत स्थल हमें विज्ञान , संस्कृति और तकनीक से भी रूबरू कराते हैं ये विरासत स्थल हम मानवजाति तथा प्रकृति के मध्य जटिल सबंधों को दर्शाता हैं और मानव सभ्यता की विकास की समृद्ध गाथा को भी दर्शाता है ।
क्रमांक | यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का नाम | जुड़ने का समय (Year) | स्थान (place) | विवरण (discription) |
महाराष्ट्र | ||||
1
| अजंता की गुफाएं (Ajanta Caves) | 1983 | औरंगाबाद, महाराष्ट्र | यह गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 29 चट्टानों को काटकर बौद्ध संस्कृति की गुफाएं है। इन गुफाओं की चित्रकला काफी प्रसिद्ध है। |
2 | एलोरा की गुफाएं (Ellora Caves) | 1983 | औरंगाबाद, महाराष्ट्र | यहां 12 बौद्ध, 17 हिंदू और 5 जैन गुफाएं है। इन गुफाओं की चित्रकला भी देखने योग्य है। |
3 | छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) (Chhatrapati Shivaji Terminus (formerly Victoria Terminus | 2004
| मुंबई, महाराष्ट्र
| यह रेलवे का मुख्यालय भी है पहले इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस था। |
4 | मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल (The Victorian and Art Deco Ensemble of Mumbai) | 2018 | मुंबई, महाराष्ट्र
| यह मुंबई में फोर्ट के पास इमरते है। |
5 | एलीफेंटा गुफाएं (Elephanta Caves) | 1987 | मुंबई, महाराष्ट्र | यह गुफाएं मुख्य थे हिंदू धर्म के देवी–देवताओं के चित्रों से भरी पड़ी है। |
उत्तर प्रदेश | ||||
6 | ताज महल (Taj Mahal)
| 1983
| आगरा, उत्तर प्रदेश
| इसका निर्माण भारत के मुगल शासक शाहजहा ने बनवाया था कहा जाता है की इसे उन्होंने अपनी 13वी पत्नी जो अपने 14वे बच्चे को जन्म दे रही थी और उनकी मृत्यु हो गई। |
7 | फतेहपुर सीकरी (Fatehpur Sikri | 1986 | आगरा, उत्तर प्रदेश | यहां सिकरवार राजपूत राजाओं की रियासत थी लेकिन बाद में मुगल शासको ने इसको कब्जे में लेकर अकबर ने इसे राजधानी बनाया |
8 | आगरा का किला
| 1983
| आगरा, उत्तर प्रदेश
| इस किले का निर्माण सिकरवार वंश के शासकों ने करवाया था 1080 ई. में मोहम्मद गजनवी ने इस किले पर कब्जा किया इसके प्रश्चात दिल्ली सल्तनत के प्रथम शासक मोहम्मद सिकंदर लोदी ने इस किले पर अपना आधिपत्य स्थापित किया |
ओडिशा | ||||
9 | सूर्य मंदिर कोर्णाक (Sun Temple, Konârak) | 1984 | कोर्णाक, ओडिशा | यह भारत के गिने चुने सूर्य मंदिरों में से एक है इसे बिरंचि–नारायण कहा जाता है की सूर्य की पहली किरण गर्भ गृह पर पढ़ती है। |
तमिलनाडु | ||||
10 | महाबलीपुरम में स्मारकों का समूह (Group of Monuments at Mahabalipuram) | 1984 | महाबलीपुरम, तमिल नाडु | यह एक शिव मंदिर है जिसमे गुफाएं भी है। जहां पत्थरों को काटकर स्थलाकृति बनाई गई है। |
11 | पश्चिमी घाट (Western Ghats) | 2012 | कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु, महाराष्ट्र | यह एक पर्वत श्रंखला है जोक 1600 किलोमीटर लंबी है जिसे सहयाद्री कहा जाता है। |
12 | महान जीवित चोल मंदिर (Great Living Chola Temples) | 1987 | बृहदेश्वर, तमिलनाडु | यह मंदिर चोल राजाओं द्वारा बनवाए गए हिंदू धर्म के मंदिर है। बॄहदेश्वर मन्दिर, तंजावुर गंगईकोंडा चोलीश्वरम का मन्दिर ऐरावतेश्वर मन्दिर, दारासुरम ये मंदिर है। |
असम | ||||
13 | काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (Kaziranga National Park) | 1985 | काजीरंगा, असम | 430 वर्ग किलोमीटर में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान में एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है। |
14 | मानस वन्यजीव अभयारण्य (Manas Wildlife Sanctuary) | 1985 | असम, भारत | हिमालय की तलहटी में ये अभ्यारण भूटान के पास है जिसमे एक सींग वाला गैंडा और भैसा प्रमुखत: पाया जाता है। |
गोवा | ||||
15 | गोवा के चर्च और कॉन्वेंट (Churches and Convents of Goa) | 1986 | गोवा, भारत | इन पर पुर्तगाली और फ्रांसिसी संस्कृति का असर दिखता है |
मध्य प्रदेश | ||||
16 | खजुराहो स्मारकों का समूह (Khajuraho Group of Monuments) | 1986 | छतरपुर, मध्यप्रदेश | यह हिंदू और जैन धर्म मानने वालो की स्मारक है जिसमे ज्यादातर मूर्तियां नग्न अवस्था में है। |
17 | भीमबेटका की गुफ़ाएं (Rock Shelters of Bhimbetka) | 2003 | रायसेन, मध्य | प्रदेश इसे पुरापाषाण और मध्य पाषाण काल का माना जाता है जिसमें आदि मानव द्वारा बनाए गए चित्र हैं। |
18 | सांची में बौद्ध स्मारक (Buddhist Monuments at Sanchi) | 1989 | सांची, मध्य प्रदेश, भारत | यहां का सांची का स्तूप विश्व प्रसिद्ध है। |
कर्नाटक | ||||
19 | हम्पी में स्मारकों का समूह (Group of Monuments at Hampi) | 1986 | विजयनगर, कर्नाटक | यह अब केवल खंडहरों के रूप में ही बचे है इसका निर्माण हिंदू राजाओं ने करवाया था। |
20 | पत्तदकल स्मारक परिसर (Group of Monuments at Pattadakal) | 1987 | पत्तदकल, कर्नाटक | इसे चालुक्य वंश के राजाओं ने बनवाया था। इसमें 10 मंदिर और एक जैन धर्मशाला भी मिलती है। |
पश्चिम बंगाल | ||||
21
| सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (Sundarbans National Park)
| 1987
| पश्चिमबंगाल, भारत
| गंगा नदी के डेल्टा पर बना यह राष्ट्रीय उद्यान राष्ट्रीय बाघ रिजर्व बायोस्फ़ीयर रिज़र्व है। इसमें रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते है। |
उत्तराखंड | ||||
22 | नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Nanda Devi and Valley of Flowers National Parks) | 1988
| उत्तराखंड, भारत
| इसके अनेक नाम है जिनमे पिंडर घाटी, फूलो का राष्ट्रीय उद्यान और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख है। |
दिल्ली | ||||
23 | हुमायूँ का मकबरा (Humayun’s Tomb) | 1993 | निज़ामुद्दीन पूर्व, नई दिल्ली, भारत | हुमायु की कब्र और शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह की कब्र भी यही है। |
24 | कुतुब मीनार और उसके स्मारक, दिल्ली (Qutb Minar and its Monuments, Delhi) | 1993 | महरौली, दक्षिणी दिल्ली | 72.5 मीटर ऊंची इस मीनार का निर्माण क़ुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, फीरोजशाह तुगलक ने करवाया था। |
25 | लाल किला परिसर Red Fort Complex) | 2007 | दिल्ली | इसका निर्माण नई राजधानी के रूप में मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था। |
दार्जलिंग | ||||
26 | भारत के पर्वतीय रेलवे (Mountain Railways of India) | 1999 | दार्जिलिंग हिमालयी रेल, | नीलगिरि पर्वतीय रेल, कालका–शिमला रेलवे सामूहिक रूप से विश्व धरोहर में शामिल एल। |
बिहार | ||||
27 | बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर (Mahabodhi Temple Complex at Bodh Gaya) | 2002
| बोध गया, बिहार | यह गौतम बुद्ध जी के जीवन से बहुत ज्यादा प्रभावित है क्योंकि यही जगह है जहां महात्मा बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी। |
28 | नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल (Archaeological Site of Nalanda Mahavihara at Nalanda, Bihar | 2016
| नालंदा, बिहार
| इसे 2016 में विश्व धरोहर में शमिल किया गया जो की एक विश्व विद्यालय था।
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गुजरात | ||||
29 | चंपानेर–पावागढ़ पुरातत्व उद्यान (Champaner-Pavagadh Archaeological Park) | 2004 | गुजरात | यह हिंदू राजाओं की राजधानी हुआ करती थी जिसमे उपर कालिका माता का पवित्र मंदिर है। |
30 | रानी की वाव (Rani ki vav) | 2014 | पाटन, गुजरात | इसका निर्माण सोलंकी वंश के राजपूत राजा भीमदेव प्रथम ने करवाया जो एक सीढ़ीदार कुंआ है जिसका फोटो ₹100 पर अंकित है। |
31 | अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर (Historic City of Ahmadabad) | 2017 | अहमदाबाद, गुजरात | यह पुराना अहमदाबाद है जिसे विश्वधरोहर में शामिल किया गया है यहां भील राजाओं का शासन रहा। |
32 | धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर (Dholavira: A Harappan City) | 2021 | कच्छ, गुजरात | यह एक हड़प्पा संस्कृति का शहर है। |
राजस्थान | ||||
33 | जंतर मंतर, जयपुर (The Jantar Mantar, Jaipur) | 2010 | जयपुर, राजस्थान | जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण राजपूत राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। यह एक सूर्य वेधशाला है। |
34 | केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) | 1985
| भरतपुर, राजस्थान | यह भरतपुर अलवर और राजस्थान के बीच में स्थित है, यह अपने प्रवासी प्रजातियों के लिए जाना जाता है जिसमें साइबेरियन सारस सर्दियों के मौसम में आती है। |
35 | राजस्थान के पहाड़ी किले (Hill Forts of Rajasthan) | 2013 | राजस्थान | राजस्थान में ज्यादातर के लिए पहाड़ी है जो दुर्गम तरीके से बनाए गए हैं। |
36 | जयपुर (Jaipur) | 2019 | जयपुर, राजस्थान | पिंक सिटी के नाम से जाने जाने वाले जयपुर शहर को विश्व धरोहर में शामिल कर लिया गया। |
हिमांचल प्रदेश | ||||
37 | ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (Great Himalayan National Park) | 2014 | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | 620 वर्गकिलमीटर में फैला ये राष्ट्रीय उद्यान भूरे भालू के लिए प्रसिद्ध है। |
सिक्किम | ||||
38 | कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (Khangchendzonga National Park) | 2016 | सिक्किम, भारत | वर्तमान में इसे कंचनजंगा राष्ट्रीय और उद्यान और बायोस्फीयर रिज़र्व बनाया गया है। |
चंडीगढ़ | ||||
39 | ले कॉर्बूसियर का स्थापत्य कार्य (The Architectural Work of Le Corbusier) | 2016 | चंडीगढ़, भारत | कॉम्प्लेक्स डू कैपिटोल नाम का इमारत चंडीगढ़ भारत |
तेलंगाना | ||||
40 | काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर (Kakatiya Rudreshwara (Ramappa) Temple) | 2021 | तेलंगाना | यह एक हजार स्तंभों वाला हिंदू मंदिर है। इसका निर्माण इसे पत्थरों से किया गया है जो पानी में नही डूबते। |
भारत के विश्व विरासत स्थल
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों का विस्तारपूर्वक वर्णन–
भारत में विश्व धरोहल स्थलों का वार्षिक नामांकन इस प्रकार हैः
वर्ष 1983:
1. आगरा का किलाः आगरा का किला, इसे “लाल किला” भी कहते हैं, भारत के आगरा शहर में स्थित है। वर्ष 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। यह ताजमहल से करीब 2.5 किलोमीटर दूर है। वर्ष 1565 में महान मुगल सम्राट अकबर ने इसका निर्माण करवाया था। प्राचीन काल में आगरा भारत की राजधानी हुआ करता था। यह शानदार किला यमुना नदी के किनारे बना है। 380,000 वर्गमीटर ( 94 एकड़) में बना यह किला अर्द्धवृत्ताकार है। इसके चार दरवाजे हैं, किले के दो दरवाजे– दिल्ली गेट और लाहौर गेट नाम से जाने जाते हैं।
2. अजंता की गुफाएं: भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में पड़ने वाली अजंता की गुफाओं में चट्टानों की बनी करीब 30 बौद्ध गुफा स्मारक हैं जिनका निर्माण ई.पू. 2 शताब्दी से लेकर 480 या 650 ई. तक किया गया था। गुफा में बने चित्र बौद्ध धर्म कला की प्रसिद्ध रचनाओं पर आधारित हैं, इसमें भगवान बुद्ध को भी चित्रित किया गया है और जातक कथाओं (भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित कहानियां) का चित्रण भी है। अजंता की गुफाएं 1983 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में हैं।
3. एलोरा की गुफाएं: एलोरा भारत के महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले के 29 किलोमीटर (18 मील) उत्तर– पश्चिम में स्थित एक परातात्विक स्थल है। इसका निर्माण कलाचूरी, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजवंश ने 6 ठी से 9वीं शताब्दी के दौरान कराया था। 34 गुफाएं वास्तव में चारनंद्री पहाड़ियों के लंबवत हिस्से पर बनाई गई हैं। ये गुफाएं हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म को समर्पित हैं। 17 हिन्दू (गुफा संख्या 13–29), 12 बौद्ध (गुफा सं. 1–12) और 5 जैन (गुफा सं. 30–34) को एक दूसरे के साथ– साथ बनाया गया है। एलोरा की गुफाओँ को 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।
Earthquake भारत में भूकंप क्षेत्र:
भारत के विश्व विरासत स्थल
4. ताज महलःउत्तर प्रदेश के आगरा जिले में 17 हेक्टेयर जमीन पर बने मुगल गार्डन के भीतर बना ताज महल यमुना नदी के किनारे स्थित है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में करवाया था। 1632 ई. में इसका निर्माण कार्य शुरु हुआ था और 1648 में बन कर यह तैयार हो गया था। ताज महल के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी थे। इसके निर्माण के लिए पूरे साम्राज्य और मध्य एशिया एवं ईरान से राजमिस्त्री, पत्थर– काटने वाले, भीतर की दीवार बनाने वाले, नक्काशीकार, चित्रकारों, सुलेखकों, गुंबद बनाने वालों और अन्य कारीगरों को बुलाया गया था।
Image source: ab-wallpaper.com
वर्ष 1984:
भारत के विश्व विरासत स्थल
5. महाबलीपुरम के स्मारकों का समूह: अभयारण्यों का यह समूह, पल्लव राजाओं द्वारा बनाया गया था। 7वीं और 8वीं शताब्दी में कोरोमंडल के तट के चट्टानों पर खुदाई करवाया गया था। यह मुख्य रूप से अपने रथों ( रथ के रूप में मंदिरों), मंडप ( गुफा अभयारण्य), विशालकाय उभरी हुई नक्काशियां जैसे प्रसिद्ध ‘गंगा के अवतरण‘, शिव की महिमा को दर्शाते हजारों मूर्तियों वाले किनारे पर बने मंदिर (the temple of Rivage) के लिए जाना जाता है।
Image source: www.odysseytravels.net
भारत के विश्व विरासत स्थल
6. सूर्य मंदिर कोणार्कः भारत की विरासत में वास्तुकला का चमत्कार, कोणार्क का सूर्य मंदिर, आमतौर पर जिसे कोणार्क नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्वी राज्य ओडीशा (पहले उड़ीसा कहा जाता था) में स्थित है और पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण केंद्र में से एक है। कोणार्क भगवान सूर्य को समर्पित विशाल मंदिर है। कोणार्क शब्द ‘कोण‘ और ‘अर्क‘ से मिल कर बना है। ‘कोण‘ का अर्थ है कोना और ‘अर्क‘ का अर्थ है सूर्य, इसलिए इसका अर्थ हुआ– कोने का सूर्य। कोर्णाक का सूर्य मंदिर पुरी के उत्तर पूर्वी कोने में बना है और यह भगवान सूर्य को समर्पित है।
Earthquake भारत में भूकंप क्षेत्र:
7. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यानः काजीरंगा भारत के असम राज्य के दो जिलों – नागांव जिले के कालियाबोर सबडिविजन और गोलाघाट जिले के बोकाखाट सबडिविजन के बीच 26°30′ उ और 26°45′ उ आक्षांश और 93°08′ पू से 93°36′ पू देशांतर के बीच स्थित है। काजीरंगा 378 वर्ग किमी (146 वर्ग मील) में फैला है। यह विश्व विरासत स्थल है। यहां एक–सींग वाले गैंडे की दो– तिहाई आबादी पाई जाती है। विश्व के संरक्षित इलाकों में से काजीरंगा में सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं और इसे 2006 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था।
8. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान–
भरतपुर पक्षी अभयारण्य के नाम से जाना जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत के दो सबसे ऐतिहासिक शहरों आगरा और जयपुर के बीच है। उत्तर भारत का यह उद्यान देश के राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिम हिस्से में स्थित है। वर्ष 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और 1985 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया। यह उद्यान बास्किंग पैथॉन (बास्किंग अजगर), पेंटेड स्टॉर्क, हिरण, नीलगाय और अन्य पशुओं समेत 370 से अधिक पक्षी और पशु प्रजातियों का निवास स्थान है। यह मुख्य रूप से प्रवासी साइबेरियाई सारसों के लिए जाना जाता है।
9. मानस वन्यजीव अभयारण्य–
यह असम राज्य के भूटान– हिमालय पर्वतमाला की तलहटी में बसा है। यह अनूठे जैवविविधता और परिदृश्य के लिए प्रसिद्ध है। वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर परियोजना के तहत टाइगर रिजर्व के नेटवर्क में शामिल होने वाला यह पहला रिजर्व था। 1985 में मानस वन्यजीव अभयारण्य को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला। वर्ष 1989 में, मानस को बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा मिला। यह पश्चिम में संकोश नदी और पूर्व में धानसीरी नदी के साथ 2837 वर्ग किमी के इलाके में फैला है।
भारत के विश्व विरासत स्थल
10. गोवा के चर्च और आश्रम (कॉन्वेंट)-
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित इस राज्य के वेल्हा (पुराने) गोवा के चर्च और आश्रम पुर्तगाली शासन के युग से ही हैं। 16वीं और 17वीं शताब्दी के बीच पुराने गोवा में व्यापक स्तर पर चर्चों और गिरजाघरों का निर्माण किया गया था, इनमें शामिल हैं– से कैथेड्रल, सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी के चर्च और आश्रम, सेंट कैथरीन चैपल, बेसिलिका ऑफ बोम जीसस, चर्च ऑफ लेडी ऑफ रोजरी, चर्च ऑफ सेंट. ऑगस्टीन।
इस भव्य भवन का निर्माण राजा जोम सेबैस्टियो (1557-78) के शासनकाल में 1562 ई. में शुरु हुआ था और यह 1619 में बन कर तैयार हुआ। चर्च की लंबाई 250 फीट और चौड़ाई 181 फीट है। इमारत का मुख हिस्सा 115 फीट उंचा है। भवन पुर्तगाली– गौथिक शैली में बना है जिसका बाहरी हिस्सा टक्सन शैली और आंतरिक हस्सा कोरिंथियन शैली में बना है। कैथेड्रल की बाहरी साज–सज्जा अपने सादगी भरे शैली के लिए उल्लेखनीय है जबकि इसकी गुंबदनुमा आंतरिक सज्जा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
भारत के विश्व विरासत स्थल
11. फतेहपुर सीकरी–
फतेहपुर सीकरी का निर्माण बादशाह अकबर ने 16वीं सदी में बनवाया था। फतेहपुर सीकरी ( विजय का शहर) करीब दस वर्षों तक मुगल साम्राज्य की राजधानी था। स्मारकों का परिसर और मंदिर, सभी एकसमान वास्तुकला शैली में बने हैं, इसमें भारत के सबसे बड़े मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद भी है। सूफी संत शेख सलीम चिश्ती ( जो एक गुफा में रहते थे) के सम्मान में बादशाह अकबर ने अपने घर और दरबार को आगरा से लाकर सीकरी में बसा लिया था।
12. हंपी में स्मारकों का समूह–
हंपी की सादगी और भव्यता में मुख्य रूप से अंतिम महान हिन्दू साम्राज्य विजयनगर साम्राज्य ((14वीं – 16वीं शती ई.) की राजधानी के अवशेष मिलते हैं। संपत्ति 4187, 24 हेक्टेयर इलाके में है जो मध्य कर्नाटक के बेलारी जिले में तुंगभद्रा घाटी में है।
हंपी के शानदान सेटिंग में भौतिक अवशेषों की व्यापकता के साथ तुंगभद्रा नदी, ऊबड़–खाबड़ पर्वत श्रृंखलाएं और खुले मैदान की प्रमुखता है। बचे हुए 1600 अवशेषों से शहरी, शाही और धार्मिक प्रणालियों की विविधता का पता चलता है। इन अवशेषों में किले, नदी किनारे बनी कलाकृतियां, शाही एवं धार्मिक परिसर, मंदिर, आश्रम, स्तभ वाले कक्ष, मंडप, स्मारक संरचनाएं, द्वार, सुरक्षा चेक पोस्ट, अस्तबल, पानी की संरचना आदि शामिल हैं।
Earthquake भारत में भूकंप क्षेत्र:
13. खजुराहो के स्मारकों का समूह–
खजुराहो के मंदिर (मध्यप्रदेश में) देश के सबसे खूबसूरत मध्ययुगीन स्मारकों में से एक हैं। इन मंदिरों का निर्माण चंदेल शासकों ने 900 और 1130 ई. के बीच करवाया था। वह चंदेलों के शासन का स्वर्णयुग था। माना जाता है कि प्रत्येक चंदेल शासक ने अपने शासनकाल के दौरान एक मंदिर का निर्माण करवाया था। इसलिए खजुराहो के सभी मंदिर किसी एक चंदेल शासक द्वारा नहीं बनवाए गए हैं बल्कि मंदिर का निर्माण कराना चंदेलों की परंपरा थी जिसका चंदेल वंश के लगभग सभी शासकों ने पालन किया।
भारत के विश्व विरासत स्थल
14. एलिफेंटा की गुफाएं
एलिफेंटा की गुफाएं (स्थानीय स्तर पर घरापुरीची लेनी, मूल रूप से घरापुरी के नाम से जाना जाता है) महाराष्ट्र के मुंबई में एलिफेंटा द्वीप या घरापुरी (शाब्दिक अर्थ– गुफाओं का शहर) पर स्थित मूर्तियों की गुफाओं की श्रृंखला है। द्वीप अरब सागर में है, यहां गुफाओं के दो समूह हैं– पहला समूह बड़ा है औऱ इसमें हिन्दुओं की पांच गुफाएं हैं। दूसरा समूह छोटा है और इसमें दो बौद्ध गुफाएं हैं। हिन्दू गुफाओँ में चट्टानों को काट कर मूर्तियां बनाई गईं हैं, जो शैव हिन्दू संप्रदाय का प्रतीक हैं और भगवान शिव को समर्पित है।
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15. महान चोल मंदिर –
महान चोल मंदिरों का निर्माण चोल साम्राज्य के राजाओं द्वारा करवाया गया था। यह पूरे दक्षिण भारत और पड़ोसी द्वीपों में बना हुआ है। यहां 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिर– तंजावुर का बृहदेश्वरा मंदिर, गंगाईकोंडाचोलिश्वरम का बृहदेश्वर मंदिर और दारासुरम का एरावाटेश्वर मंदिर। गंगाईकोंडाचोलिश्वरम का मंदिर का निर्माण राजेन्द्र प्रथम ने करवाया था और यह 1035ई. में बनकर तैयार हुआ था। इसका 53 मी का विमान (गर्भगृह मीनार) के कोने धंसे हुए हैं और उनमें सुंदर उर्ध्व नक्काशी की गई है, यह तंजावुर का सीधा एवं सख्त मीनार के जैसा है। एरावाटेश्व मंदिर परिसर का निर्माण राजराजा द्वितीय ने दारासुरम में करवाया था, इसमें 24 मी का विमान और शिव की पत्थर की मूर्ति है।
16. पत्तदकल के स्मारकों का समूह–
कर्नाटक में पत्तदकल उद्धारक कला का उत्कृष्ट नमूना है। इनका निर्माण चालुक्य वंश के दौरान 7वीं और 8वीं शताब्दी में कराया गया था। इसमें उत्तर एवं दक्षिण भारत की वास्तुकला का सामंजस्य देखने को मिलता है। नौ हिन्दू मंदिरों की प्रभावशाली श्रृंखला के साथ– साथ इसमें एक जैन अभयारण्य भी है। समूह का उत्कृष्ट नमूना–विरुपाक्ष मंदिर है, इसका निर्माण महारानी लोकमहादेवी ने 740 ई. में अपने पति की दक्षिण के राजाओं पर मिली जीत की याद में करवाया था।
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17. सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान–
विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा, सुन्दरबन, भारत और बांग्लादेश के 10,200 वर्ग किमी में फैले सदाबहार वन में है। भारत की सीमा में पड़ने वाला वन का हिस्सा सुन्दरबन राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है और पश्चिम बंगाल राज्य का दक्षिणी हिस्सा है। सुंदरबन 38,500 वर्ग किमी इलाके में है। इसका एक तिहाई हिस्सा पानी/दलदल से भरा है। इस जंगल में सुंदरी वृक्षों की संख्या बहुत अधिक है। सुंदरवन रॉयल बंगाल टाइगर के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
18. नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान
वर्ष 1982 में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना राष्ट्रीय उद्यान के तौर पर की गई थी। यह उत्तर भारत के उत्तराखंड राज्य में नंदा देवी की पहाड़ी (7816 मी) पर स्थित है। वर्ष 1988 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। इस उद्यान को 1982 में अधिसूचना द्वारा संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से स्थापित किया गया था लेकिन बाद में इसका नाम नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। फूलों की करीब 312 प्रजातियों समेत यहां 17 दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। देवदार, संटी, रोडोडेंड्रन और जुनिपर मुख्य वनस्पति हैं।
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19. सांची का बौद्ध स्तूप
भारत में बौद्ध पर्यटकों के लिए सांची काफी लोकप्रिय स्थान है। यह मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची में स्थित है। सांची का स्तूप भारत में सबसे पुराने पत्थर से बनी इमारतों में से एक है। मूल रूप से इसे सम्राट अशोक ने बनवाना शुरु किया था। स्तूप 91 मीटर (298.48 फीट) ऊंची पहाड़ी पर बना है। यूनेस्को ने 1989 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
यह भारत में अनूठा है क्योंकि इसकी उम्र और गुणवत्ता, बौद्ध स्तूरों के समूह, मंदिरों और सांची के मठ (जिसे प्राचीन काल में काकान्या, काकानावा, काकानादाबोटा और बोटा श्री पर्वत कहते थे) मौजूद सबसे पुराने बौद्ध अभयारण्यों में से एक हैं। ये स्मारक 3 सदी से 12वीं सदी के बीच 1300 वर्षों की अवधि, लगभग संपूर्ण शास्त्रीय बौद्ध काल में, के दौरान बौद्ध कला और वास्तुकला की उत्पत्ति एवं विकास की कहानी कहते हैं।
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20. हुमायूं का मकबरा, दिल्ली –
दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा पहला भव्य शाही मकबरा है जो मुगल वास्तुकला और स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है जो और जिसने अपने निर्माण के 80 वर्षों के बाद ताज महल को जन्म दिया। हुमायूं का मकबरा 21.60 हेक्टेयर में बना है। इसमें 16वीं सदी के मुगल उद्यान के गुंबदों जैसे नीला गुंबद, इसा खान, बू हलीमा, अफसरवाला, नाई का मकबरा भी है। साथ ही परिसर में हुमायूं के मकबरे के लिए काम पर रखे गए वास्तुकार– अरब सेराई रहते थे। हुमायू का मकबरा था, हुमायूं के बेटे महान शहंशाह अकबर के संरक्षण में 1560 के दशक में बना था।
21. कुतुब मीनार, दिल्ली
कुतुबमीनार दिल्ली के दक्षिण में कुछ किलोमीटर दूर करीब 13वीं सदी में बना था। कुतुबमीनार, लाल बलुआ पत्थर से बनी मीनार 72.5 मी ऊंची है, इसकी चौड़ाई 2.75 मीटर और इसके आधार से 14.32 मी. की उंचाई से प्रार्थना की जाती है। इसके आस–पास अलाई दरवाजा द्वार, हिन्दू– मुस्लिम कला का उत्कृष्ट नमूना (1311 में बना) है। कुतुब मीनार के बनने में काफी समय लगा (करीब 75 वर्ष)। इसका निर्माण कुतुब–उद– दीन ऐबक ने 1193 में शुरु करवाया था और इसका निर्माण कार्य इल्तुतमिश ने पूरा कराया था।
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22. भारत के पहाड़ी रेलवे –
भारत के पहाड़ी रेलवे में तीन रेलवे हैं– दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे, जो पश्चिम बंगाल (उत्तर पूर्व भारत) में हिमालय की तलहटी में स्थित है, क्षेत्रफल 5.34 हेक्ट., नीलगिरि माउंटेन रेलवे, तमिलनाडु (दक्षिण भारत) के नीलगिरी पहाड़ी पर 4.59 हेक्. क्षेत्र में बना और कालका शिमला रेलवे जो हिमाचल प्रदेश (उत्तर पश्चिम भारत) में हिमालय की तलहटी में 79.06 हेक्. क्षेत्र में है। ये सभी तीन रेलवे अभी भी पूरी तरह से काम कर रहे हैं और चालू हैं।
23. बोध गया का महाबोधी मंदिर परिसर–
ई.पू. तीसरी सदी में बना महाबोधी मंदिर परिसर सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया पहला मंदिर है।वर्तमान मंदिर 5वीं– 6ठी शदी का बना मंदिर है। यह पूरी तरह से ईंटों से बना सबसे पहले बौद्ध मंदिरों में से एक है, और सदियों से ईंट वास्तिकला के विकास में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव माना जाता है। बोध गया में महाबोधी मंदिर परिसर का वर्तमान परिसर में 50 m ऊंचा विशाल मंदिर, वज्रासन, पवित्र बोधी वृक्ष औऱ भगवान बुद्ध के अन्य छह पवित्र स्थल है जो कई प्राचीन स्तूपों से घिरे हैं। इनका रखरखाव बहुत अच्छे से किया जाता है और ये आंतरिक, मध्य एवं बाहरी गोलाकार चारदीवारों से संरक्षित हैं। यह कुल 4.8600 हेक्टेयर इलाके में है।
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24. भीमबेटका पाषाण आश्रय–
यह पांच पाषाण आश्रयों का समूह है और 2003 में इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला था। भीमबेटका पाषाण आश्रय विंध्य पर्वतमाला के तलहटी में मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित है। बहुत मात्रा में बलुआ पत्थर और अपेक्षाकृत घने जंगलों के बीच ये पांच प्राकृति पाषाण आश्रयों का समूह हैं। इनमें मध्यपाषाण काल से ऐतिहासिक काल के बीच की चित्रकला मिलती है। इस स्थान के आस– पास के इक्कीस गांवों के निवासियों की सांस्कृतिक परंपरा में पाषाणों पर मिली चित्रकारी की बहुत अधिक छाप मिलती है। भीमबेटका के पाषाण आश्रय में पाई गई चित्रकारी में से कुछ तो करीब 30,000 वर्ष पुराने हैं। गुफाएं नृत्य के प्रारंभिक साक्ष्य भी देते हैं। ये पाषाण स्थल मध्य प्रदेश में हैं |
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25. चंपानेर– पावागढ़ पुरातत्व उद्यान
मोटे तौर पर अनजान पुरातात्विक, ऐतिहासिक और जीवित सांस्कृतिक विरासत स्थल जो प्रागैतहासिक स्थलों से घिरे प्रभावशाली लैंडस्केप के बीच स्थित है, पूर्व हिन्दू राजधानी का पहाड़ी वन और 16वीं सदी तक गुजरात राज्य की राजधानी रहा। यहां अन्य अवशेषों के साथ 8 वीं से 14वीं शती के बीच बने दुर्ग, महल, धार्मिक भवन, आवासीय परिसर, कृषि भूमि और जल प्रतिष्ठान भी हैं। पावागढ़ पहाड़ी के शीर्ष पर बना कालिकामाता मंदिर को महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है और यहां पूरे वर्ष श्रद्धालु आते रहते हैं। यह एक मात्र पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामी मुगल– पूर्व शहर है।
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26. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पहले विक्टोरिया टर्मिनस)-
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पहले विक्टोरिया टर्मिनस कहते थे), अरब सागर के तट को छूते भारत के पश्चिमी हिस्से में मुंबई में है। इस भवन का डिजाइन एफ. डब्ल्यू. स्टीवेंस ने तैयार किया था, यह 2.85 हेक्टेयर इलाके में फैला है। वर्ष 1878 में इसका निर्माण कार्य शुरु हुआ था और करीब दस वर्षों में बन कर यह तैयार हुआ। यह विश्व के सबसे अच्छे कार्यात्मक रेलवे स्टेशन भवनों में से एक है और रोजाना तीस लाख से अधिक यात्री इसका प्रयोग करते हैं। यह दो संस्कृतियों के संगम का उत्कृष्ट नमूना है, क्योंकि इसमें ब्रिटिश वास्तुकारों ने भारतीय कारीगरों के साथ मिल कर काम किया था ताकि वे भारतीय वास्तुकला परंपरा और प्रतीकों को इसमें शामिल कर सके और मुंबई के लिए नई शैली तैयार कर सकें। यह उपमहाद्वीप का पहला ट्रमिनस स्टेशन था।
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27. लाल किला परिसर (दिल्ली)-
वर्ष 1638 में शाहजहां ने अपनी राजधानी दिल्ली को बनाया और शाहजहांबाद शहर की नींव रखी। यह दिल्ली का सातवां शहर था। यह कंकड़–पत्थर से बनी दीवार से घिरी थी और जगह – जगह पर गढ़, फाटक और दरीचे बने थे। लाल किले में चौदह दरवाजे हैं और लाहौरी गेट इसका मुख्य दरवाजा है। इसका निर्माण 13 मई 1638 में मुहर्रम के पावन महीने में शुरु हुआ था और आगामी नौ वर्षों में यह बन कर तैयार हुआ था। शाहजहां खुद इसके निर्माण की निगरानी करते थे। वर्ष 2007 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया था।
28. जंतर– मंतर, जयपुर–
जयपुर का जंतर मंतर खगोलीय प्रेक्षण स्थल है जिसका निर्माण 18वीं सदी के आरंभ में किया गया था। इसमें करीब 20 मुख्य निश्चित उपकरणों का सेट है। इसमें ज्ञात उपकरणों के स्मारक संबंधी उदाहरण हैं लेकिन कई मामलों में उनके खुद के विशेष लक्षण हैं। नंगी आंखों से खगोलीय स्थिति के अवलोकन हेतु डिजाइन किए गए जंतर मंतर में कई नवीन वस्तुओं एवं उपकरणों को लगाया गया था। यह भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण, सबसे व्यापक और सर्वश्रेष्ठ संरक्षित ऐतिहासिक वेधशालाओं में से एक है। यह मुगल साम्राज्य के अंत में एक विद्वान राजकुमार के खगोलीय कौशलों और ब्रह्मांड से संबंधित अवधारणाओं की अभिव्यक्ति है। हालांकि इसके निर्माता राजकुमार जय सिंह द्वितीय के प्रोत्साहन के माध्यम से वेधशाला अलग– अलग वैज्ञानिक संस्कृतियों की बैठकों का केंद्र बना और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़े व्यापक सामाजिक प्रथाओं को जन्म दिया।
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29. पश्चिमी घाट:
पश्चिमी घाट तापी नदी की चोटी से निकलकर कन्याकुमारी की गुफा तक 1600 किमी की दूरी तक फैला है इसकी औसत उंचाई 1200 मीटर है। यह वास्तविक पहाड़ी श्रृंखला नहीं है, बल्कि यह प्रायद्वीपीय पठार के टूटे हुए हिस्से का भाग है। पश्चिमी घाटों की ऊंचाई उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ती है जबकि पूर्वी घाट की ऊंचाई दक्षिण से पूर्व की ओर बढ़ती है। पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की तुलना में अधिक अविरल है।
हिमालय की पहाड़ों से पुराने पश्चिमी घाट की पहाड़ी श्रृंखला अनूठे जैवभौतिक और पारिस्थितिक प्रक्रियाओँ के साथ बेहद महत्वपूर्ण भू– आकृतियों से भरा है। इलाके के उंचे पर्वतीय वन पारिस्थितिकी प्रणालियां भारतीय मॉनसून के पैटर्न को प्रभावित करती हैं। इलाके के उष्णकटिबंधीय जलवायु को संयमित करने के साथ यह स्थान इस ग्रह पर मॉनसून प्रणाली का सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है। साथ ही इसमें जैव विविधता एवं स्थानीयता का असाधारण उच्च स्तर भी है। इसे विश्व के जैव विविधता का आठवां सबसे अधिक आकर्षकण का केंद्र भी माना जाता है। यहां के जंगलों में गैर–विषुवतीय उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन के कुछ सबसे अच्छे उदाहरण भी मिलते हैं। ये जंगल कम– से– कम 325 प्रकार के फूलों, वनस्पतियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृपों और मछली की विलुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान है।
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30. राजस्थान के पहाड़ी किले–
राजस्थान राज्य में स्थित सिलसिलेवार स्थान। इसमें छह आलीशान किले– चितौड़गढ़, कुंभलगढञ, सवाई माधोपुर, झालवार, जयपुर और जैसलमेर, हैं। किलों की उदार वास्तुकला, 8 वीं से 18 वीं शताब्दी के बीच इलाके में राजपूत रिसायसों की चरण सत्ता का प्रमाण आस– पास के करीब 20 किलोमीटर के दायरे में देता है। रक्षात्मक दीवारों से घिरे प्रमुख शहरी केंद्रों, महलों, व्यापारिक स्थानों और मंदिरों समेत अन्य भवनों अक्सर समय से पूर्व बने दुर्गों में विस्तृत सभ्य संस्कृति का विकास हुआ जो शिक्षा, संगीत और कला का समर्थन करते थे। दुर्ग में बने कुछ शहरी केंद्र अभी भी बचे हैं क्योंकि कई स्थलों में मंदिर और अन्य पवित्र भवन हैं। किले इलाके द्वारा प्रदान किए गए प्राकृतिक सुरक्षा उपायः पहाड़, रेगिस्तान, नदियां और घने वन, का प्रयोग करते थे। इनमें व्यापक जल संचयन संरचना भी है जिनका आज भी प्रयोग जारी है।
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31. रानी– की– वाव (रानी की बावड़ी) पाटण, गुजरात
सरस्वती नदी के किनारे पर बनी रानी– की – वाव का निर्माण आरंभ में 11वीं शताबदी में एक राजा के स्मारक के तौर पर कराया गया था। बावड़ियां भारती उपमहाद्वीप में भूमिगत जल संसाधन और भंडारण प्रणालियों का एक विशेष रूप हैं और इनका निर्माण ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी में किया गया था। समय के साथ इनका विकास हुआ जो मूल रूप से रेतीली मिट्टी में गढ्ठा के रूप में हुआ करता था, विकसित रूप में यह वास्तुकला एवं स्थापत्य कला की बहु–मंजिला इमारत बन गया। रानी– की– वाव का निर्माण बावड़ी के निर्माण और मारु– गुर्जर स्थापत्य शैली में कारीगर की क्षमता के आधार पर बनाया गया था। यह उसके जटिल तकनीक और विस्तार एवं महारथ को दर्शाता है। एक औंधे मंदिर के डिजाइन वाले इस बावड़ी में पानी की पवित्रता पर प्रकाश डाला गया है। उच्च कलात्मक गुणवत्ता के मूर्तिकला पैनल के साथ यह सीढ़ियों की सात स्तरों में विभाजित है। इसमें 500 से अधिक मुख्य और एक हजार से अधिक गौण मूर्तियां हैं। ये मूर्तियां धार्मिक, पौराणिक और धर्मनिर्पेक्ष कल्पना और साहित्यिक कृतियों को दर्शाती हैं। चौथा स्तर सबसे गहरा। इसमें 9.5 मीटर गुना 9.4 मीटर का आयताकार टैंक है और उसकी गहराई 23 मीटर है। यह बावड़ी संपत्ति के पश्चिमी छोर पर स्थित है और इसमें 10 मीटर व्यास और 30 मीटर गहरा एक शाफ्ट है।
वर्ष 2014:
32. ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (GHNP)-
यह भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लु जिले में स्थित है। जीएचएनपी को 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह 754.4 वर्ग किमी इलाके में फैला है। ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान कई प्रकार की वनस्पतियों का आवास है और 376 से भी अधिक प्रकार की जीव प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। इनमें 32 स्तनधारी, 180 पक्षी, 3 सरीसृप, 10 उभयचर, 12 कीड़े, 18 घोंघा और 126 प्रकार के मकोड़े शामिल हैं। 23 जून 2014 को इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला था।
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33. नालंदा विश्वविद्यालय – बिहार
नालंदा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य के राजगीर स्थित है यह विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक विख्यात केंद्र था जिसका निर्माण महान गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम ने करवाया था यह एक बौद्ध विश्वविद्यालय था जिसमें बौद्ध धर्म के भग्नावशेष मिले हैं लेकिन इस विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म के साथ ही दूसरे अनेक धर्मों के छात्र भी पढ़ते थे इस विश्वविद्यालय की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम के द्वारा किया गया तथा इसे वर्ष 2016 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।
34. कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान – सिक्किम
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के सिक्किम राज्य में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्य है इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1977 में की गई थी इस राष्ट्रीय उद्यान का संपूर्ण क्षेत्रफल 1784 वर्ग किलोमीटर है जो सिक्किम राज्य के कुल क्षेत्रफल का 25.14 है इस राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए, काले भालू, कस्तूरी मृग, जंगली गधा और लाल पांडा निवास करते हैं वर्ष 2016 में इस राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।
35. ली. कार्बुजिए के वास्तुशिल्प
चंडीगढ़ में स्थित ली कार्बुजिए के वास्तुशिल्प कार्य को आधुनिक आंदोलन के लिए उत्कृष्ट योगदान के हिस्से के रूप में वर्ष 2016 में UNESCO ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी सात अलग–अलग देशों के 17 स्थलों में ली कार्बुजिए के रचनात्मक एवं वास्तुशिल्प कार्य मौजूद है यूनेस्को ने इन सभी स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में मान्यता दी है ।
36. अहमदाबाद के ऐतिहासिक शहर
अहमदाबाद के ऐतिहासिक शहर जिसे पुराना अहमदाबाद भी कहा जाता है यह शहर अहमदाबाद का ही एक हिस्सा है जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित है इस शहर की स्थापना की 11 वीं सदी में राजा आशा भील के द्वारा आशावल नाम से की गई थी तब से यह गुजरात सल्तनत का महत्वपूर्ण राजनैतिक और वाणिज्य केंद्र बना रहा वर्तमान समय में भी यह ऐतिहासिक शहर आधुनिक अहमदाबाद शहर का हृदय है इसे वर्ष 2017 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया ।
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37. मुंबई के विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल
भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर के फोर्ट इलाके में स्थित विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल का निर्माण 19वीं सदी में विक्टोरियन नियो गोथिक शैली में किया गया था जो विक्टोरियन नियो गोथिक सार्वजनिक भवनों एवं आर्ट डेको भवनो का संग्रह है जिसे वर्ष 2018 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया ।
38. गुलाबी शहरजयपुर
जयपुर भारत के राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा शहर है इस नगर की स्थापना महाराजा जयसिंह द्वितीय के द्वारा की गई थी यह शहर अपनी समृद्ध भवन निर्माण–परंपरा, सरस, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए भारत के साथ–साथ संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है इस शहर में महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों के कारण इस शहर को भारत का पिंक सिटी या गुलाबी शहर कहा जाता है इस शहर को जुलाई 2019 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया ।
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39. रामप्पा मंदिर – तेलंगाना
रामप्पा मंदिर या रुद्रेश्वर मंदिर भारत दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य के मुलुंड जिले के पालमपेट गॉंव में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है इस मंदिर में स्थित शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सन् 1213 ईसवी में का काकतीय साम्राज्य उ शासक गणपति देव के सेनापति रेचारला रुद्रदेव ने करवाया था यूनेस्को ने वर्ष 2021 में इस मंदिर को अपनी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में जोड़ा ।
40. धोलावीरा
धोलावीरा गुजरात राज्य किस जिले में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रसिद्ध पुरास्थल एवं विश्व धरोहर स्थल है यह स्थल अब तक ज्ञात सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े स्थलों में से एक है यहां सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित कई अवशेष और स्थल पाये गये है। SEE HER