मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
संदर्भ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुष्टि की है कि मार्स ऑर्बिटर यान का संपर्क टूट गया है और इसकी पुनर्प्राप्ति नहीं की जा सकती है, अतः मंगलयान मिशन की समाप्ति हो गई है।
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प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में छह महीने के जीवन–काल के लिये डिज़ाइन किये जाने के बावजूद मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगल की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा है।
मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) के समापन का कारण:
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प्रणोदक (ईंधन) की कमी के कारण निरंतर वांछित विद्युत् उत्पादन नहीं किया जा सका और इसने ग्राउंड स्टेशन से संचार खो दिया।
हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण हुए, जिनमें से एक साढ़े सात घंटे तक रहा।
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चूँकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि को संभालने के लिये डिज़ाइन किया गया था, अर्थात् ग्रहण की लंबी अवधि बैटरी की सुरक्षा के लिये हानिकारक थी।
Gati Shakti scheme
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मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
परिचय:
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मार्स ऑर्बिटर मिशन जिसकी लागत 450 करोड़ रुपए थी, 5 नवंबर, 2013 को PSLV-C25 द्वारा लॉन्च किया गया था और मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) को सितंबर, 2014 में अपने पहले प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया था।
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मंगलयान भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था।
मिशन ने भारत को नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद मंगल ग्रह पर पहुँचने वाला पहला एशियाई और दुनिया में चौथा देश बना दिया।
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चीन ने भारत के सफल मंगलयान को ‘प्राइड ऑफ एशिया‘ कहा है।
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मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
विवरण:
यह मार्स कलर कैमरा (MCC) सहित 850 किलोग्राम ईंधन और 5 विज्ञान संबंधी पेलोड ले गया, जिसका उपयोग वह सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश करने के बाद से मंगल ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन करने के लिये कर रहा था।
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MOM की अत्यधिक अण्डाकार कक्षा ज्यामिति ने MCC को अपने सबसे दूर के बिंदु पर मंगल की ‘पूर्ण डिस्क‘ का स्नैपशॉट लेने और निकटतम बिंदु से बारीक विवरण लेने में सक्षम बनाया।
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MCC ने 1000 से अधिक चित्र लिये और एक मंगल एटलस प्रकाशित किया है।
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अन्य उपकरण हैं: थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (TIS), मंगल के लिये मीथेन सेंसर (MSM), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (MENCA) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (LAP)।
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मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
उद्देश्य:
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मंगल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करना।
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स्वदेशी वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करते हुए मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, खनिज , आकृति और वातावरण का पता लगाना।
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MOM का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशन की योजना, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन में आवश्यक तकनीकों का विकास करना था।
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Environment Friendly Genetic Modification Introduction
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मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM)
भविष्य का भारतीय मंगल मिशन:
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इसरो ने वर्ष 2016 में भविष्य के मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM-2) के लिये ‘अवसर की घोषणा‘ (AO) की थी , लेकिन ‘गगनयान‘, ‘चंद्रयान-3′ और ‘आदित्य – L1′ परियोजनाएँ वर्तमान प्राथमिकता सूची में हैं।
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मंगलयान-2 केवल एक ऑर्बिटर मिशन होगा। SEE HER
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