IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

सुर्ख़ियों में क्यों ?

  • हाल ही में,अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन समिति’ (IPCC)  की छठी आकलन रिपोर्ट का दूसरा भाग जारी किया गया। विदित है कि रिपोर्ट का पहला भाग, पिछले साल अगस्त में जारी किया गया था, जोकि जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक आधार पर केंद्रित था।
  • गौरतलब है कि IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (Sixth Assessment Report – AR6), जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक जानकारी का आकलन करने के उद्देश्य से तैयार की जाने वाली रिपोर्टों की एक श्रृंखला में छठी रिपोर्ट है।
  • पहली आकलन रिपोर्ट वर्ष 1990 में जारी की गयी थी। अब तक, क्रमशः 1990, 1995, 2001, 2007 और 2015 में पांच आकलन रिपोर्टें जारी की जा चुकी हैं।

IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • रिपोर्ट के इस दूसरे भाग में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जोखिमों और कमजोरियों और अनुकूलन विकल्पों के बारे में आकलन किया गया है।
  • नवीनतम रिपोर्ट में, पहली बार, जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रीय और क्षेत्रीय प्रभावों का आकलन किया गया है। इसमें दुनिया भर के मेगा-शहरों के समक्ष खड़े जोखिमों और उनकी कमजोरियों को शामिल किया गया है।
  • पहली बार, आईपीसीसी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों का अवलोकन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से, विशेष रूप से एशिया के उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू जैसे वेक्टर जनित और जल जनित रोगों में वृद्धि हो रही है।
  • IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

    तापमान में वृद्धि होने की वजह से, संचार, श्वसन, मधुमेह और संक्रामक रोगों से संबंधित मौतों के साथ-साथ, शिशु मृत्यु दर में भी वृद्धि होने की संभावना है।

  • ग्रीष्म लहरों, बाढ़ एवं सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और यहां तक ​​कि वायु प्रदूषण भी कुपोषण, एलर्जी संबंधी बीमारियों के साथ-साथ मानसिक विकारों में भी योगदान दे रहे हैं।
  • रिपोर्ट में भारत को एक संवेदनशील हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है, जिसके कई क्षेत्र और महत्वपूर्ण शहर बाढ़, समुद्र के स्तर में वृद्धि और ग्रीष्म लहरों जैसी जलवायु आपदाओं के बहुत अधिक जोखिम का सामना कर रहे हैं।
  • IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

    मुंबई, समुद्र के स्तर में वृद्धि और बाढ़ के उच्च जोखिम का सामना कर रहा है। वहीं अहमदाबाद ग्रीष्म-लहरों के गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। इसके आलावा चेन्नई, भुवनेश्वर, पटना और लखनऊ सहित कई शहर, गर्मी और उमस के खतरनाक स्तर के करीब पहुंच रहे हैं।

  • परिवहन, पानी, स्वच्छता और ऊर्जा प्रणालियों सहित बुनियादी ढांचे को, चरम एवं धीमी शुरुआत वाली जलवायु घटनाओं की वजह से नुकसान पंहुच रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक नुकसान, सेवाओं में व्यवधान और लोक-कल्याण पर प्रभाव पड़ता है। IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन समिति (IPCC) के बारे में                                                                                                                                                               

  • अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन समिति (Intergovernmental Panel on Climate Change – IPCC), संयुक्त राष्ट्र का एक अंतर सरकारी निकाय है, जो मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन पर जानकारी एवं ज्ञान में वृद्धि करने हेतु उत्तरदायी है |
  • इसकी स्थापना, वर्ष 1988 में ‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ (WMO) और ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)’ के द्वारा की गयी थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में हैं।
  • इसका मुख्य कार्य है- नीति निर्माताओं को, जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक आधार, इसके प्रभावों और भविष्य के जोखिमों और अनुकूलन और शमन के विकल्पों का नियमित आकलन प्रदान करना।    IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6)

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