NCF – National curriculum framework 2005
NCF – National curriculum framework 2005 आधार →1993 की शिक्षा बिना बोझ → (मनोविज्ञान बात) (प्रो. यशपाल की ) व्यक्ति को स्वतंत्र छोड़ दो। NCF – National curriculum framework 2005 प्रो. यशपाल कमेटी के अध्यक्ष ।
निबंध → सभ्यता व प्रगति – रविंद्र नाथ टैगोर ।
कथन → शुरुआत के सृजनात्मक उदार आनंद बचपन की कुंजी है। नासमझ व्यस्क द्वारा इस को खतरा है। 38 271
विद्वान →35 थे
सूत्र → बिना भार के अधिगम ।
लक्ष्य → आत्म ज्ञान का निर्माण करना।
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अध्याय 5 अध्याय। (180 पेज में )।
1 – परिप्रेक्ष्य – आजादी के पाठ्यक्रम की बदलने शिक्षा ।
2 – सीखना – अंत क्रिया का महत्व । प्रत्यक्ष या मध्यत । सर्वश्रेष्ठ विधि ।
3 – पाठ्यचर्या – सभी विषय शामिल (उद्देश्य भाषा)।
4 – विद्यालय व कक्षा का वातावरण – सूचना तकनीकी । पुस्तकालय की भूमिका।
5– व्यवस्थागत – परीक्षा प्रणाली, आकलन प्रणाली, बच्चों में विकास।
पाठ्यचर्या – अंग्रेजी भाषा के करिकुलम शब्द जो लेटिन भाषा के क्यूरेरे (दौड़ का मैदान- जहां हम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दौड़ते हैं) से बना है ।
मुनरो – समस्त अनुभव शामिल है जिनका विद्यालय 9 योग करता है। शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया।
फ्रोवेल – मानव अनुभव का सार है।
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कनिघंम — पाठ्यचर्या कलाकार सभी शिक्षक के हाथ में वह साधन है, जिसके द्वारा वो विद्यार्थी को अपने पदार्थ रूपी विद्यार्थी अपने आदेशों के अनुसार ढालता है।
1 – NCF – के अनुसार शिक्षा उद्देश्य बालक जीवन का अर्थ समझ सके।
2 – मूल्य – जो शांति मानवता व सांस्कृतिक विविधता (धर्म जाति पर सब एक रहें।) वाले समाज को बढ़ावे।
3 – बच्चे ज्ञान के ग्रहणकर्ता मात्र है। यह पाठ्य पुस्तक परीक्षा का आधार इस धारणा को बदलता है।
4 यांत्रिक सीखना बच्चे के सुख को छीन लेता है।
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पृष्ठभूमि –
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, राष्ट्रीय शिक्षाक्रम के एक सामान्य केंद्र की बात करती है जिसे स्थानीय पर्यावरण व परिवेश के अनुसार ढाला जा सकेगा। इसकी बाद ncf 2005 भी करता है ।
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NCF 2005 – उद्देश्य
सार्वभौमिक( सभी तक शिक्षा पहुंचे बिना भेदभाव के ) प्रारंभिक शिक्षा पर बल देती है।
1 – पाठ्यचर्या में ज्ञान, कार्य शिल्प की परंपरा भी शामिल है पर्यावरण शांति को जीन शैली के रूप में अपनाना। 2 – बच्चों के आत्मसम्मान, नैतिकता, संसार, रचनात्मका का विकास।
3 – ncf 2005 – 1993 का आधार ।NCF – National curriculum framework 2005
→ यह समतामूलक, धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी समाज के निर्माण के अनुसार शिक्षा के बात करता है।
शिक्षण में अंतः क्रियात्मक तकनीकों को बल दिया है।
→ लचीला स्कूली कैलेंडर व समय सारणी जिसमें आवश्यकतानुसार भ्रमण गतिविधि शामिल है। → पंचायती राज व्यवस्था के सुदृढ़ करने पर बल ।
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प्रथम अध्याय – परिप्रेक्ष्य
1 – शिक्षा का सामाजिक संदर्भ (ncf 2005 ) ज्ञान की अवधारणा को विस्तृत करना । ज्ञान व अनुभव के नये क्षेत्र शामिल।
आत्मविश्वास व आलोचनात्मक जागरूकता।
समुदाय की भागीदारी के पाठ्यचर्या निर्णय ।
उद्देश्य 1 – लोकतंत्र, समानता, न्याय, स्वतंत्रता, परोपकार, धर्मनिरपेक्षता का विकास व मानवीय अधिकारों के प्रति आदर व प्रतिबद्धता ।
2- सीखने के लिए सीखना, तत्परता, रचनात्मक कार्य की शिक्षा का विकास
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गुणवता के आयाम
इसमें जीवन के सभी आयाम की चर्चा –
1 सामाजिक न्याय
2 शांति
3 पर्यावरण संरक्षण शिक्षा
4 वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में शिक्षा की बात ।
→ LNCF 2005 दस्तावेज – 5 मार्गदर्शन सिद्धांत (बिना भार के अधिगम )।
1 ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ना ।
2 पढ़ने की रटन प्रणाली से मुक्त करना।
3 पाठ्यचर्या के इस तरह आगे बढ़ना कि बच्चों के चहुंमुखी विकास के अवसर हो, न कि पाठयपुस्तक केंद्रिक
बनकर रह जाए।
4 परीक्षा को पहले की तुलना में अधिक लचीला बनाना और कक्षा कक्ष की गतिविधि से जुड़ना ।
5 बच्चों को ऐसे नागरिक के रूप में विकास, जिसमें प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतरराष्ट्रीय मूल्यो (लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समानता ) में आस्था हो ।
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[ दसरा अध्याय – सीखना व ज्ञान (ncf 2005 ) ।
→ बालक सक्रिय है वह स्वयं जाने व सीखे वह नई चीजों को आजमाएं, जोड़ तोड़ करके, गलतियां करें, स्वयं उसको सुधारें, सीखना सक्रिय व सामाजिक गतिविधि है।
→ बाल केंद्रित शिक्षा शास्त्र का अर्थ
बच्चों के अनुभवो उनके स्वरों व सक्रिय सहभागिता को प्राथमिक देना ।
बालक स्वयं करें, सवाल पूछे, जांच करें, अनुभव की सूची ज्ञान से जोड़े।
→ सीखने का भाव अनुशासन के स्थान पर आनंद व संतोष से जोड़ा जाए दंड का विरोध भावनात्मक सुरक्षा
आवश्यक
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→ बालक को विद्यालय,
घर, समुदाय,
सब जगह महत्वपूर्ण माने उसकी भाषा व संस्कृति को भी ।
→सीखने के लिए सर्वप्रथम शारीरिक विकास, पौष्टिक भोजन, शारीरिक व्यायाम व मनोवैज्ञानिक सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति हो ।
संज्ञान का अर्थ — कर्म व भाषा के माध्यम से स्वयं व दुनिया को समझना ।
सार्थक अधिगम —–टना ना होकर ठोस वस्तु व मानसिक संकेतों को प्रस्तुत करने व उनमें बदलाव लाने की उत्पादक प्रक्रिया । भाषा के विचार में परस्पर प्रगाढ़ संबंध ।
→ कोठारी आयोग के समान स्कूली व्यवस्था का समर्थन ।
→बालक स्वभाव से ही सीखने की क्षमता, सीखने में अर्थ निकालता, अमूर्त स्त्रोत, विवेचना व कार्य महत्वपूर्ण है। सीखना विद्यालय के अंदर वा बाहर दोनों जगह होता है ।
सीखने को आसपास की दुनिया से जोड़ा जाए। बालक अनुभव करें सुनकर, पूछकर, प्रयोग करके अभिवृत्ति रखने में उचित गति रखता हो ।
सीखने में यांत्रिक नहीं होनी चाहिए बालक उड़ जाता है।
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प्रत्यक्ष सीखना-
→किशोरावस्था अस्मिता के विकास अवस्था, इस समय शारीरिक बदलाव, रूढ़ियों को दूर करने की शिक्षा, सामाजिक व भावात्मक शिक्षा दी जानी चाहिए ।
→ कक्षा में समावेशी माहौल।
→ सीखने में निर्माणवाद की अवधारणा बल।
→ चतुर अनुमान को प्रोत्साहन ।
→ सीखने में अंतः क्रिया का महत्व |
→ सीखने में गतिविधि आधारित अधिगम |
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तृतीय अध्याय – पाठ्यचर्या
→ ऐसे हो जो अनुभव उपलब्ध कराए जिनसे विवेक की क्षमता बढ़े। → विभिन्न विधियों से दुनिया को समझने का मौका।
→ सौंदर्य बोध का विकास। दूसरों के प्रति संवेदनशीलता बढ़े।
→ ज्ञान को संगठिता रूप में प्रस्तुत ।
→ आत्म निर्भरता विज्ञान की शिक्षा |
NCF 2005 –बालक की बुनियादी क्षमता में भाषा, संबंध बनाना, कायम रखना, कार्य व क्रिया संबंधी क्षमता ।
शारीरिक कौशल ज्ञान।
व्यवहारिक ज्ञान -जीवन से जुड़ा हुआ होना।
कला का विकास, शिल्प कला, स्थानीय ज्ञान, रिवाजों को स्कूल ज्ञान से जोड़ना |
स्थानीय परिवेश का समावेश – भौतिक, सामाजिक ] सांस्कृतिक को शामिल किया जाए।
पूर्व प्राथमिक स्तर से प्राथमिक स्तर – पाठ्यक्रम में सभी गतिविधियां भाषा व गति का महत्वपूर्ण स्थान। सामाजिक यथार्थ व परिवेश के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण का विकास
विषय आधारित सुझाव – गणित
प्राथमिक स्तर – गणितीय खेल, पहेलिया, गणना करना ।
उच्च स्तर – आंकड़ों का उपयोग, बीजगणित
माध्यमिक स्तर – रेखागणित, सिद्धांत
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विज्ञान चाहिए ।
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बालक के प्रतिदिन अनुभवों की जांच, अन्वेषण, गरीबी, अज्ञान, विश्वास को दूर किया जाना
सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम – सामाजिक मूल्यों का विकास ।
सामाजिक वंचित वर्गों के सकारात्मक दृष्टिकोण में विकास ।
नागरिक शास्त्र राजनीति में बदलाव ।
G-20 की अध्यक्षता INDIA अब करेगा
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वातावरण की शिक्षा-कक्षा 3 से 5 में पर्यावरण अध्ययन |
।
कक्षा 6 से 8 में सामाजिक विज्ञान, इतिहास, राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र को पढ़ाया जाना चाहिए ।
कला
गायन, नृत्य, हस्तकला, खेलकूद, शारीरिक शिक्षा ।
शांति शिक्षा हिस्सा दूर करना, सामाजिक संस्कार, सहनशक्ति ।
बाल केंद्रित शिक्षा-
त्रिभाषा फार्मूला-
1- मातृभाषा / घरेलू भाषा
2- हिंदी / संस्कृत
3 – विदेशी / अंग्रेजी
चौथा अध्याय
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विद्यालय कक्षा का वातावरण-
1- स्वानुशान
2- समय सारणी / विद्यालय योजना में लचीलापन
3- गतिविधि सक्षम व असक्षम दोनों बच्चों को शामिल करना
4- अंतः क्रिया- दोनों तरफ (टीचर और बच्चे )
5- सूचना तकनीकी
6- सामुदायिक भागीदारी
7- पुस्तकालय – विद्यालय समाज से बालक को जोड़ना ।
G-20 की अध्यक्षता INDIA अब करेगा
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पाठ्यक्रम विकास के सिद्धांत-
→ नियोजन का सिद्धांत > क्रियाशीलता का सिद्धांत → सृजनात्मक सिद्धांत
→ समन्विय का सिद्धांत
1- पाठ्यक्रम छात्रों के उम्र और स्तर के अनुसार होना चाहिए। 2- पाठ्यक्रम छात्रों की क्षमता और आवश्यकतानुसार होना चाहिए । 3- पाठ्यक्रम पर्यावरण (जीवन से संबंध) के अनुसार होना चाहिए। 4- पाठ्यक्रम व्यापक विस्तृत होना चाहिए।
5- पाठ्यक्रम लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए।
6 – पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए।
7- पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए, जो छात्रों का सीखने का अवसर प्रदान करें। 8- पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए, जो छात्रों का सर्वागिण विकास करें।
9- पाठ्यक्रम नवीनता की खोज पर आधारित ।
10- पाठ्यक्रम सहसंबंध पर आधारित ।
11- पाठ्यक्रम ऐसा हो जो छात्रों के भविष्य में मददगार साबित हों।
1- समान सकल व्यवस्था
2 – पाठ्यचर्या – विविधता
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पंचम अध्याय –व्यवस्थागत सुधार
3- पाठ्यक्रम NGO के संगठनों को शामिल, सामाजिक समूहों को शामिल
4- शिक्षण प्रशिक्षण
5- मूल्यांकन –
→ रचनात्मक मूल्यांकन खुली पुस्तक ।
→ 30:1, 200 दिन कार्य दिवस।
G-20 की अध्यक्षता INDIA अब करेगा
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→गृहकार्य साथ
→ सतत व्यापक मूल्यांकन
→ गुणात्मक आंकलन
→ खुली पुस्तक परीक्षा हो जिसके बोर्ड ना हो, 10, 12 वी पास, फेल की व्यवस्था को बंद हों।
→ समान स्कूल व्यवस्था
→ शारीरिक दंडो को रोकने की आवश्यकता, कंप्यूटर कम्प्युटिंग शामिल।
→ 10 वी, 12 वी एच्छिक हों।
→ सतत व्यापक मूल्यांकन
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पाठयक्रम का महत्व
शिक्षक – शिक्षार्थी समाज देश के लिए महत्व
निष्कर्ष
इस प्रकार NCF शिक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। SEE HER