Self help Groups-SHGs In India //की सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

Self help Groups-SHGs की सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

Self help Groups-SHGs की सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

Self help Groups-SHGs भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है भारत भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में जहां मध्यम वर्ग की जनसंख्या काफी अधिक है संसार का समूह सम्मान समस्या वालों लोगों का एक अनौपचारिक संग होता है जो अपने रहन-सहन परिस्थितियों में सुधार करने के लिए तथा अपनी गरीबी को दूर करने सामाजिक स्थिति में सुधार करने और जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं ऐसे संगठन को स्वयं सहायता समूह संगठन कहलाता है

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SHGs का निर्माण कैसे किया जाए

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शिक्षा एवं कौशल संबंधी जानकारी वाला व्यक्ति सैमसंग का समूह को स्थापित कर सकता है और अपने जैसे अपने जैसे लोगों को शामिल कर सकता है जो अपनी छोटी-छोटी बचत के द्वारा एग्जिट किए गए धन को उसमें निवेश कर सकता है साथी बैंकिंग सेक्टर भी ऐसे समूहों को ऋण उपलब्ध करवाती है उस ऋण के माध्यम से अपना कार्य शुरू किया जा सकता है गैर सरकारी संगठन और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालय एवं विभागों  के द्वारा भी समय-समय पर वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती हैं Self help Groups-SHGs

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SHGs को स्थापित करने का उद्देश्य

रोजगार और आई सर्जन प्रतिदिन क्षेत्र में गरीबों तथा पिछड़े हुए लोगों की कार्यात्मक क्षमताओं का अभिवृद्धि करने के लिए साथ ही सामूहिक नेतृत्व और आपसी सामने के माध्यम से समस्याओं का समाधान करना साथी ही बाजार में संचालित दरों  पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ मुक्त ऋण प्रदान करना विभिन्न संगठित स्रोतों से उधार लेने के का प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों के लिए सामूहिक गारंटी  के रूप में कार्य करना गरीब लोग अपनी बचत जमा कर उसे बैंकों में जमा करते हैं बदले में उन्हें अपनी सूक्ष्म इकाई और काम शुरू करने हेतु कम ब्याज दर पर बैंक द्वारा आसानी से ऋण की प्राप्ति हो सकती हैSelf help Groups-SHGs

इंटरपोल क्या है

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SHGs की आवश्यकता क्यों हुई

भारत जनसंख्या की दृष्टि से एक विशाल देश है जहां ग्रामीण निर्धनता के कारण अनेक परिवारों को रोजगार नहीं मिल पाता है उनके सामने रोटी कपड़ा मकान की समस्या रहती है तथा इन समस्याओं का निराकरण करने के लिए इस प्रकार के समूह की आवश्यकता होती है असंतुलित विकास को लेकर विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है देश में वित्तीय समावेशन पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने हेतु डॉ सी रंगराजन की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने वित्तीय समावेशन की कमी के चार प्रमुख

Self help Groups-SHGs

क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें

  1. खराब ऋण शोधन क्षमता
  2. संस्थानों की अपर्याप्त पहुंच
  3. कमजोर सामुदायिक नेटवर्क
  4. रोजगार की सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ

स्वयं सहायता समूह अपने जैसे आवश्यकता वाले लोगों से मिलकर इस प्रकार के संगठन का निर्माण करते हैं जिसमें मुख्य रूप से महिलाओं को सशक्त बनाना तथा आवश्यक व्यक्ति को उस समूह से जोड़ना जिसके कारण उनकी साक्षरता स्वास्थ्य परिवार की आजीविका तथा समाज में उनकी आर्थिक स्थिति में उन्नति करना इसका प्रमुख लक्ष्य है इसलिए ऐसे समूह की आवश्यकता महसूस की गई

इंटरपोल क्या है

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SHGs के सामने विभिन्न चुनौतियां

जिन समूह की उत्पत्ति ऐसे लोगों से हुई है जिनके पास रोजगार की कमी संसाधनों की कमी वित्तीय बजट की कमी तो ऐसे लोगों को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों पर अत्यधिक निर्भर रहना पड़ता है साथ ही समूह में योग्य व्यक्तियों की कमी होती है जिससे कि इनकी समय समय पर बैठक और दिशा निर्देश जारी करने के अभाव में कई बार उनके संचालन में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है साथ ही स्किल डेवलपमेंट पर नवाचारों के माध्यम से समूह को आगे बढ़ाने में भी काफी समस्या आती हैं क्योंकि इनके पास कोष्ण का अभाव होता है साथ ही गैर व्यवसायिक वातावरण में विस्तार एवं सुधारों में बाधाएं उत्पन्न होती हैं सुरक्षा व्यवस्था में भी इनमें कमी देखी गई है क्योंकि कई बार समूह के सदस्यों में आपसी मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं

भारत बना 5G नेटवर्क धारी

Self help Groups-SHGs की सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

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SHGs कि सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में अधिकांश  का जनसंख्या भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय के द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों में 59वें दौर के अनुसार देश में लगभग 51.4 %किसान परिवारों के पास औपचारिक ऋण सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इतना ही नहीं संपूर्ण जनसंख्या स्तर पर कुल मिलाकर लगभग 70% परिवारों के पास संस्थागत ऋण तक पहुंच नहीं है सूक्ष्म वित्तीय सेवाओं के माध्यम से स्वयं सहायता समूह लोगों की बैंकों तथा अन्य औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक पहुंच को सुगम बनाते हैं औपचारिक वित्तीय संस्थानों तक पहुंच होने से लोगों की साहूकारों और तथा ग्रामीण महाजनों पर निर्भरता में कमी आई है तथा इसमें ग्रामीण भारत में वास्तविक वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में लगातार मदद मिल रही है सोना काल के समय लॉकडाउन की स्थिति होने के कारण अनौपचारिक श्रमिकों के अधिकारों के नुकसान होने तथा देश के अनेक क्षेत्रों में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने पर स्वयं सहायता समूह ने फंसे हुए श्रमिकों तथा गरीबों की खाद्य आवश्यकताओं को देखते हुए देश भर में लगभग 10,000 से अधिक सामुदायिक रसोईयो की स्थापना की है सैमसंग का समूह ने सदस्य परिवारों को गैर ग्राहक परिवारों की तुलना में अधिक शिक्षा पर खर्च करने के लिए उन्हें प्रेरित किया साथ ही ऐसे विद्यार्थी जो स्कूल से ड्रॉपआउट हैं उनको पुन: विद्यालय से जोड़ने का प्रयास किया गया इन समूह के प्रयासों के द्वारा स्वास्थ्य भी सुधार होने के कारण शिशु मृत्यु दर में कमी आई है मातृत्व स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है तथा गरीबों का पोषण आवास और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं भी पहले से अधिक बेहतर हुई है जिसके कारण विभिन्न बीमारियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हुई है इन समूह के माध्यम से ग्रामीण लोगों ने नेतृत्व क्षमता का विकास होता है साथ ही अकेले आंध्र प्रदेश में लगभग 140000 महिला नेतृत्वकर्ताओं का सर्जन किया गया है तमिलनाडु राज्य में ग्रामीण विकास विभाग ने ग्रामीण गरीबों को स्वयं सहायता समूह में संगठित करने की पहल आरंभ की गई है जो सामूहिक रूप से सदस्यों के लिए आजीविका एवं रोजगार प्राप्त करने में सहायता करते हैं समूह के सदस्य नियमित रूप से बचत करते हैं और अपनी बचत को एक सामूहिक कोष के रूप में निर्मित कर एक सामान्य निधि में रखते हैं इस कोष का उपयोग समूह द्वारा विकास पर आधारित एक सामान्य प्रबंधन नीति को लागू करने में लिए किया जा रहा है इन समूह के द्वारा  सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है

Self help Groups-SHGs

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SHGs के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम

समूह के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है स्वयं सहायता समूह है बैंक लिकेज के कार्यक्रम एसके कालिया समिति की सिफारिश तथा नाबार्ड की पहल पर 1992 में एसएचजी बैंक लिंकज कार्यक्रम शुरू किया गया था इस कार्यक्रम के तहत बैंकों में स्वयं सहायता समूह के लिए बचत खाता खोलने की अनुमति प्रदान की गई थी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधार देने की प्रक्रिया भी बैंकों द्वारा की गई प्रियदर्शनी योजना दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना और राष्ट्रीय महिला कोष के माध्यम से विभिन्न समूह को अनेक योजनाओं का लाभ सरकार के द्वारा प्रदान किया जा रहा है

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SHGs आगे की राह 

Self help Groups-SHGs की सामाजिक आर्थिक विकास में भूमिका

समूह ग्रामीण विकास के प्रमुख संचालन की भूमिका निभाते हैं हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहती लेकिन फिर भी स्थानीय स्तर पर इन स्वयं सहायता समूह को बढ़ावा देने के लिए सरकार को सक्रिय सहायता प्रदान करनी चाहिए इन समूह के द्वारा किए जाने वाले कार्यों को समय-समय पर इनकी निगरानी इनके पर्यवेक्षक और नवा चारों के लिए लगातार निगरानी होनी आवश्यक है साथ ही स्थानीय आवश्यकताओं को इन समूह से जोड़ा जाए  इन समूह को लाइसेंस प्रणाली के द्वारा जोड़ा जाना चाहिए कई राज्य में इसके संबंध में अच्छे कार्य हो रहे हैं लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां इन समूह को बढ़ाने की आवश्यकता है वहां बैंकों के द्वारा ऋण उपलब्ध जा आसानी से संभव हो सके इसके लिए नियमों की पुन:परिभाषित करने की भी आवश्यकता है महिला सशक्तिकरण की दिशा में अच्छा प्रयास हो रहा है इन प्रयासों में और अधिक गति देने की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में हम विकसित राष्ट्र की दिशा में तेज गति से बढ़ सकें

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