Law Commission of India//22 विधि आयोग की समीक्षा

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Law Commission of India

Law Commission of India भारत का विधि आयोग समय-समय पर भारत सरकार द्वारा गठित एक गैर सांविधिक निकाय है स्वतंत्र भारत का पहला विधि आयोग वर्ष 1955 में स्थापित किया गया उसमें विधि आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष का होता था स्वतंत्रता पूर्व जो पहली विधि आयोग की स्थापना 1834 में ब्रिटिश राज काल के दौरान वर्ष 1833 का चार्टर अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था  Law Commission of India  इसकी लॉर्ड मैकाले ने की थी हाल ही में केंद्र सरकार ने 7 नवंबर को 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में भारत के 22 में विधि आयोग का गठन कर दिया गया है केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के न्यायमूर्ति टी. शंकरण एम करुणानिधि कानून के प्रोफ़ेसर आनंद पालीवाल डीपी वर्मा और राका आर्य को 22 विधि आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है

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Law Commission of India सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले किसमें विधि आयोग का कार्यकाल 21 अगस्त 2018 को समाप्त हो गया लेकिन 22 में आयोग का गठन में कोविड-19 की महामारी के प्रकोप से ठीक पहले 19 फरवरी 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किए जाने के ढाई वर्ष बाद किया गया है 229 के गठन में देरी के खिलाफ बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी अधिकारी राजपत्र में संविधान के आदेश के प्रकाशन की तारीख से आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा आयोग एक निश्चित कार्यकाल के लिए स्थापित किया गया है विधि आयोग केंद्रीय और न्याय मंत्रालय के परामर्श दात्री निकाय के रूप में के रूप में काम करता है

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 भारत में विधि आयोग स्थापित करने का उद्देश्य।

विधि आयोग कानून और न्याय मंत्रालय के सलाहकार निकाय के रूप में काम करता है शांति विधि आयोग का कार्य कानून संबंधी अनुसंधान और भारत में मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना ताकि उसमें सुधार किया जा सके केंद्र सरकार या स्वप्रेरणा द्वारा इस के संदर्भ में नए कानून बनाए जा सके साथ ही समय-समय पर कानूनों में परिवर्तन करने के लिए परामर्श देना ताकि समय पर उचित कानून का निर्माण किया जा सके।

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 भारत में विधि आयोग के कार्य।

22 में विधि आयोग प्रचलित कानूनों की समीक्षा करना तथा उन कानूनों की पहचान करना जिनकी अब आवश्यकता नहीं है यह आप प्रासंगिक नहीं है जिन्हें तुरंत निरस्त किया जा सकता है उन कानूनों की पहचान करना जो आर्थिक उदारीकरण के मौजूदा माहौल के अनुरूप नहीं हैं और उन्हें बदलाव की आवश्यकता है उन कानूनों की परिवर्तन के लिए सुझाव देना विभिन्न मंत्रालयों विभागों में विशेषज्ञ समूह द्वारा दिए गए संशोधन के  सुझाव पर व्यापक परिप्रेक्ष्य में विचार सामंजस्य स्थापित किया जा सके उन कानूनों की जांच करना जो गरीबी को प्रभावित करते हैं और सामाजिक आर्थिक कानून के लिए पोस्ट ऑडिट करते हैं गरीबों की सेवा में कानून और कानूनी प्रक्रिया का उपयोग करने के लिए आवश्यक सभी उपायों का सुझाव देना यह सुनिश्चित करना कि न्याय प्रशासन की प्रणाली की समीक्षा करना कि यह समय के उचित मांगों के अनुसार उत्तरदाई है

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और विशेष रूप से सुरक्षित करने के लिए कार्डिनल सिद्धांत के मामलों का निर्णय न्याय संगत और निष्पक्ष होना चाहिए  प्रभावित किए बिना विवादों के निपटारे में लगने वाली देरी को समाप्त करना वित्त मामलों की त्वरित सुनवाई करना ताकि मुकदमा वादी में लगने वाली लागत में कमी आ जाए मुक्त मूवी वादों को लंबा खींचने के लिए अपनाए जाने वाली तकनीकी की विभिन्न पहलुओं और उपकरणों को कम करने और साफ करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण किए जाने की दिशा में काम करना ताकि यह अपने आप में एक अंत के रूप में नहीं बल्कि न्याय प्राप्त करने के साधन के रूप में संचालित हो न्याय से संबंधित सभी मामलों में सुधार हो लैंगिक समानता को बढ़ावा देने उनमें संशोधन का सुझाव देने के लिए मौजूदा कानूनओ का परीक्षण करना   खाद्य सुरक्षा बेरोजगारी पर वैश्वीकरण के प्रभाव का परीक्षण करना और हाशिए पर रह रहे लोगों के हितों की सुरक्षा के उपायों की सिफारिश करना कानून और न्याय प्रशासन से संबंधित किसी भी विषय पर सरकार के दृष्टिकोण पर विचार करना और सरकार को बताना  सरकार द्वारा कानून और मंत्रालय के माध्यम से विशेष रुप से विधि आयोग को संदर्भित किया जाए।

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 आयोग की मुख्य सिफारिशें।

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विधि आयोग ने अपनी 262 में रिपोर्ट में आतंकवाद से संबंधित अपराधों और राज्य के खिलाफ युद्ध को छोड़कर सभी अपराधों के लिए मृत्युदंड की सजा को समाप्त करने की सिफारिश की है चुनावी सुधारों पर इसकी रिपोर्ट वर्ष 1999 में शासन में सुधार स्थिरता के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था विधि आयोग ने देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की भी सिफारिश की थी कैदियों की पहचान अधिनियम 1920 की जगह लाए गए आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम 2022 को भी भारत के विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित किया गया था इसलिए विधि आयोग एक महत्वपूर्ण निकाय है जो समय-समय पर सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों की व्याख्या करना उनका मूल्यांकन करना और उनमें संशोधन करने की सिफारिश है केंद्र सरकार को प्रदान करती है

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