Growing Menace of Desertification//सतत भूमि प्रबंधन की आवश्यकता

Growing Menace of Desertification//सतत भूमि प्रबंधन की आवश्यकता

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Growing Menace of Desertification भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां कृषि  एवं संबंधित क्षेत्र में देश की बड़ी श्रम शक्ति नियोजित है 2011 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या का 54.6 प्रतिशत हिस्सा कृषि एवं संबंध गतिविधियों में लगा हुआ है भूमि के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है जिसके माध्यम से ने भोजन आवास तथा अन्य जरूरी सेवाओं की प्राप्ति होती है हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों के लिए जारी परामर्श पत्र में निम्नीकरण भूमि को उत्पादक बनाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बीच समन्वय की सलाह दी गई है भारत सरकार के इस प्रमाण पत्र का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सर्जन के साथ ही भूमि की उत्पादकता को बढ़ावा देना जिसे भूमि निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण पर भी नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा

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मरुस्थलीकरण क्या है 

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Growing Menace of Desertification मरुस्थलीकरण वह प्रक्रिया जिसके द्वारा प्राकृतिक एवं मानव निर्मित कारकों के कारण शुष्क भूमि की जैविक उत्पादकता कम हो जाती है लेकिन इसका मतलब मौजूदा रेगिस्तानओं का विस्तार नहीं है भूमि निम्नीकरण से तात्पर्य भौतिक रासायनिक जैविक कारकों के कारण भूमि की उत्पादकता के अस्थाई या स्थाई अद् पतन होने से हैं भूमि निम्नीकरण मानव एवं प्रकृति दोनों कारण से होता है यह मानवीय गतिविधियों में भूमि की आदरणीय उपयोगिता कृषि रसायनों के अत्याधिक उपयोग आदि के कारण होता है मरुस्थलीकरण भूमि निम्नीकरण का ही एक रूप है जिसके अंतर्गत उपजाऊ भूमि मरुस्थल में तब्दील हो जाती है यह रेगिस्तान के आसपास के क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है इन क्षेत्रों में उपजाऊ मिट्टी को कवर कर लेती है और इसकी समता को प्रभावित करती है राजस्थान में थार मरुस्थल से सटे क्षेत्रों में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर हो रही है। भूमि निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण का बढ़ता हुआ संकट। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहां अधिकांश जनसंख्या कृषि पर डिपेंड रहती है ऐसे  में जहां थार का मरुस्थल है जहां जल संकट बढ़ रहा है मरुस्थलीकरण एवं भूमि संरक्षण एटलस 2021 के अनुसार देश में भूमि निम्नीकरण तथा मरुस्थल करण की समस्या बढ़ रही है देश का लगभग 30% भौगोलिक क्षेत्र भूमि निम्नीकरण से प्रभावित है देश के लगभग सभी राज्यों में पिछले 15 वर्षों में निम्नलिखित भूमि में वृद्धि दर्ज की गई है जिसमें सबसे तेज वर्दी जैवविविधता से संपन्न पूर्वोत्तर राज्य में देखी गई है इसके अनुसार देश में 57.85 मिलियन पहले ही  निम्नीकरत  हो चुकी है इसमें से 3 .32 मिलियन हेक्टर भूमि 2003 /5 से 2018-19 के बीच पिछले 15 वर्षों में हुई है राजस्थान उत्तर प्रदेश और तेलगाना में सबसे अधिकतम भूमि निम्नीकरण है राजस्थान में देश की कुल निम्न करत भूमि का लगभग 22% है लेकिन सरकार के प्रयास से लगभग 388000 हेक्टेयर भूमि को उत्पादक बना दिया गया वहीं झारखंड  राजस्थान दिल्ली गुजरात और गोवा में 50% से अधिक भूमि क्षेत्र मरुस्थलीकरण नियंत्रण से गुजर रही है केरल असम मिजोरम हरियाणा बिहार उत्तर प्रदेश पंजाब और अरुणाचल प्रदेश में 10% से कम भूमि वाले राज्य है।

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भूमि निम्नीकरण एवं मरुस्थलीकरण के कारण।

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सर्वविदित है कि वृक्ष पारिस्थितिकी संतुलन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षों के काटे जाने के उपरांत सूखा एवं हीट स्ट्रेस की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है भूमि निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण का कारण बनता है नवीनीकरण के कारण मिट्टी सीधे वर्षा तेज आदि वायु के संपर्क में आ जाती है जो मर्दा और भूमि  अनुप्रयोग  का कारण बनता है अधिक चराई यह भूमि की उपयोगिता उत्पादकता और जैव विविधता  को कम करती है 2005 और 2015 के बीच भारत ने 31%घास के मैदान को खो दिए काटो और जलाओ कृषि पद्धति मिट्टी के कटाव के खतरे को पढ़ाती है  उर्वरकों का प्रयोग का अति प्रयोग और अतिवृष्टि मिट्टी की खनिज रचना को असंतुलित करती है  जलवायु परिवर्तन के कारण भी तापमान वर्षा सौर विकरण और हवाओं में स्थानिक और अस्थाई पैटर्न के परिवर्तन के माध्यम से मरुस्थलीकरण को बढ़ावा मिलता है प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ सूखा भूस्खलन पानी का शरण उपजाऊ मिट्टी का विस्थापन पानी का कटाव हवा का कटाव   हवा द्वारा रेत का अतिक्रमण कर भूमि की और  उर्वरक क्षमता को कम कर देता है

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मरुस्थलीकरण के प्रभाव।

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मिट्टी की उर्वरता  एवं फसल उत्पादकता का कम होना नदी में गाद की समस्या होना मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना क्योंकि मात्रात्मक रूप से अगर क्षमता नहीं होगी तो निर्धारित प्रोटींस और विटामिंस हमें नहीं मिल पाएंगे इसलिए मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन क्योंकि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ती मात्रा को देख कर के वैश्विक ताप और जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न हो गई है पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव क्योंकि मिट्टी का कटाव हो रहा है प्राकृतिक पोषक तत्वों की कमी हो रही है जल का जमा हो रहा है लवणता पड़ रही है भूजल और सताई जल के दूषित होने से जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है मनुष्य का स्वास्थ्य खराब हो रहा है इन सभी कारणों से पर्यावरण दूषित हो रहा है और भूमि बंजर होती जा रही साथी भारत जैसे विकासशील देश में जहां अधिक जनसंख्या कृषि पर आश्रित है वहां  गरीबों के लिए जीविका चलाना मुश्किल हो जाएगा है

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 मरुस्थलीकरण एवं भूमि निम्नीकरण के रोकथाम के प्रयास।

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कमांड एरिया डेवलपमेंट इसके तहत सिंचाई  में सुधार कौशल जल प्रबंधन के माध्यम से कृषि उत्पादन के लिए अनुकूल के लिए 1974 में से लांच किया गया था जल संसाधन मंत्रालय द्वारा संबंधित राज्य सरकारों के साथ कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया जाता है एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम जो 1989 में लांच किया गया इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सर्जन के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और विकास करके पारिस्थितिकी संतुलन को बहाल करना इसे 2003 में हरियाली दिशानिर्देश के रूप में नामांकित किया गया था अभी से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2015 से 2020 के अधीन रखा गया है जिसे नीति आयोग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है

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डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम 1995 में सूखे के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और चिन्हित किए गए रेगिस्तानी क्षेत्रों के प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर फिर से जीवित करने के प्रयास शुरू किए गए यह राजस्थान गुजरात हरियाणा के गर्म रेगिस्तान एरिया और जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के ठंडे रेगिस्तान क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्य किया जा रहा है 1994 में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टो कॉम्बैट डिजरटिफिकेशन का कर्ता बन गया और 1996 में इसकी पुष्टि भी हो नदी घाटी परियोजनाओं और बाढ़ आने वाली नदियों से मिट्टी का संरक्षण किया गया राष्ट्रीय वनीकरण  कार्यक्रम 2000 में शुरू हुवा।  चारा और विकास योजना इसे 2010 में लांच किया गया इसका उद्देश्य निम्नीकरण घास के मैदानों में सुधार करना इसमें मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा  उसे कार्यान्वित किया जा रहा है

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मरुस्थलीकरण निवारण के उपाय।

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कृषि में  फसल चक्र को प्रभावी बनाना कृषि में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद  प्रयोग करना सिंचाई के नवीन और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना जैसे-जैसे बूंद बूंद सिंचाई आदि मरुस्थलीकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाएं अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाएं कॉर्पोरेट कंपनियों को कॉरपोरेट सोशल के तहत वृक्षारोपण का कार्य सौंपा जाना चाहिए।

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 आगे की दिशा

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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को स्थिर करने वन्य प्रजातियों को बचाने और समस्त मानव जाति की रक्षा के लिए मरुस्थलीकरण को समाप्त करना होगा जंगल की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है और दुनिया भर के लोगों और सरकारों को इसे निभाने चाहिए  प्रत्येक मनुष्य यह प्रण लेकर कि मुझे एक वृक्ष लगाना है हम मरुस्थलीकरण को कम कर पाएंगे धरती को पुनः हरी-भरी कर पाएंगे

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