Suicide a Curse// एक अभिशाप क्यों है?

Suicide a Curse

आत्महत्या क्यों

Suicide a Curse  मनुष्य इस सृष्टि की एक अनुपम रचना है मनुष्य सभी जीवों में सबसे बुद्धिमान प्राणी है मनुष्य लगातार उन्नति कर रहा है इसलिए बीच में मनुष्य ऐसे कदम उठा रहे हैं जो कदम आने वाले समय के लिए एक बड़ा अभिशाप है देश नहीं दुनिया में अकेलेपन अवसाद और समझते के मामले लगातार बढ़ रहे हैं मानसिक अशांति  तनाव अवसाद आदि की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं लाखों लोग आत्महत्या कर रहे हैं पिछले साल दुनियाभर में 8 लाख लोगों ने आत्महत्या की और हमारे देश में 1,640,33 लोगों ने आत्महत्या की अपनी दुनिया में हर साल आत्महत्या से लगभग लाखों लोग जान गवा रहे है अन्य होने वाली किसी भी कारण मौत उसे यह संख्या 50% है इसीलिए दुनिया भर के लोगों को जागरूक करने के लिए 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर सेकंड में कोई न कोई व्यक्ति खुदकुशी करने की कोशिश करता है

Suicide a Curse

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और हर 40 सेकंड में कोई न कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है सिनेमा या टेलीविजन के पर्दे पर एक सशक्त किरदार के तौर पर जिंदगी के लिए संघर्ष का संदेश देने वाले लोग ही जब व्यक्तिगत मोर्चे पर हार कर खुदकुशी कर लेते हैं। पिछले कुछ सालों में सुशांत सिंह राजपूत, वैशाली ठक्कर, आसिफ बसरा और कुशल पंजाबी से लेकर परीक्षा मेहता जैसे अनेक कलाकारों ने कम समय में ही बालीवुड या टेलीविजन में अभिनय की दुनिया में अपनी अच्छी पहचान बनाई थी, लेकिन अचानक उनके आत्महत्या कर लेने की खबरें आर्इं। Suicide a Curse निश्चित रूप से खुदकुशी सबसे तकलीफदेह हालात के सामने हार जाने का नतीजा होती है और ऐसा फैसला करने वालों के भीतर वंचना का अहसास, उससे उपजे तनाव, दबाव और दुख का अंदाजा लगा पाना दूसरों के लिए मुमकिन नहीं है। तो आम मनुष्य जो अपनी जीवन में हमेशा हारा ही हुआ महसूस करता हैं क्यूँ की असीमित सपने की उड़ान जब उसके सपने में पंख लगते हैं तो लाजिमी है उसका हार मानना। अभी हाल ही में, पिछले हफ्ते टीवी धारावाहिकों की एक अभिनेत्री काम की जगह पर ही फंदे से लटकी मिली। सिर्फ इक्कीस साल की उम्र में उसकी इस तरह मौत किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को परेशान करने वाली है। इतनी कम आयु में ही उसने धारावाहिक और मनोरंजन जगत में अच्छी पहचान बना ली थी।

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अभी उसके सामने लंबी जिंदगी, मौके और खुला आसमान था, जहां वह भविष्य की ऊंची उड़ान भर सकती थी। तो उससे केवल उस व्यक्ति के मनोबल की कमजोरी जाहिर नहीं होती। वह एक समाज या समुदाय की बहुस्तरीय नाकामी का उदाहरण होता है। मुंबई का फिल्म और टीवी उद्योग पिछले कई सालों से इस समस्या से दो-चार है कि सिनेमा में हंसता-खेलता और सार्वजनिक जीवन में लोगों का पसंदीदा बन गया कलाकार किसी दिन अचानक खुदकुशी कर लेता है। कलाकार भी आखिर इंसान होते हैं और उनकी जिंदगी के तनाव और दबाव भी कई बार इस कदर जटिल हो सकते हैं, जिसमें आखिरकार वे हार जाएं। पर सवाल है कि साधारण लोगों की दुनिया के मुकाबले संगठित रूप से काम करने वाले फिल्म या टीवी धारावाहिकों के उद्योग ने इतने सालों के सफर के बावजूद ऐसा तंत्र विकसित क्यों नहीं किया है, जिसमें बेहद मुश्किल हालात का सामना करता कोई कलाकार अपने लिए जिंदगी की उम्मीद देख पाए।

जलवायु सम्मेलन कॉप 27

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लोग आत्महत्या करते ही क्यों है?

मनुष्य जगत का सबसे बुद्धिमान प्राणी है लेकिन यह कल्पना करना मुश्किल है कि किसी मित्र परिवार के सदस्य या सेलिब्रिटी को किस चीज ने आत्महत्या के लिए प्रेरित किया हो सकता है कि कोई स्पष्ट चेतावनी संकेत ना हो और आपको आश्चर्य हो सकता है कि आप ने किन संकेतों को अनदेखा कर दिया हो अक्सर कई कारकों की वजह से कोई व्यक्ति अपना जीवन लेने का निर्णय कर सकता है और अधिकांश लोग आत्महत्या करने की योजना बनाने के बजाए अचानक फैसला ले लेते हैं कारण उनके निर्णयों को प्रभावित करते हैं जिनमें प्रमुख रूप से अवसाद एक हैं अवसाद में लोग भावनात्मक कष्ट  के साथ ही किसी से उम्मीद भी छोड़ देते हैं और उन्हें लगता है कि अब जीने का उनके सामने कोई मकसद नहीं है

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अब उनके जीवन में कुछ भी बाकी नहीं रहा मरने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं ना कोई उन्हें समझ सकता जब ऐसे विचार उनके मस्तिष्क में आना शुरू कर देते हैं तो फिर बहुत कम समय में वह व्यक्ति वह कदम उठा लेता है जिससे उसकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है अगर ऐसे लक्षण को हमें पता चलता है तो हमें पेशेवर मनोचिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए साथ  ही नशा भावेश अकेलापन ड्रग अल्कोहल पारिवारिक ले बेरोजगारी तलाक प्रेम में विफलता गरीबी मानसिक स्वास्थ्य आदि कई कारण होते हैं जिसके कारण वह व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है लेकिन जब ऐसे विचार मस्तिष्क के अंदर आ रहे हैं तो वह समय बहुत नाजुक होता है और उस समय अगर उसे पेशेवर सहायता मिल जाए या उसकी काउंसलिंग हो जाए तो हो सकता है वह व्यक्ति उस दौर से निकल भी सकता है आत्महत्या को कैसे रोका जाए। हम अपने आसपास रहने वाले मित्र या परिवार के का कोई भी सदस्य आपको लगता है कि उनके व्यवहार में कुछ परिवर्तन हो रहा है और वह परिवर्तन मैं ऐसे विचार आपको देखने आया सुनने को मिल रहे हैं तो आप उससे बात करने का प्रयास कर सकते हैं साथ ही ऐसे काउंसलर जो मनोविज्ञान से रिलेटेड हो उनसे उनकी काउंसलिंग करवा सकते हैं साथ ही वह विचार क्यों आ रहे हैं उनके मन मस्तिष्क में उन कारणों को जान सकते हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास कर सकते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए उनकी निगरानी करने वाला कोई न कोई हो जब तक की वह उस मनुष्य से बाहर नहीं आ जाए उसको अपने सहज किस प्रकार कर सकते हैं उस दिशा में प्रयास करना चाहिए ताकि ऐसे विचार उसके मन मस्तिष्क में उत्पन्न नहीं हो देशभर में संचालित कई एजेंसियां है जो अपनी हेल्पलाइन चलाती हैं एजेंसियों से मदद ले सकते हैं सभी मिलकर इस दिशा में प्रयास करते हैं तो निश्चित रूप से आने वाले समय में आत्महत्या के आंकड़ों में काफी कमी देखने को मिल सकती है

India-Tajikistan Relations

आत्महत्या एक अभिशाप क्यों है?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से जुड़ी हालिया प्रकाशित रिपोर्ट में

यही बात कही गई है। देर से ही सही, लेकिन अब यह रणनीति सार्वजनिक वृत्त में उपलब्ध है। इसमें देश में बड़ी तादाद में हो रही आत्महत्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। साथ ही, 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौत को 10 फीसदी कम करने की दिशा में कदम उठाने की बात की गई है। इसमें समयबद्ध कार्य योजना के साथ आगे की प्रगति को मापा गया है और भारत के अलग-अलग जमीनी हालात की गंभीर वास्तविकताओं को ध्यान में रखा गया है। समस्या वाकई विकराल है। लक्ष्य बनाकर हस्तक्षेप करने और इससे जुड़े कलंक को कम करने की रणनीतियों के बिना, विकट सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट आना तय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के मुताबिक, पूरी दुनिया में 15-29 आयुवर्ग के लोगों के बीच आत्महत्या, मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है और 15-19 साल की लड़कियों के बीच भी यह मौत का दूसरा बड़ा कारण है। भारत में हर साल एक लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। बीते तीन साल में, प्रति एक लाख आबादी में आत्महत्या की दर 10.2 फीसदी से बढ़कर 11.3 फीसदी हो गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में आत्महत्या का प्रतिशत (2018-2020) सबसे ज्यादा है। इन राज्यों में यह दर 8 फीसदी से 11 फीसदी के बीच है। इसका सबसे बड़ा कारण पारिवारिक समस्या और बीमारियां हैं। अन्य कारणों में वैवाहिक कलह, प्रेम संबंध, दिवालियापन, माद्रक द्रवों का सेवन और उस पर निर्भरता शामिल हैं। लगभग 10 फीसदी मामलों में आत्महत्या के कारण का पता नहीं चलता। महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों की मान्यताओं के उलट इस दस्तावेज में यह बताया गया है कि ज्यादातर आत्महत्याओं को रोका जा सकता है।

आत्महत्या का निवारण कैसेSuicide a Curse

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रणनीति में साक्ष्य-आधारित तरीकों को अपनाने की बात कही गई है, ताकि आत्महत्याओं की तादाद को कम किया जा सके। यह डब्लूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशियाई प्रांत से जुड़ी रणनीति से प्रेरित है। इसके अलावा, एक समावेशी रणनीति बनाने और आत्महत्याओं की संख्या में इच्छित कमी लाने के लिए कई सेक्टरों के साथ गठजोड़ बनाया गया है। मगर किसी भी स्थिति में जीवन खो देने के बजाय हालात से लड़ना और उसका हल निकालना ही बेहतर रास्ता होता है। ऐसी घटनाएं सामने आने के बाद बिना किसी ठोस आधार के कई बार कुछ विवाद खड़े हो जाते हैं। पर मुख्य सवाल यही रह जाता है कि आमतौर पर सभी सुविधाओं से लैस, अपने आसपास कई स्तर पर समर्थ लोगों की दुनिया में सार्वजनिक रूप से अक्सर मजबूत दिखने के बावजूद कोई  व्यक्ति भीतर से इतना कमजोर क्यों हो जाता है कि जिंदगी के उतार-चढ़ाव या झटकों को बर्दाश्त नहीं कर पाता? जाहिर है, सामाजिक प्रशिक्षण के अलावा सामुदायिक स्तर पर एक ऐसे ठोस तंत्र की जरूरत है, जहां अपने सबसे मुश्किल और जटिल हालात में पड़ा कोई व्यक्ति बिना किसी संकोच या बाधा के अपने लिए संवेदनात्मक जगह महसूस कर सके और एक बार फिर से जीना शुरू कर सके। 

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आत्महत्या एक अभिशाप क्यों है?

सत्य की राह /path of truth#कितना मुश्किल

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