जैन समुदाय//सम्मेद शिखर नहीं बनेगा पर्यटन स्थल

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  1. जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया। पर्यावरण मंत्रालय ने इसे लेकर दो पेज की चिट्ठी जारी की। इसमें लिखा है, ‘इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।’जैन समुदाय
  2. सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से जैन समुदाय आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण भी त्याग दिया था।जैन समुदाय
  3. सम्मेद शिखर क्या है?

  4. श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरिडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। ‘श्री सम्मेद शिखरजी’ के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों ने यहां पर मोक्ष प्राप्त किया था। 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है।

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    सम्मेद शिखरजी का विवाद क्या है?

  5. सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। जैन समुदाय
  • जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। साल 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को ईको पर्यटन स्थल घोषित करने का एलान किया था. इसकी सिफारिश झारखंड सरकार की तरफ से की गई थी. जिसके बाद फरवरी 2022 में राज्य सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी इसके साथ ही देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी इस सूची में शामिल किया गया।उसी साल अगस्त में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में “पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता” है। अब सरकार के इसी फैसले का विरोध हो रहा था। गुरुवार को केंद्र सरकार ने तीन साल पुराने इसी आदेश को वापस लिया है।
  • विरोध कर रहे जैन समुदाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी भड़के हुए हैं।

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  • पिछले दिनों इस मामले को लेकर जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में महारैली का भी आयोजन किया गया। इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। लोकसभा में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया। कहा, ‘झारखंड सरकार के फैसले का सीधा असर सम्मेद शिखर की पवित्रता पर पड़ा है। जैन लोग चाहते हैं कि इस आदेश को रद्द किया जाए।’
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    इस पूरे मामले में झारखंड सरकार का क्या कहना है?

  • झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सम्मेद शिखरजी को लेकर नोटिफिकेशन भाजपा सरकार के वक्त जारी हुआ था। हम मामले को देख रहे हैं। वहीं, सोरेन की पार्टी झामुमो ने कहा कि केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। भाजपा अब लोगों को गुमराह कर रही है। वहीं, भाजपा का कहना है कि जब झारखंड में भाजपा की सरकार थी, तब सम्मेद शिखरजी को तीर्थस्थल घोषित किया गया था। इसके संरक्षण के लिए काम किया गया था। अब झामुमो सरकार इसे खंडित करने और जैन समुदाय के लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।
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    प्रशासन इसे लेकर क्या कर रहा है?

  2. गिरिडीह के डीसी ने कहा कि शिखरजी के पदाधिकारियों के साथ 22 दिसंबर को एक बैठक की गई थी। बैठक के दौरान इन लोगों ने आश्वासन कि इस जगह के पवित्रता को बरकरार रखा जाएगा। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हमने वहां पुलिस बल भी तैनात कर दिया है।जैन समुदाय
  3. जैन समुदाय द्वारा लगातार किये जा रहे विरोध के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाए जाने के आदेश को वापस ले लिया. इस फैसले के बाद जैन समाज ने खुशी जताई है और सरकार का आभार जताया है. देशभर में जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहे थे. जैन समुदाय को विपक्ष के कई नेताओं का भी साथ मिला था. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी
  • महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर बताया कि उद्धाव ठाकरे ने दो दिन पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की थी और जैन समुदाय से जुड़े इस मामले में भ्रम दूर करने के लिए उनसे हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था
  • राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से बातचीत की थी. सचिन पायलट ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी को पत्र लिखकर जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने से जैन समाज में रोष के प्रति उन्हें अवगत कराया. पायलट ने मंत्री से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे.
  • वहीं, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिखी थी. सीएम ने जैन अनुयायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर की सुचिता बनाये रखने के लिए समुचित फैसला लेने का आग्रह किया था

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    आखिर क्यों बैकफुट पर आई केंद्र सरकार?

  • केंद्र सरकार द्वारा सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले को वापस लेने के पीछे कई कारण हो सकते हैं.  सबसे पहला कारण तो यह है कि इसी साल राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जबकि अगले साल लोकसभा का चुनाव है. ऐसे में सरकार नहीं चाहती की जैन समुदाय को नाराज किया जाए. देश में जैन समाज भले ही एक अल्पसंख्यक समाज हो लेकिन आर्थिक रूप से यह समुदाय काफी समृद्ध माना जाता है. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कई अहम पदों पर इस समुदाय के लोग प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • सम्मेद शिखर को पर्टनय स्थल बनाने का विरोध कर रहे जैन संत सुग्येसागर का 3 जनवरी 2023 को जयपुर में निधन हो गया था. वह झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिनों से अनशन पर थे. अनशन के दौरान उनके निधन के बाद जैन समुदाय और ज्यादा नाराज हो गया और उन्होंने अपना आंदोलन और ज्यादा तेज कर दिया.जैन समुदाय
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    जैन समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है सम्मेद शिखर

  2. शिखरजी जैन धर्म के अनुयायिओं के लिए एक महतवपूर्ण तीर्थ स्थल है। पारसनाथ पर्वत विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों जैन धर्मावलंबियों आते है, साथ-साथ अन्य पर्यटक भी पारसनाथ पर्वत की वंदना करना जरूरी समझते हैं। गिरिडीह स्टेशन से पहाड़ की तलहटी मधुवन तक क्रमशः 14 और 18 मील है। पहाड़ की चढ़ाई उतराई तथा यात्रा करीब 18 मील की है। सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहाँ मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह ‘सिद्धक्षेत्र’ कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात् ‘तीर्थों का राजा’ कहा जाता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। यह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ है। इसे ‘पारसनाथ पर्वत’ के नाम से भी जाना जाता है।                                                                                                                     SURCES  THE HINDU

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