Joshimath//जोशीमठ पर मंडराया अस्तित्व का खतरा

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  • जोशीमठ पर मंडराया अस्तित्व का खतरा
  • उत्तराखंड में स्थित जोशीमठ शहर आज विश्व पटल पर चर्चित स्थान बन गया है और बनने की वजह Joshimath के लिए बहुत बड़ा दर्द की अनुभूति देने वाला है जोशीमठ शहर में इमारतों में आ रही दरार के कारण वहां के लोगों को भयंकर कर डराने वाली अनुभूति हो रही है वहां के लोगों में डर के वातावरण में जीवन जी रहे हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकार दोनों एक्टिव मोड में आ गई है और प्रशासन सबसे पहले उन घरों और होटलों का गिराने का काम शुरू कर दिया है जिनमें यह दरारें आ गई है Joshimathमें इमारतों को गिराने का काम केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों की एक टीम के निर्देशानुसार किया जा रहा है SDRF कमांडेंट मणिकांत मिश्रा के अनुसार जिन होटलो को गिराया जाना है उनको चरणबद्ध तरीके से गिराया जाएगा क्योंकि जमीन धंसने के कारण यह होटलें टेडी मेडी हो गई है और दोनों होटलें एक दूसरे के बेहद करीब आ गई है चमोली डीएम के अनुसार जिन इमारतों  मैं दरारे आ गई है उन्हें खाली करवा ली गई है और उन इमारतों के आसपास के क्षेत्र को बफर जोन में शामिल किया गया है 10 जनवरी 2023 को रुड़की से एक टीम और आ गई है और वह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि कौनसी इमारतों को गिराना है
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  • जोशीमठ क्यों प्रसिद्ध है
  • भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ एक पवित्र स्थल है जो समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर हिमालय की पर्वत मालाओं से घिरा हुआ शहर है यह हिंदू धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र रहा है जोशीमठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में जिन चार मठों की स्थापना की थी उनमें से एक है यह कामाप्रयाग क्षेत्र में स्थित है जहां धौलीगंगा और अलकनंदा नदी का मिलन होता है साथ ही पर्यटकों के लिए जोशीमठ के ऊपर के इलाकों के लिए ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध करवाता है और यहां से हम फूलों की घाटी की ओर ट्रैकिंग करते हुए जाते हैं यहां स्थित 1200 वर्ष पुराने  कल्पवृक्ष मौजूद है जहां आदि गुरु शंकराचार्य ने घोर तपस्या की थी Joshimath से 24 किलोमीटर दूर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क स्थित है 1988 में विश्व विरासत स्थल घोषित हो चुका है केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वालों के लिए भी जोशीमठ का विशेष महत्व है Joshimath
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  • जोशीमठ में आई विपत्ति के लिए एनटीपीसी ने क्या कहा।
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के कार्यों की वजह से जोशीमठ में नुकसान हुआ है और वहां की इमारतों में आई दरारों के कारण एनटीपीसी के पावर प्रोजेक्ट को माना जा रहा है एनटीपीसी के अधिकारियों का कहना है कि जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन का कारण सुरंग नहीं है गौरतलब है कि सरकारी कंपनी एनटीपीसी ने कहा है तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना की सुरंग का जोशीमठ संकट से कोई लेना देना नहीं है सुरंग की वजह से भूस्खलन नहीं हुआ है क्योंकि जोशीमठ के नीचे से सुरंग नहीं गुजर रही है यह  सुरंग बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है और वर्तमान में इसमें कोई ब्लास्टिंग नहीं की जा रही है सुरंग नदी के पानी को संयंत्र की टरबाइन तक ले जाने के लिए  है
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  • लेकिन TBM के उल्लंघन ओं का  इतिहास रहा है  द इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा एक्सेस  के आधार पर आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2009 के बाद तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रिल प्रयोजना की सुरंग के अंदर TBM चट्टान में टूट गईं है और यह 900 मीटर की गहराई में फस गया था इसके कारण वहां के क्षेत्र में हाई प्रेशर बना जिससे पानी भी सतह पर आ गया था इसके कारण वहां पेयजल समस्या आई थी फिर स्थानीय नागरिकों का विरोध के कारण 2010 में एनटीपीसी स्थानीय लोगों की मांगों पर सहमत हुआ गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक एमटीएस बिष्ट और पीयूष रौतेला के अनुसार TBM के कारण हुई ऐसी घटनाओं से जमीन धसने स्थिति शुरू हो सकती है चार धाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सदस्य डॉ हेमंत ध्यानी ने कहा जब दिसंबर 2009 में एनटीपीसी के पावर प्रोजेक्ट की TBM की वजह से जोशीमठ में पानी की स्थिति को प्रभावित किया था तो कंपनी में कैसे दावा कर सकती है की वर्तमान परियोजना सुरंग को भूस्खलन से नहीं जोड़ा जाए Joshimath
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  • जोशीमठ की समस्या आज की नहीं है।
  • जोशीमठ में बार-बार होने वाले भूस्खलन पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्थर और रेत के जमाव पर स्थित है और एक टाउनशिप के लिए उपयुक्त जगह नहीं है यहां होने वाली ब्लास्टिंग और भारी ट्रैफिक के कारण प्राकृतिक कारकों में भी असंतुलन पैदा होता है ढलान  पर की जाने वाली खेती भी भूस्खलन को जन्म देती है साथ ही अलकनंदा और धौली गंगा नदी की धाराओं से होने वाले कटाव के कारण साथ ही बारिश और बर्फ पिघलने के कारण पहाड़ों की धुलाई और पानी का रिसाव लगातार होता रहता है पहाड़ों के धुलने के कारण चट्टानों में घुसने वाला पानी फिर से अलग हो जाता है जोशीमठ शहर के भूस्खलन और डूबने के कारणों की जांच के लिए गढ़वाल मंडल के तत्कालीन कमिश्नर महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ था 7 मई 1976 को उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था भारी  निर्माण कार्य दलालों पर कृषि पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध आदि लगाने का सुझाव दिया था साथ ही बारिश से होने वाले रिसाव को रोकने के लिए पक्की जल निकासी का निर्माण करना सीवरेज सिस्टम और नदी के किनारों पर सीमेंट ब्लॉक बनाने का सुझाव दिया था ताकि कटाव को रोका जा सकेJoshimath
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  •  इंडियन एक्सप्रेस द्वारा समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है क्षेत्र भूगर्भीय अस्थिर है जिसके कारण लगातार भूस्खलन होता है जोशीमठ के अस्तित्व के खतरे का क्या कारण है। कैलाश चंद्र सेन ने कहा है जोशीमठ में जो आपदा अभी आई है उसके कारण आज नहीं है बहुत पहले से विद्यमान है और ऐसे होने में बहुत लंबा समय लगा है जोशीमठ शहर का विकास एक सदी से पहले भूकंप से हुए भूस्खलन के मलबे पर विकसित किया गया था दूसरा यह कि जोशीमठ अत्यधिक भूकम्प क्षेत्र जॉन 5 में आता है और तीसरा कि यहां लगातार पानी बहता रहता है जिसने चट्टानों को कमजोर करता है इन्हीं कारणों से वहां की चट्टानें अस्थिर हो गई है यह परिवर्तन देखने को मिल रहा है साथ ही विकास के आधार पर नए राजमार्ग का निर्माण और एनटीपीसी के प्रोजेक्ट भी कहीं ना कहीं इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं
  • जलवायु सम्मेलन कॉप 27
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  • प्रकृति के साथ खिलवाड़ का भी नतीजा आज जोशीमठ भुगत रहा है
  • कहा जाता है कि प्रकृति अपने आप संतुलन पैदा करती है और मनुष्य अपने उत्तरोत्तर विकास के लिए प्रकृति के साथ हमेशा छेड़छाड़ करता है दिन प्रतिदिन बढ़ती जनसंख्या के कारण और बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी के कारण हमने दूरदराज के क्षेत्रों के लिए साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी पहुंच के लिए हम राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कर रहे हैं साथ ही कई पावर प्रोजेक्ट ओं का निर्माण कार्य चल रहा है उनके कारण हम लगातार पहाड़ों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं जिसके कारण पहाड़ों में भी असंतुलन पैदा हो रहा है क्योंकि सभी पहाड़ों कि रचना एक सम्मान नहीं होती है कुछ कच्चे पहाड़ होते हैं जो आसानी से भूस्खलन का शिकार हो सकते हैं और पहाड़ी क्षेत्र में की जाने वाली  सीढीनुमा कृषि की वजह से वहां के वनों को साफ किया जा रहा है जिसके कारण कटाव हो रहा है और बर्फबारी होने के कारण पहाड़ों से लगातार पानी का रिसाव होता रहता है और नदियों के द्वारा लगातार कटाव होने के कारण क्षेत्र में असंतुलन पैदा होता रहता है यही कारण है कि आज जोशीमठ शहर में जिस संकट का सामना करना पढ़ रहा है उसके लिए कहीं ना कहीं हमारे विकास कार्य भी जिम्मेदार हैं इसलिए प्रकृति के साथ हमें खिलवाड़ नहीं करना चाहिए साथ ही पर्यावरण संतुलन बना रहे  इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए ताकि सुरक्षित विकास भी किया जा सके और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ भी नहीं होJoshimath
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  • आगे की दिशा।
  • केंद्र और राज्य सरकार दोनों आपस में मिलकर के जोशीमठ में आई विकट स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जिन होटलों में दरारें आई है और जिन घरों में यह स्थिति उत्पन्न हुई है उनकी लगभग संख्या 600 के आसपास है वहां से लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है और वहां के इलाके को बफर जोन बना दिया गया है  एनटीपीसी के तपोवन प्रोजेक्ट को अभी तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है जोशीमठ औली रोपवे का संचालन भी आगामी आदेश तक रोक दिया गया है और स्थानीय प्रशासन लगातार मिलकर कार्य कर रहे हैं और इस स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं किसी भी प्रकार से भय की स्थिति उत्पन्न नहीं हो उसके लिए समुचित प्रयास किए जा रहे हैं   SORCESS THE HINDU

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