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Ram Setu
- संदर्भ: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट नेRam Setu केंद्र सरकार को 'रामसेतु' को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए
प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए चार सप्ताह का समय प्रदान किया है।
राम सेतु
यह भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर रामेश्वरम और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट के पास मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की 48 किलोमीटर लंबी श्रृंखला है।
वैज्ञानिकों का मानना है, कि राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना है जो विवर्तनिक हलचलों और कोरल में फंसी रेत के कारण बनी है।
भौगोलिक प्रमाणों के अनुसार, किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू-मार्ग से आपस में जोड़ता था।
यह मन्नार की खाड़ी को पाक जलडमरूमध्य से अलग करता है।
इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, जो नौगमन को मुश्किल बनाता है।
यह कथित रूप से 15वीं शताब्दी तक पैदल पार करने योग्य था, जब तक कि तूफानों ने इसको गहरा नहीं कर दिया।
इस सेतु का उल्लेख सबसे पहले वाल्मीकि द्वारा रचित प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य रामायण में किया गया था।
कालीदास ने अपनी पुस्तक रघुवंश में भी इस सेतु का उल्लेख किया है।
अलबरूनी ने भी अपनी किताब में इसका वर्णन किया है।
9वीं शताब्दी में इब्न खोरादेबे द्वारा अपनी पुस्तक " रोड्स एंड स्टेट्स (850 ई) में इसका उल्लेख सेट बन्धई या "ब्रिज ऑफ़ द सी" नाम से किया गया है। - भारत-UAE संबंध
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Ram Setu
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सेतुसमुद्रम जहाजरानी नहर परियोजना
इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 1860 में अल्फ्रेड डंडास टेलर ने की थी।
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सेतुसमुद्रम जहाजरानी नहर परियोजना द्वारा भारत एवं श्रीलंका के मध्य पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी को जोड़ने का प्रस्ताव है।
इसके द्वारा सेतुसमुद्रम क्षेत्र के छिछले सागर में एक जहाजरानी उपयुक्त नहर बनाकर भारतीय प्रायद्वीप की परिधि पर एक नौवहन मार्ग बनाया जायेगा।
अभी यह मार्ग छिछले सागर एवं उसमें स्थित द्वीपों एवं चट्टानों की श्रृंखला के कारण सुलभ नहीं है।
यह परियोजना, भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच यात्रा के समय को भी कम करेगी, क्योंकि जहाजों को बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के बीच
यात्रा करने के लिए श्रीलंका का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।
इस परियोजना के तहत रामसेतु के चूनापत्थर की शिलाओं को तोड़ा जायेगा, जिसके कारण कुछ संगठनों ने विरोध जताया है, उनके अनुसार, इससे
हिन्दुओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचेगी।
पर्यावरण के आधार पर भी इस परियोजना का विरोध किया गया है, यह नौवहन मार्ग समुद्री जीवन को भी नुकसान पहुंचाएगा, और शैलों की खुदाई
भारत के तट को सुनामी के प्रति अधिक संवेदनशील बना देगी। - Narco Test
- Ram Setu
- संरक्षण की आवश्यकता
मन्नार की खाड़ी में थूथुकुडी और रामेश्वरम के बीच कोरल रीफ प्लेटफॉर्म को 1989 में समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया गया था।
वनस्पतियों और जीवों की 36,000 से अधिक प्रजातियां वहां रहती हैं, जो मैंग्रोव और रेतीले तटों से घिरी हुई हैं, जिन्हें कछुओं के घोंसले के लिए अनुकूल -
Ram Setu
- माना जाता है।
यह मछलियों, झींगा मछलियों, झींगों और केकड़ों का प्रजनन स्थल भी है।
यह क्षेत्र पहले से ही थर्मल प्लांटों से निकलने वाले पानी, नमक के ढेरों से नमकीन पानी और कोरल के अवैध खनन से खतरे में है।
सेतुसमुद्रम जहाजरानी नहर परियोजना, यदि यह एक वास्तविकता बन जाती है, तो इस संवेदनशील वातावरण और यहां के लोगों की आजीविका के
नकारात्मक रूप से प्रभावित होने की संभावना है। - Ram Setu
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भू-विरासत परिप्रेक्ष्य
महत्वपूर्ण भूगर्भीय विशेषताओं की प्राकृतिक विविधता को संरक्षित करने के लिए भू-विरासत प्रतिमान का उपयोग प्रकृति संरक्षण में किया जाता है।
- सामयिक विषयदिसंबर 2022
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भू-विविधता, जिसमें विभिन्न भू-आकृतियाँ और गतिशील प्राकृतिक प्रक्रियाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं, मानवीय गतिविधियों और सुरक्षा की आवश्यकता
से खतरे में है। -
Ram Setu
- किसी देश की प्राकृतिक विरासत में उसकी भूवैज्ञानिक विरासत शामिल होती है।
भूविज्ञान, मिट्टी और भू-आकृतियों जैसे अजैविक कारकों के मूल्य को भी जैव विविधता के लिए सहायक आवासों में उनकी भूमिका के लिए मान्यता प्राप्त है।
राम सेतु एक घटनापूर्ण अतीत की अनूठी भूवैज्ञानिक छाप रखता है, इस विशेषता पर भू-विरासत दृष्टिकोण से विचार करना भी महत्वपूर्ण है।
राम सेतु को ना केवल एक राष्ट्रीय विरासत स्मारक के रूप में संरक्षित करने की आवश्यकता है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिभाषित एक भू-विरासत
संरचना के रूप में भी इसका संरक्षण किया जाना चाहिये। -
Ram Setu
- स्रोत: द हिंदू TRELETED LINK
- चुनाव आयुक्त
- The first of the four: On the 2023 Australian Open