किशोरावस्था //संघर्ष और तूफान का काल क्यों कहा जाता

किशोरावस्था

किशोरावस्था का परिचय।

किशोरावस्था

किशोरावस्था मानव जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण का काल है। यह वह काल है जो बचपन के अंत में आरंभ होता है तथा परिपक्वता के आरंभ होने पर समाप्त हो जाता है कवियों ने से मानव जीवन के बसंत के रूप में वर्णित किया है मानव के कुल जीवन अवधि का महत्वपूर्ण युग कहा जाता है यह व्यक्ति के शारीरिक मानसिक और नैतिक तथा आध्यात्मिक, लैंगिक और सामाजिक दृष्टिकोण में क्रांतिकारी परिवर्तन का काल है मानव के व्यक्तित्व में नए-नए आयाम विकसित होते हैं तथा किशोर और वह किशोरियों के लिए नई नई चीजें सीखने का समय है किशोरावस्था मानवीय व्यक्तित्व के विकास की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है किशोरों के लिए यह दौर जीवन का सबसे कठिन और महत्वपूर्ण काल है इस अवस्था में तेजी से शारीरिक मानसिक परिवर्तन होते हैं जिससे किशोर की आकृति व प्रकृति दोनों में परिवर्तन आते हैं साथ ही कल्पना और आकांक्षाओं का एक नया संसार शुरू होता है हमारी समस्त शारीरिक व मानसिक शक्तियां आदतें संस्कारों का विकास भावनात्मक एवं सामाजिक नैतिक मूल्यों का विकास इसी अवस्था में अपनी पूर्ण गति के साथ होता है इस अवस्था में यदि कोई किशोरों में मानसिक सदमा या सावेंगिक विकृति उत्पन्न हो जाती है तो उसे ठीक कर पाना बहुत मुश्किल होता है किशोरावस्था

किशोरावस्था

किशोरावस्था का अर्थ।

किशोरावस्था

किशोरावस्था शब्द की उत्पत्ति एक लैटिन शब्द एडोलेसीयर से हुई है जिसका अर्थ होता है  वृद्धि होना। इस अर्थ में किशोरावस्था को अत्यधिक वृद्धि और विकास की अवस्था के रूप में जाना और समझा जाता है वृद्धि और विकास के सभी आयामों को लेकर इस अवस्था में बालक और बालिकाओं में आश्चर्यजनक वृद्धि ,विकास और परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं मनोवैज्ञानिक कॉल किशोरावस्था को 4 चरणों में विभाजित करते हैं लड़कियों के लिए पूर्व किशोरावस्था 11 वर्ष से 13 वर्ष तक शीघ्र किशोरावस्था 13 से 15 वर्ष तक मध्य किशोरावस्था 15 से 18 वर्ष और विलंबित किशोरावस्था 18 से 21 वर्ष लड़कों के लिए यह 13 से 15 वर्ष ,15 से 17 वर्ष 17 से 19 वर्ष और 19से 21 वर्ष किशोरावस्था में प्रत्येक पक्ष में उल्लेखनीय परिवर्तन और विकास होते हैं शारीरिक मानसिक भावनात्मक परिवर्तन इस अवस्था के लक्षण एक परिवर्तन है जो अक्सर इस काल में स्थान लेते हैं और यही एक और संघर्ष के साथ दूसरी ओर सकारात्मक व्यक्तित्व विकास के कारण भी हो सकते हैं किशोर पहली बार अपने जीवन में  शक्तिशाली ,संज्ञानात्मक और शारीरिक परिवर्तन का अनुभव करता है हार्मोन संबंधी परिवर्तन लड़कों टेस्ट्रोजन एवं एंड्रोजन लैंगिक अंगों के विकास लंबाई में वृद्धि आवाज के बदलाव के साथ जुड़ा हुआ है एस्ट्रेडियोल एस्ट्रोजन लड़कियों में उनके स्तनों जननांगों और कंकाल के विकास से जुड़ा हुआ है विकास मनोचिकित्सक का मानना है युवाओं में शारीरिक मानसिक और व्यवहार गत परिवर्तन का कारण हार्मोन ही जिम्मेदार है हार्मोनल परिवर्तन किशोरों के व्यवहार के लिए अकेले उत्तरदाई नहीं है इसके अन्य सामाजिक शैक्षिक वातावरण व साथी समूह के संबंध में खाने पीने की आदते है लैंगिक गतिविधियों और अवसाद और तनाव भी हारमोंस को अत्यधिक क्रियाशील बना देते हैं

किशोरावस्था

किशोरावस्था की विशेषताएं।

किशोरावस्था में किशोर अपने मित्रों साथी समूह को अपने माता-पिता और संरक्षक से अधिक महत्वपूर्ण तथा प्रभावशाली समझना शुरू कर देते हैं किशोर अपने आंतरिक  जीवन को अपने माता-पिता से साझा करने में कठिनाई महसूस करते हैं अपने साथियों से अपनी कठिनाइयों को आसानी से साझा कर लेते हैं किशोरावस्था का अध्ययन विकासशील मनो चिकित्सकों ने  1904 मैं स्टैंडली हॉल के प्रसिद्ध दो संस्करणों किशोरावस्था निबंध से की उन्होंने किशोरावस्था के काल को संघर्ष और तूफान का काल कहा है यद्यपि अनुकूलता की घटनाएं किसी भी मनुष्य के जीवन में किसी घटना के परिणाम स्वरूप आ सकती है किशोरो में 12 वर्ष से लगातार 17 वर्ष तक का काल सामंजस्य के लिए कठिन काल रहा है इस काल में  बालक स्वयं में भविष्य जैविक तथा मनोवैज्ञानिक विकास और परिवर्तनों का सामना करता है और ख़ुद के सम्मुख अनुभव और सामाजिक समर्थकों की बहुत सी कठिनाइयों को सामना भी करता है सामान्य से मैं इस प्रकार के विघ्न आना बहुत सामान्य है फ्राइड और उसके अनुगामी बीसवीं सदी के आरंभ में किशोरावस्था में उग्र व्यवहार के कारणों को सामने लाएं उन्होंने इसका कारण सारिक परिवर्तन का होना तथा इसके साथ ही पूर्णता  के लैंगिकता के परिवर्तन को माना है  इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि किशोरावस्था बचपन और वैसे अवस्था के मध्य जैविक पारगमन का काल है

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग

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 किशोरावस्था का महत्व।

किशोरावस्था

किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति के किसी अन्य द्वारा की जा रही देखभाल की बजाए स्वयं की अपनी देखभाल की ओर प्रवृत्त होता है यह बचपन और किशोरावस्था के बीच का रूपांतरण का चरण है जिसमें संज्ञानात्मक भावनात्मक शारीरिक व्यवहार संबंधी बौद्धिक और स्वभाव गत परिवर्तनों के साथ ही सामाजिक भूमिकाओं संबंधों और आकांक्षा में भी बदलाव आते हैं किशोरावस्था में रूपांतरण के दौरान व्यक्तियों में शिक्षा की गुणवत्ता, स्वास्थ्य ,देखभाल, सामाजिक, वातावरण हम उम्र समूह , अभिरुचि और आदतों में यह निर्धारित होता है कि वे माता-पिता कर्मचारी, उद्यमी वैज्ञानिक कृषक या व्यापारी के रूप में किस तरह अपनी जिम्मेदारियों का निर्माण करेंगे किशोरावस्था में शिक्षा स्वास्थ्य और पोषण का अंतर पीडीगत अर्थात बचपन से वयस्क होने तक परस्पर प्रभाव डालता रहता है

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आगे की दिशा।

किशोरावस्था

भारत में 20 करोड से अधिक किशोर 10 से 19  वर्ष की आयु समूह है और इनमें से 60% से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं किशोर समूह के पास भारत का सामाजिक और आर्थिक भविष्य बदलने की अपार अवसर उपलब्ध है परंतु यह जनसांख्यिकीय लाभ अभी पूरी तरह से नहीं उठाया जा सका है किशोरों को उसकी क्षमता के अनुसार कार्य निष्पादन करने में सक्षम बनाने के लिए हमें उनकी शिक्षा स्वास्थ्य, बौद्धिक, विकास और सामाजिक वातावरण में पर्याप्त निवेश करना होगा इसके लिए ऐसे कार्यक्रम और सेवाएं अपेक्षित है जो किशोरों की विशेष जरूरतों की पहचान कर सकें और इस आयु समूह से संबंध विशेष समस्याओं तथा सामाजिक भावनात्मक शैक्षणिक व्यवहार गत समस्याओं से उत्पन्न तनाव का समाधान निष्पक्ष ढंग से किया जा सके ऐसे कार्यक्रम बनाते समय किशोरों की वर्तमान स्थिति और प्रचलित सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्थाओं मैं उनकी कमजोरियों को जानने की आवश्यकता है किशोरों की समस्याओं को पहचान कर उनसे उत्पन्न तनाव का सकारात्मक चिकित्सा उपचार पैकेज तैयार कर उनमें आए परिवर्तनों को जानने हेतु निश्चित रूप से हमें उनका अध्ययन करना चाहिए ताकि उनका उपचारात्मक शिक्षण करवाया जा सके                                                                                                                                                                                                                            #UPSC #RAS #REET #CUET #RPS

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