भारतीय जनता पार्टी//बीजेपी को कोई चुनौती दे सकता है क्या

भारतीय जनता पार्टी

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भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति द्वारा दोहरी सदस्यता को अस्वीकार कर दिए जाने पर
लालकृष्ण आडवाणी द्वारा दिल्ली में 5 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी के ऐसे सदस्यों का एक दो दिवसीय
सम्मेलन बुलाया गया, जो दोहरी सदस्यता के प्रश्न को एक सही मुद्दा नहीं मानते थे । इस सम्मेलन में
लगभग 4,000 प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में भूतपूर्व जनसंघ दल को पुनर्जीवित करने के स्थान पर
एक नए दल भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गयी । अटल बिहारी वाजपेयी को इस नवीन दल का
अध्यक्ष और लालकृष्ण आडवाणी, सिकन्दर बख्त और मुरली मनोहर जोशी को दल का महासचिव नियुक्त
किया गया। पार्टी ने जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रान्ति तथा गांधीवादी अर्थ – दृष्टि को अपना आदर्श
बनाया और 6 मई, 1980 को जारी किए गए अपने आधारभूत नीति वक्तव्य में पार्टी को 5 निष्ठाओं से
प्रतिबद्ध किया । ये निष्ठाएं हैं : राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय समन्वय, लोकतन्त्र, प्रभावकारी धर्म-निरपेक्षता,

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गांधीवादी समाजवाद और सिद्धान्तों पर आधारित साफ-सुधरी राजनीति ।
1981 से 1990 तक पार्टी की नीति, कार्यक्रम और स्थिति – भाजपा में प्रारम्भ से ही इस बात पर पर्याप्त
विवाद था कि दल जनसंघ की परम्परागत नीतियों को बनाए रखे या 'प्रगतिशील जामा' पहने। 1981-85
के काल में दल ने ‘गांधीवादी समाजवाद' का प्रगतिशील जामा पहना, लेकिन 1983-85 की राजनीति में
अनुभव किया गया कि जनसंघ के परम्परागत समर्थकों का एक भाग भाजपा का समर्थन नहीं कर रहा है।
अतः दल में नीति और संगठन पर पुनर्विचार की आवश्यकता अनुभव की गई। इस पुनर्विचार के
परिणामस्वरूप पार्टी ने 1987 से 1996 के प्रारम्भिक महीनों तक शनैः-शनैः, किन्तु लगभग निरन्तर
हिन्दुत्ववाद की दिशा में आगे बढ़ने का कार्य किया। इस स्थिति के कारण पार्टी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ,
विश्व हिन्दू परिषद् और अन्य हिन्दू धार्मिक संगठनों के साथ गहरे रूप में जुड़ गई।
1987 से ही कांग्रेस दल की लोकप्रियता में कमी और भाजपा की लोकप्रियता में निरन्तर बढ़ोतरी प्रारम्भ
हुई। दसवीं लोकसभा में भाजपा ने अपने लिए प्रमुख विपक्षी दल की स्थिति प्राप्त कर ली। इसके बाद एक
प्रमुख घटना 6 दिसम्बर 192 को विवादास्पद धार्मिक स्थल बाबरी मस्जिद का ध्वस्त होना था । बाबरी
मस्जिद को ध्वस्त करना भाजपा की नीति का अंग नहीं था, लेकिन यह तथ्य है कि इस कार्य में भाजपा

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समर्थक तत्वों की प्रमुख भूमिका थी।भारतीय जनता पार्टी

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भाजपा की चुनावी उपलब्धियां

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12वीं लोकसभा चुनावों (1998) के बाद भाजपा के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार बनी जो मात्र 13 माह
तक सत्तारूढ़ रही। 13वीं लोकसभा चुनाव से पूर्व (1999) एनडीए गठबंधन बना जिसमें भाजपा प्रमुख दल
था और गठबंधन ने अटल बिहारी वाजपेयी को अपना नेता घोषित किया। चुनाव के बाद वाजपेयी के
नेतृत्व में राजग की सरकार का गठन हुआ जिसने राजनीतिक स्थायित्व के साथ आर्थिक विकास की दिशा में
महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 14वीं लोकसभा के चुनावों (2004) में भाजपा अपनी अब तक की सर्वाधिक 182
सीटों से खिसककर 138 पर पहुंच गयी और उसे 22.16% मत ही प्राप्त हुए । 15वीं लोकसभा चुनावों
(2009) में भाजपानीत्त एनडीए को 159 सीटें और अकेली भाजपा को 19.29% मतों के साथ मात्र 116

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सीटें हासिल हुई। 16वीं लोकसभा के चुनावों (2014) में भाजपा को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटों के
साथ 31.5% मत प्राप्त हुए। अप्रैल-मई 2019 में सम्पन्न 17वीं लोकसभा चुनावों में एनडीए को कुल 353
सीटों पर जीत मिली जिसमें से 303 भाजपा की है। भाजपा को 37.36% मत मिले और उसने नरेन्द्र मोदी
के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार गठित की।                                                                                                                                                                                                                                                        RELETEDLINK

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