भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है 2022
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल
- भारत विश्व धरोहर स्थल हाल ही में यूनेस्को द्वारा भारत केतीन नए सांस्कृतिक स्थलों को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया।
- इन स्थलों मेंमोढेरा का ऐतिहासिक सूर्य मंदिर, गुजरात का ऐतिहासिक वडनगर शहर और त्रिपुरा में उनाकोटी की चट्टानों को काटकर बनाई गई मूर्तियां शामिल हैं।
- इन 3 स्थलों के शामिल होने के बाद, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल भारतीय स्थलों की संख्या52 हो गयी।
भारत के विश्व विरासत स्थल
वडनगर के बारे में
- गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित वडनगर एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर है, जिसे पहलेआनंदानगर, अनारतापुर और नागर के नाम से जाना जाता रहा है।
- 5वीं शताब्दी में बनाहाटकेश्वर मंदिर तथा अम्बाजी माता मंदिर वडनगर में स्थित प्राचीन मंदिर है।
- यहांबौद्ध धर्म से जुड़े कई अवशेष तथा जैन गुफाएं और सोलंकी शासकों द्वारा बनवाए गए स्मारक भी हैं।
- वडनगर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण शहर है, 7वीं शताब्दी में भारत आए चीनी यात्रीह्वेन त्सांग के यात्रा विवरण में भी वडनगर का उल्लेख मिलता है।
भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है 2022
उनाकोटी
- उनाकोटी (Unakoti) भारत के त्रिपुरा राज्य के उनाकोटी ज़िले के कैलाशहर उपखंड में स्थित एक ऐतिहासिक व पुरातत्विक हिन्दू तीर्थस्थल है।
- यहाँभगवान शिव को समर्पित मूर्तियाँ और स्थापत्य हैं जिनका निर्माण 7वीं – 9वीं शताब्दी ईसवी, या उस से भी पहले, पाल वंश के शासनकाल में हुआ था।
- उनाकोटी मेंनिन्यानबे लाख निन्यानवे हजार नौ सौ निन्यानबे पत्थर की मूर्तियां और नक्काशी मौजूद है।
- यह स्थल लगभग उसी रहस्यमयी आकर्षण को प्रदर्शित करता है जो कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर में है, इसलिए इसेउत्तर-पूर्व का अंकोरवाट भी कहा जाता है।
- स्थानीयकोकबोरोक भाषा में उनाकोटी को सुब्रई खुंग कहा जाता है।
भारत विश्व धरोहर स्थल
मोढेरा का सूर्य मंदिर
- इसका निर्माण सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम (1022-1063 CE) द्वारा कराया गया था।
- यह मंदिर पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है।
- यह मंदिर सोलंकी राजवंश के संरक्षण में पश्चिमी भारत की 11वीं शताब्दी की मारू-गुर्जर वास्तुकला शैली का एक अनुकरणीय मॉडल है।
- इसके निर्माण में हिन्दू-ईरानी शैली का प्रयोग किया गया है, इस मन्दिर को दो हिस्सों में बनाया गया है, इसके प्रथम भाग में गर्भगृह तथा द्वितीय भाग में सभामंडप है।
- मन्दिर के सभामंडप में 52 स्तंभ हैं, जिन पर उत्कृष्ट कारीगरी की गई है।
- इन स्तंभों की विशेषता यह है कि नीचे की ओर देखने पर अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने पर वह गोल प्रतीत होते हैं।
- इन स्तंभों पर देवी-देवताओं के चित्र तथा रामायण, महाभारत आदि के प्रसंगों को अद्भुत सुन्दरता व बारीकी से उकेरा गया है।
- इस मन्दिर का निर्माण इस प्रकार से किया गया है कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मन्दिर के गर्भगृह में प्रवेश करती है।
- मन्दिर में एक विशाल कुंड है, जिसे ‘सूर्यकुंड’ तथा ‘रामकुंड’ कहा जाता है।
- मोढेरा के इस सूर्य मन्दिर को गुजरात का खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मन्दिर की शिलाओं पर भी खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशीदार शिल्प कलाएँ मौजूद हैं।
- मोढेरा का उल्लेख विभिन्न पुराणों में भी मिलता है, स्कंदपुराण और ब्रह्मपुराण के अनुसार प्राचीन काल में मोढेरा के आस-पास का पूरा क्षेत्र ‘धर्मरण्य’ के नाम से जाना जाता था।
भारत में कुल कितने विश्व धरोहर स्थल है 2022
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