इक्की जथरे//चावल के त्योहार

इक्की जथरे

हाल ही में केरल के एक संगठन थानाल ने जनजातीय भाषा में इक्की जथरे या चावल के त्योहार का शुभारंभ किया, जिसके तहत पनावली, वायनाड

में पारंपरिक चावल की 300 जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों को लगाया गया।

 थानाल ने वर्ष 2009 में हमारे चावल बचाओ अभियान के तहत पनावली में चावल विविधता ब्लॉक (Rice Diversity Block-

इक्की जथरे

RDB) की शुरुआत की, जिसमें चावल की 30 किस्में शामिल थीं, जो अब बढ़कर 300 हो गई हैं।L

इक्की जथरे

इक्की जथरे:

 इस पहल का उद्देश्य लोगों को उन पारंपरिक फसलों के संरक्षण के महत्त्व के प्रति संवेदनशील बनाना है जो कठोर जलवायु परिस्थितियों का

सामना करने की क्षमता रखती हैं।

 त्योहार ज्ञान साझा करने और जनजातीय किसानों एवं विशेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिये भी मंच तैयार करता है।

RDB के लिये अधिकांश किस्मों को केरल, कर्नाटक, असम, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से एकत्र किया गया

था।

 इसके अलावा वियतनाम और थाईलैंड के चावल की तीन पारंपरिक किस्में भी हैं।

करंट अफेयर्स 2023

इक्की जथरे

हमारा चावल बचाओ अभियान:

 हमारा चावल बचाओ अभियान विविध चावल संस्कृतियों, ज्ञान की रक्षा और खाद्य संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिये एक जन आंदोलन है।

इक्की जथरे

 भारत में यह वर्ष 2004 में शुरू हुआ और समुदायों को स्थायी खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका का निर्माण करने के लिये सशक्त बनाता है।

इक्की जथरे

कार्य:

 सामुदायिक RDB और बीज बैंकों की स्थापना करना, धान के बीज की स्वदेशी किस्मों का संरक्षण एवं प्रचार करना।

 शहरी उपभोक्ताओं के बीच चावल विविधता के मूल्य के बारे में जागरूकता पैदा करना।

 चावल के पारिस्थितिक तंत्र में कृषि-पारिस्थितिक खेती को अपनाने की सुविधा देना और किसानों, राज्यों एवं स्थानीय सरकारों को

स्वदेशी बीज अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।

स्वदेशी बीजों और कृषि पारिस्थितिक खेती के बारे में मीडिया में सक्रिय चर्चाओं को सक्षम बनाना।                                                                                                                                                                                  RELETED LINK

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