नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

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हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अनुचित तरीके से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए दिल्ली सरकार पर 2,232 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

प्रमुख बिन्दु-

  • एनजीटी प्रधान पीठ नई-दिल्ली में तथा चार अन्य पीठ भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में हैं।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के अनुसार, एनजीटी के पास आने वाले पर्यावरण संबंधी मुद्दों का निपटारा 6 महीनों के अंदर अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए।
  • यह अधिकरण पर्यावरण के मामलों में द्रुत गति से न्याय प्रदान करके उच्च न्यायालयों के मुकदमों के भार को कम करने में मदद करेगा।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

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एनजीटी की संरचना:

  • NGT में अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते है। वे तीन वर्ष की अवधि अथवा पैंसठ वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक पद पर रहेंगे और पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे।
  • अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
  • न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा एक चयन समिति बनाई जाती है।
  • यह आवश्यक है कि अधिकरण में कम-से-कम 10 और अधिकतम 20 पूर्णकालिक न्यायिक सदस्य एवं विशेषज्ञ सदस्य हों।

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शक्तियां और अधिकार क्षेत्र:

  • पर्यावरण संरक्षण और वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटान के लिए स्थापित।
  • इसके पास एक अदालत के रूप में अपील सुनने के लिए अपीलीय अधिकार क्षेत्र है।
  • अधिकरण का न्याय क्षेत्र बेहद विस्तृत है और यह उन सभी मामलों की सुनवाई कर सकता है जिनमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण शामिल हो। इसमें पर्यावरण से संबंधित कानूनी अधिकारों को लागू करना भी शामिल है।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल

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