दक्षिण चीन सागर विवादित क्षेत्र
दक्षिण चीन सागर हाल ही में फिलीपींस द्वारा दक्षिण चीन सागर के एक विवादित क्षेत्र में संचित तेल-भंडार पर अपना दावा जताने के बाद यहाँ चीन और फिलीपींस के बीच विवाद लगातार गंभीर होता जा रहा है।
दक्षिण चीन सागर के जुलिना फेलिप रीफ के क्षेत्र में चीन और फिलीपींस के बीच विवाद उभरकर सामने आया है। अब यह विवाद गंभीर रूप लेता जा रहा है।
दरअसल चीन जुलिना फेलिप रीफ के क्षेत्र को दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीप समूह के व्हिटसन रीफ का हिस्सा मानता है तथा इस पर अपना दावा जताता है।
जुलिना फेलिप रीफ के क्षेत्र पर दशकों से फिलीपींस का नियंत्रण था, लेकिन पिछले कुछ समय से चीनी नौसेना के अंतर्गत काम करने वाली मिलिशिया की नौकाओं ने इस रीफ को घेर रखा है। चीन इस क्षेत्र में फिलीपींस की नौसेना को अब आने नहीं दे रहा है।
हाल ही में फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने पहली बार सार्वजनिक रूप से जुलिना फेलिप रीफ पर चीनी नौकाओं की मौजूदगी को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि फिलीपींस अपनी संप्रभुता के लिए युद्ध से पीछे भी नहीं हटेगा।
गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस कुछ दिनों बाद अमेरिकी सेना के साथ बालिकतन (Balikatan) नामक सैन्य युद्धाभ्यास करेगा। उल्लेखनीय है कि फिलीपींस और अमेरिका के बीच सैन्य संबद्ध काफी प्रगाढ़ हैं। फिलीपींस में अमेरिका का सैन्य अड्डा भी है।
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दक्षिण चीन सागर विवादित क्षेत्र
दक्षिण चीन सागर का महत्व
दक्षिण चीन सागर का सामरिक महत्व काफी अधिक है। दक्षिणी चीन सागर, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच स्थित बेहद अहम कारोबारी इलाक़ा भी है। दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 20 फ़ीसदी हिस्सा यहां से गुज़रता है।
यह क्षेत्र मत्स्य संसाधन से परिपूर्ण है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
माना जाता है कि इसके सीबेड के नीचे विशाल तेल और गैस का भंडार है। जो इसे आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। दक्षिण चीन सागर में 11 बिलियन बैरेल प्राकृतिक तेल के भंडार हैं और 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार हैं , जिसके 280 ट्रिलियन क्यूबिक फीट होने की संभावना भी व्यक्त की गई है । यह क्षेत्र ऐसा है, जहां से हर वर्ष 5 ट्रिलियन डॉलर मूल्य का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संभव होता है।
चीन का लगभग 80 प्रतिशत ऊर्जा आयात और चीन का कुल व्यापार का लगभग 39.5 प्रतिशत दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरता है।
दरअसल चीन को प्राकृतिक तेल की आपूर्ति मध्य-पूर्व से होती है और यह मलक्का जलडमरुमध्य के रास्ते से होकर गुजरता है । अक्सर अमेरिका चीन को चेतावनी देता है कि वह मलक्का जलडमरुमध्य को ब्लॉक कर देगा जिससे चीन की ऊर्जा आपूर्ति रुक जाएगी । इसलिए चीन दुनिया भर के अन्य देशों में अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सजग और आक्रामक हुआ है । यही कारण है कि चीन को दक्षिण चीन सागर में अपने भू आर्थिक और भू सामरिक हित दिखाई देते हैं ।
दक्षिण चीन सागर विवाद (South China Sea dispute)
दक्षिण चीन सागर विवाद, दुनिया के सबसे बड़े महासागरीय विवाद के रूप में माना जाता है ।
चीन व दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों(यथा- वियतनाम , इंडोनेशिया , मलेशिया, ब्रूनेई, फिलीपींस आदि ) के बीच दक्षिण चीन सागर के विभिन्न क्षेत्रों व यहाँ स्थित द्वीपों (यथा- स्पार्टले और परासेल द्वीप) को लेकर विवाद है।
दक्षिण चीन सागर विवादित क्षेत्र
चीन ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर वहां अपनी संप्रभुता के दावों के लिए नौ स्थानों पर डैश या चिन्ह लगाकर विवाद को बढ़ा दिया है, इसलिए इस विवाद को ‘नाइन डैश लाइन’ विवाद भी कहते हैं । चीन का नाइन डैश लाइन ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी , 1982’ के ‘एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन’ की मान्यता का खंडन करता है ।
इसके अतिरिक्त, चीन की निगाह दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के ईईजेड और साउथ चाइना सी के द्वीपों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों , प्राकृतिक तेल , गैस व मत्य संसाधनों पर भी है ।
दक्षिण चीन सागर में चीन ने धीरे-धीरे करके कई छोटे द्वीपों पर सैनिक अड्डे बना लिए। आज हालात यह हो गए हैं कि दक्षिणी चीन सागर पर कई देश दावेदारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चीन ने वर्ष 2016 में दक्षिण चीन सागर पर मालिकाना हक़ के एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय को मानने से इनकार कर दिया था । हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने फैसले में कहा था कि चीन अवैधानिक तरीके से दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के जायज अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है । चीन ने इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया था । RELETED LINK