हीट वेव
सुर्खियों में क्यों
हीट वेव भारत में 2023 में फरवरी का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म महीना माना गया है।
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के साथ ग्रीष्म लहर की चरम घटनाएँ बढ़ती रहेंगी तथा तापन में होने वाले प्रत्येक वृद्धि उल्लेखनीय है।
हीट वेव
भारत में तापमान में वृद्धि
- सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) द्वारा भारत में ऐतिहासिक जलवायु पर एक अध्ययन के अनुसार, देश में गर्मी और सर्दियों के महीनों के दौरान तापमान लगातार बढ़ रहा है।
- अध्ययन ने आगे 30 वर्षों (1990-2019) में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में क्रमशः 9 डिग्री सेल्सियस और 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की।
- भारत में, पूर्वोत्तर राज्यों, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों के कई जिलों में गर्मी के महीनों के दौरान तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से 0.9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है।
- इसी तरह, देश के लगभग 54% जिलों में सर्दियों के महीनों में तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस से 0.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
- दक्षिणी राज्यों की तुलना में पूर्वोत्तर राज्यों में तापन का स्तर अधिक रहा है।
- तापमान में यह उल्लेखनीय वृद्धि चरम मामलों में कष्ट और मृत्यु का कारण बनी है और यह कृषि और अन्य जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो लोगों की आजीविका और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अग्निपथ योजना की वैधता
- मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज (IFRC) और रेड क्रॉस रेड क्रीसेंट क्लाइमेट सेंटर की एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु पर मानव के प्रभाव के बिना हर 50 साल में केवल एक बार घटित होने वाली अत्यधिक गर्मी की घटना के अब मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण पांच बार घटित होने की आशंका है।
- इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से कम है तो ऐसी चरम गर्मी की घटनाएं 14 बार घटित होंगी और अगर तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम रहेगा तो 40 बार घटित होंगी।
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