चारधाम यात्रा 2023 कब शुरू
चारधाम यात्रा 2023 कब शुरू आध्यात्मिकता से ओतप्रोत देवभूमि उत्तराखंड से 22 अप्रैल 2023 को जिसका लंबे समय से श्रद्धालु इंतजार कर रहे थे आखिर वह पल आने वाले हैं चार धाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू हो रही है गंगोत्री और यमुनोत्री के पट खुल जाएंगे और 25 अप्रैल से हैं केदारनाथ के दर्शन शुरू हो जाएंगे साथ ही 27 अप्रैल से बद्रीनाथ के भी दर्शन के लिए पट खुल जाएंगे देवभूमि उत्तराखंड चार धाम के दर्शन करने के लिए रिकॉर्ड तोड़ रजिस्ट्रेशन इस बार हुए हैं और श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं मार्ग को तैयार कर दिया गया है मार्ग से बर्फ हटाने का काम काफी समय से चल रहा था लेकिन बार-बार स्नोफॉल होने के कारण मार्ग अवरुद्ध हो रहा था और आखिरकार शनिवार से यह मार्ग श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है बाबा केदार के दर्शन करके और साथ ही बद्री विशाल के दर्शन करके श्रद्धालुओं को अपने आप में अनुपम अनुभूति का एहसास होता है ऋषिकेश सड़क मार्ग से यात्रा करने पर लगभग 1550 किलोमीटर की यात्रा से चारों धाम की यात्रा की जा सकती है चार धाम की यात्रा पूरी करने में कम से कम 7 दिन लगते हैं जिसमें प्रतिदिन आप हो लगभग 8 घंटे की यात्रा करनी होती है और समय के साथ रास्ते भी अब शुरू हो रहे हैं 85 % रास्ता आसान हो चुका है जहां सड़क मार्ग के द्वारा आप आसानी से यात्रा पूरी कर सकते हैं बीआरओ लगातार इसको चार धाम प्रोजेक्ट के माध्यम से जिस सड़क का निर्माण किया है वह विपरीत परिस्थितियों में भी इस सफर को बहुत आसान बनाता है
चार धाम की यात्रा कहां से शुरू होती है?
यात्रा शुरू करने का जो शुरुआती पॉइंट है ऋषिकेश के भद्रकाली तिराहे से यहां सबसे पहले आप आप अपना रजिस्ट्रेशन करवाएं साथ ही अपनी गाड़ी को भी चेक करवाएं जब आप गाड़ी और अपना रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं उसके बाद यहां से आपकी यात्रा शुरू होती है अगर आप यहां से रजिस्ट्रेशन शुरू नहीं करवाते हैं तो तो ब्रह्मपुरी में अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं जो ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर स्थित है। यात्रा करने के माध्यम। आप यात्रा करने के लिए किसी भी माध्यम का चयन कर सकते हैं आप जहां भी निवास करते हैं वहां ऋषिकेश तक सड़क मार्ग रेल मार्ग और वायु मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं और यहां से आप सड़क मार्ग यह हेलीकॉप्टर के माध्यम से आगे की आप यात्रा पूरी कर सकते हो।
क्या हेली कॉप्टर से चार धाम की यात्रा पूर्ण कर सकते हैं?
निश्चित रूप से आप हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी चार धाम की यात्रा पूरी कर सकते हो अब हरिद्वार से सीधा आप चार धाम के दर्शन हेलीकॉप्टर के माध्यम से करने में सफल होंगे इसके लिए हेलीकॉप्टर से निम्न प्रकार के माध्यम से यात्रा आप कर सकते हैं हेलीकॉप्टर के माध्यम से चार धाम यात्रा आप हरिद्वार से लेकर गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा 5 रात और 4 दिन में पूरी हो सकती है हेलीकॉप्टर 6 सीटर है जिसमें 450 किलो से अधिक का भार 6 यात्रियों में नहीं होना चाहिए अगर प्रत्येक व्यक्ति का भार 75 किलो से ज्यादा है तो प्रति किलो के हिसाब से ₹1000 का चार्ज हेलीकॉप्टर को अतिरिक्त देना पड़ेगा जीरो से 2 वर्ष के लिए बच्चों के लिए कोई टिकट का चार्ज नहीं रखा गया है प्रति व्यक्ति हेलीकॉप्टर का चार्ज 1.8लाख है अब सिर्फ केदारनाथ और बद्रीनाथ देना चाहते हैं तो आपको हेलीकॉप्टर में चार्ज 1.2लाख रुपए ही देने होंगे और आपकी यात्रा 2 दिन की होगी। हेलीकॉप्टर की टिकट बुक कराने के बाद कंपनी आपको देहरादून स्टेशन या एयरपोर्ट से पिक करेगी इसमें कौन-कौन सी सुविधाएं आपको मिलेगी। टिकट बुक कराने के बाद देहरादून से आपको कंपनी पिक करेगी वहां से टैक्सी से लेकर के रुकने तक का सारा खर्चा कंपनी वहन करेगी और आपको लग्जरी होटलों में रुकवाया जायेगा इनमें से खरसाली हयात रीजेंसी देहरादून में यमुनोत्री कॉटेज, हर्षिल यमुनोत्री में हिमालयन नेचर रिसोर्ट, सिरसी गंगोत्री में विंड्स रिसोर्ट केदारनाथ में सरोवर पोर्टिको बद्रीनाथ में इन तमाम सुविधाओं से लैस होटल्स में ठहरा जाएगा अगर यदि मौसम खराब है तो कंपनी आने वाले दिनों में भी दर्शन करा सकती हैं। चारों धाम यात्रा का विवरण।
चारधाम यात्रा 2023 कब शुरू
गंगोत्री जाना क्यों महत्वपूर्ण है।
सनातन संस्कृति की पवित्र नदियों में एकमात्र नदी गंगा नदी है जिसका उद्गम स्थल गोमुख गंगोत्री है निश्चित रूप से जब हम ऋषिकेश में भद्रकाली तिराहे से गंगोत्री जाने के लिए प्रस्थान करते हैं वहां से गंगोत्री की दूरी 264 किमी है गंगोत्री का पूरा मारेगी बहुत सुहाना है हरी-भरी घाटियां हरे भरे वृक्षों से लबालब पर्वतों की चोटियां साथ ही पवित्र नदी का मधुर संगीत और बीच रास्ते में सेब के बागान अपने आप में अनुभूति के पल हैं सुखद अनुभूति के पहले हैं जैसे-जैसे कारवां आगे बढ़ता है और चंबा में प्रवेश करता है वैसे ही सी टनल हिमालय रेंज से हमारी सुखद मुलाकात होती है तलहटी में स्थित विशाल टिहरी झील बड़ी मनमोहक है उत्तरकाशी में आपको अच्छी रोड मिलती है वहां से आप गंगोत्री जाते समय आप हर्षिल में रुक सकते हैं वहां आप खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं रास्तों में कहीं धीरे-धीरे मध्यम मध्यम बारिश होती रहती है तो सुहानी ठंडी हवाओं के बीच आप हर्षिल में कुछ समय व्यतीत करें यहां से गंगोत्री 25 किलोमीटर दूर है और यहां तापमान काफी कम रहता है जब हम लगातार 78 घंटे की यात्रा करने के बाद में हम1100 फीट से 11200 की ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं और यहां तापमान में भी 30 डिग्री तक का अंतर आ जाता है इसलिए हमें थोड़ा सा ध्यान रखने की भी आवश्यकता है हमारा शरीर तापक्रम के अनुसार ढल जाए। जब अपन गंगोत्री में प्रवेश करते हैं तो एक बड़ा गेट बना हुआ है जो आपका स्वागत करता है एक तरफ नदी की मधुर आवाज आपके कानों में सुनाई देती है दूसरी तरफ मंदिर के बिल्कुल निकट आप पहुंच जाते हैं गंगोत्री से जहां गंगा नदी का उद्गम स्थल होता है गोमुख लगभग 18 किलोमीटर दूर है ट्रेकिंग की सहायता से वहां जा सकते हैं ध्यान रखें कि ट्रैकिंग में जाते समय आप ट्रैकिंग का पास बनवा लें जो गंगोत्री में ही बनेगा आपके साथ खाने की कुछ सामग्री और पानी की बोतल आप साथ रख सकते हैं पानी तो आपको रास्ते में भी मिल सकता है जहां शुद्ध झरने का पानी पी सको यहां से आपको ट्रकिंग के अद्भुत एहसास होंगे यहां प्रकृति की खूबसूरती का दीदार होगा साथ ही बीच-बीच में आपको झरने भी मिलेंगे किसी जंगली जानवर का डर तो नहीं है फिर भी सावधानी रखें ट्रैकिंग में आगे चलने पर आपको मोबाइल के सिग्नल नहीं मिलेंगे इसका विशेष ध्यान रखें आपके पास मेडिकल किट होना चाहिए गोमुख पहुंच जाएं तो रात का समय वहां व्यतीत करें निश्चित रूप से अच्छी अनुभूति होगी ठंड काफी रहती है इसका ध्यान रखें यह आपके लिए काफी रोमांचकारी होगा। लेकिन वहां ट्रेकिंग के इच्छुक लोग ही जाएं गंगोत्री से मंदिर दर्शन और गंगा स्नान के बाद वापस रवाना हो सकते हैं
यमुनोत्री के दर्शन कैसे करें।
गंगोत्री से यमुनोत्री जाने के लिए करीब 150 किलोमीटर की यात्रा करके उत्तरकाशी के निकट धरासूबैंड आना होगा यमुनोत्री से यमुना नदी का उद्गम स्थान है और यमुना नदी भी गंगा नदी की एक सहायक नदी है जो प्रयागराज में मिलती है यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित है धरासू बैंड आने के बाद यहां से 102 किलोमीटर लंबा जानकीचट्टी मार्ग पर चलना होगा जानकी चट्टी पहुंचने के बाद यहां से यमुनोत्री का ट्रैकिंग मार्ग स्टार्ट होता है जो 6 किलोमीटर लंबा है यह ट्रैकिंग भी बहुत जोखिम भरा है यहां कई जगह सीधी चढ़ाई है इस के सफर में 3 घंटे से ज्यादा समय लगता हैं यहां खच्चर और पालकी की भी सुविधा है जैसे हम यमुनोत्री पहुंच जाते हैं वहां एक सुखद अनुभूति होती है और मानो ऐसा लगता है कि हम देवलोक में आ गए हैं यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री के पास बंदरपूंछ जिसकी ऊंचाई 62 मीटर है और इसके 7 से 8 मील उत्तर पश्चिम में कालिंद पर्वत स्थित है यहां आप कुछ समय व्यतीत करें और यहां के कुदरती नजारों का आनंद लें आपको अजीब शांति और सुकून की प्राप्ति होगी।
बद्रीनाथ कैसे जाएं।
यमुनोत्री से बद्रीनाथ जाने के लिए वापस आपको धरासू बैंड आएंगे जो उत्तरकाशी के पास स्थित है यहां से 150 किलोमीटर चलकर रुद्रप्रयाग जाएंगे और रुद्रप्रयाग से हम लोग जोशीमठ चलेंगे वही जोशीमठ जो आजकल चर्चाओं में है जहां वहां रहने वाले लोगों के लिए उनके आवासों में दरारें आ गई थी जोशीमठ के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होने लगा था उस जोशीमठ से 45 किलोमीटर की दूरी तय करके बद्रीनाथ पहुंच जाएंगे जोशीमठ से जैसे अपन आगे चलते हैं तो असली चुनौतियों का सामना होना शुरू हो जाता है लगभग 20 किलोमीटर चलने के बाद पांडुकेश्वर के बाद काफी चुनौतियां आती है जहां रास्ते उबड़ खाबड़ हैं काफी सकरा रास्ता भी है और ऊंचाई पर भी अपन लोग हैं तो कई बार जाम की स्थिति बन जाती है लेकिन बीआरओ
लगातार प्रयासरत हैं इस दिशा में भी सड़क निर्माण करने को लेकर बद्रीनाथ के रास्ते पर भी ओली पड़ता है जिसको भारत का स्विट्जरलैंड का जाता है यह भी पर्यटकों के लिए बहुत आकर्षण का केंद्र है बाबा बद्री विशाल के दर्शन के लिए लोग बहुत आतुर है और 27 अप्रैल को बाबा के द्वार खुल रहे हैं बाबा के दर्शन अधिकतम 15000 लोग प्रतिदिन कर सकते हैं बद्रीनाथ में रुकने के लिए 25000 लोगों की व्यवस्था रहती है लगातार वहां उन्नति के कार्य चल रहे हैं बाबा के दर्शन करने पर आपको अद्भुत अनुभूति का एहसास होता है श्रद्धालु अपने आप को धन्य समझते हैं कि बाबा के दर्शन हो गए हैं तापमान यहां भी बहुत कम रहता है उसका भी आपको विशेष ध्यान रखना है।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम
चारधाम यात्रा 2023 कब शुरू
बाबा केदारनाथ के दर्शन कैसे करें।
चार धाम यात्रा में एक महत्वपूर्ण धाम है बाबा केदारनाथ का जिसमें प्रत्येक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर अपने आप में अलौकिक अनुभव करता है बद्रीनाथ से वापसी के समय हमें रुद्रप्रयाग आना होता है और रुद्रप्रयाग से 90 किलोमीटर दूर बाबा केदारनाथ है गुप्तकाशी पहुंचने के बाद में आपको कच्चा रास्ता मिलेगा जो काफी उबड़ खाबड़ है और यह हिस्सा काफी पुराना होने के बाद 40 परसेंट से अधिक हिस्सा एक लेन सड़क विद्यमान है यह मार्ग सर्दियों के मौसम में अधिकतर बंद रहता है यहां कई डेंजर जोन विद्यमान है और वहां लैंडस्लाइडिंग का खतरा बना रहता है और यहां जाम से बचना बड़ी चुनौती है सोनप्रयाग पहुंच जाते हैं तो वहां से गौरीकुंड के लिए टैक्सी लेनी पड़ती है और गौरीकुंड से फिर ट्रैकिंग शुरू होती है जो 17 किलोमीटर लंबी दुर्गम ट्रैकिंग है जिसमें आपकी क्षमता का परिचय होता है उस ट्रैकिंग पर चलते चलते लगभग 12 किलोमीटर के बाद अभी भी बर्फ हटाने का काम चल रहा है। स्टेकिंग में लगभग 10 से 12 घंटे लगते हैं जिसमें रास्ते में अनेक प्वाइंट आते हैं यह यात्रा खच्चर की सहायता से पूरी कर सकते हैं वहां के अलग-अलग रेट रहती है जो पालकी या खच्चर वाले को देनी होती है मौसम काफी सर्द रहता है और आप खाने-पीने की सामग्री साथ रखें अपने आप में बाबा केदारनाथ के दर्शन करके सारी रास्ते की थकान दूर हो जाती है और वहां आप काफी समय व्यतीत करें यह यात्रा आपके लिए काफी रोमांचकारी होगी। 25 अप्रैल से बाबा के पट खुल रहे हैं और उसको लेकर श्रद्धालु काफी उत्सुक है
चारधाम यात्रा 2023 कब शुरू
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