Types of research development // विकास के लिए शोध की आवश्यकता

Types of research development

Types of research development // विकास के लिए शोध की आवश्यकता

Types of research development मौजूदा समय में देश में केंद्रीय राज्य और निम्न समेत निजी विश्वविद्यालयों की संख्या 1000 से अधिक है जिसने केवल ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट की डिग्री देने की जिम्मेदारी है बल्कि भारत के विकास एवं निर्माण के लिए अच्छे शोधार्थी निर्मित करने का दायित्व भी है उच्च शिक्षा और शोध को लेकर मानस पटल पर दो  क्वेश्चन  होते हैं पहला यह की क्या विश्व परिदृश्य में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच शिक्षा शोध और ज्ञान के विभिन्न संस्थान स्थिति के अनुसार परिवर्तन कर रहे हैं दूसरा क्या बड़ी चुनौतियां और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में शिक्षण संस्थानों में निर्मित शोध का लाभ आम जनमानस को मिल रहा है

विकास के लिए शोध की आवश्यकता

शोध और अध्ययन अध्यापन के बीच न केवल गहरा नाता है बल्कि शोध ज्ञान सर्जन और ज्ञान को परिष्कृत करने के काम में भी आता है भारत जैसे विकासशील देश में गुणवत्ता युक्त शोध की कहीं अधिक आवश्यकता है भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार विश्वविद्यालय 40,000 से ज्यादा कॉलेज और 10000 स्वपोषी शिक्षण संस्थान  है जांच बताती है कि लगभग सभी विश्वविद्यालयों स्वायत्तशासी संस्था शोध कराते हैं जबकि 40 हजार से अधिक कॉलेजों में से महज 3.6 प्रतिशत ही पीएचडी कोर्स संचालित होता है इसमें कोई दुविधा नहीं है कि शोध से ज्ञान का नया आइडिया मिलता है इंच ऑफ लिविंग से लेकर ईज  ऑफ डूइंग बिजनेस और जीवन चर्या में शोध को सरलता से विकसित करता है भारत के विश्वविद्यालय जितनी ताकत अकादमी की उपाधियों को लेकर सक्रिय रहते हैं यदि उसका कुछ शोध की तरफ़ भी कर लें तो कई समस्याओं का समाधान देश और जनहित में तेजी से संभव होगा आम बजट में उच्च शिक्षा पर आवंटित राशि 44 हजार करोड से अधिक है जो शिक्षा और शोध की गुणवत्ता की दृष्टि से पर्याप्त तो नहीं मगर बेहतर जरूर है उच्च शिक्षा जितनी अधिक गतिशील होगी  युवाओं का कैरियर न केवल बेहतर होगा बल्कि देश का उत्थान संभल और सकारात्मक होगा मजबूत शोध बेहतर उपचार का उपाय है।  यह जीवन के हर पड़ाव पर लागू है जाहिर है इस की संवेदना को समझते हुए विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान समेत तमाम शोध संस्थाएं इससे बेहतर आसमान दे न की डिग्री और खानापूर्ति की आड़ में एक खोखले अध्ययन तक ही सीमित रहें। दर्शन पीएचडी जीविका से जुड़ी हुई एक ऐसी व्यवस्था बन गई है जहां सहायक प्राध्यापक को राहत खुल जाती है मगर जो 30 से 3 वर्ष की मेहनत के बाद लिखी गई है उसका लाभ केवल पुस्तकालय तक ही सीमित रह जाता है भारत में शोध और नवाचार पर अपनी जीडीपी का 0.7% ही राशि खर्च करता है जब की विकास दर के अनुपात में साल 2022 तक यह 2% तक  हो जाना चाहिए था फिलहाल चीन अपनी जीडीपी का 2.1% और अमेरिका अपनी जीडीपी का 2.8%  शोध पर खर्च करता है इतना ही नहीं दक्षिण कोरिया, इजराइल जैसे देश इस मामले में 4% से अधिक खर्च के साथ ही कहीं आगे हैं इससे यह प्रतीत होता है कि शोध और बजट का भी गहरा संबंध है

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Types of research development // विकास के लिए शोध की आवश्यकता

Types of research development

यही कारण है कि जो इसकी वस्तु स्थिति को बेहतर समझ रहा है वह उत्थान और उन्नति  के लिए इसे महत्व दे रहे हैं दुनिया में चीन एक ऐसा देश है जहां 26% से अधिक के साथ सर्वाधिक शोध पत्र प्रकाशित किया जाता है जबकि अमेरिका में दुनिया के 25% शोध पत्र प्रकाशित होते हैं और शेष में सारा संसार समाया है केंद्र सरकार ने शोध और नवाचार पर बल देते हुए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के लिए ₹50000 आवंटित किए हैं साथ ही कुल शिक्षा बजट में उच्च शिक्षा के लिए एक बड़ी राशि देने की बात कही गई है जो कि शोध और उच्च शिक्षा के लिए सकारात्मक और मजबूत पहल है हालांकि भारत सरकार शोध और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में  बेहतर पालन करती  दिखती है दो टूक शब्दों में यह है कि पीएचडी की  थिसिस जिसे मजबूती से विकसित की जाए तो यह देश के नीति निर्माण में भी काम आ सकती है एक प्राइवेट विश्वविद्यालय में पीएचडी की फीस अमूमन ₹300000 के आसपास होती है इस भारी-भरकम फीस में अच्छे गाइड के साथ अच्छी थिसिस भविष्य और देश हित में तैयार की जा सकती है मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है इसकी बड़ी वजह है डिग्री और धन का नाता भी हो सकता है शिक्षाविद प्रो यशपाल ने कहा था कि जिन शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान और उसकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता है न तो शिक्षा का भला कर पाते है और न ही समाज का

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