UPSC की तैयारी कैसे करें
UPSC की तैयारी कैसे करें पिछले 28 मई को आयोजित यूपी द्वारा आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा समाप्त हो गई लेकिन परीक्षा को लेकर चर्चा परिचर्चा और बहस का दौर अभी भी अभी तक नहीं थमा है कहा जा रहा है कि इस वर्ष परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का स्तर इतना कठिन था। कि अभ्यर्थी तो परेशान हुए ही, प्रश्नों को हल करने वाले शिक्षक और कोचिंग के मार्गदर्शकओं की स्थिति भी बेहद तनावपूर्ण रही। दोनों पेपर सामान्य अध्ययन और सीसैट की कमोबेश एक ही स्थिति रही और बहुत से अभ्यर्थियों के लिए पेपर सेकंड जो क्वालीफाई प्रकृति का है उसमें ही पास करना कठिन रहा सवाल है कि आखिर प्रश्नों में ऐसा क्या परिवर्तन हुआ है जिससे लेकर सभी परेशान हैं और यूपीएससी पर ज्यादती तक का आरोप लगाया जा रहा है।
परीक्षा का लेवल हुआ और कठिन।
सबसे पहली बात यह है कि सिविल सेवा परीक्षा अपनी कठिन प्रतिस्पर्धी और चुनौतीपूर्ण प्रकृति के लिए जानी जाती है कई बार तो मजाक में यह तक कह दिया जाता है कि भारत में सरकारी नौकरी एक ही है सिविल सेवा बाकी सब नौकरियां हैं यही कारण है कि सरकारी अथवा गैर सरकारी क्षेत्रों में इतनी नौकरियों के बावजूद सिविल सेवा को लेकर युवाओं में क्रेज बढ़ता ही रहा है। इस परीक्षा में शामिल होने वालों की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई है जबकि रिक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष लगभग हजार के आसपास होती है जाहिर सी बात है कि सिविल सेवा परीक्षा का लेवल तो कठिन होगा ही।
अभ्यर्थियों की संख्या में इजाफा।
असल में प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है यूपीएससी के लिए भी यह मुश्किल हो गया है कि वह मुख्य परीक्षा के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन कैसे करें? जहां तक प्रश्नों के कठिन होने का सवाल है। तो कठिनाई का स्तर हर साल बदलता रहा है। मसलन कभी तथ्यात्मक जानकारी पर अधिक बल दिया जाता है तो कभी अवधारणात्मक समझ पर इसी तरह सामान्य अध्ययन के विभिन्न खंडों को अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग तरीके से अधिक वरीयता दे दी जाती है जो कई बार अनपेक्षित हो जाता है। यूपीएससी का उद्देश्य उन उम्मीदवारों का चयन करना है जिनके पास विभिन्न विषयों की एक अच्छी समझ हो और जो प्रशासनिक सेवाओं के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता रखते हो समय के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा।
इस परीक्षा का दायरा काफी विस्तृत और व्यापक है और इसके लिए सिलेबस की विषय वस्तु के प्रति आप भर्तियों में अवधारणात्मक समझ के साथ-साथ तथ्यात्मक जानकारी भी जरूरी है इसकी तैयारी के लिए कुछ निश्चित और पर्याप्त समय देना अनिवार्य है कोई व्यक्ति चाहे कितना भी बुद्धिमान और तेज दिमाग वाला हो उसे सेलेबस को पूरी तरह से तैयार करने के लिए निरंतर प्रैक्टिस की जरूरत पड़ेगी और पहले जब इस परीक्षा को लेकर जागरूकता अथवा कोचिंग या अध्ययन सामग्री का अभाव था तब सिविल सेवा परीक्षा का अभ्यर्थी सभी विषयों के मूल संदर्भ पुस्तकों को पड़ता और खुद के नोट्स बनाता था जिससे उसकी व्यापक समझ बनती थी लेकिन आज के बदलते परिदृश्य में जहां एक और परीक्षा का सिलेबस अपडेट व एडवांस हुआ है वहीं दूसरी ओर यूट्यूब व गूगल से नए साधनों ने ज्ञान के क्षेत्र सबके लिए खोलकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है।
परीक्षा के ट्रेंड और एनालिसिस पर जोर।
परीक्षा की तैयारी को लेकर यूट्यूब पर पढ़ाने वाले डिजिटल गुरुओं अथवा कोचिंग सेंटर्स के मार्गदर्शकओ ने विषय वस्तु की गंभीरता को समझने के बजाएं परीक्षा के ट्रेंड एनालिसिस और उसे डिकोड करने पर अधिक बल दिया है वैसे कुछ मामलों में उपयोगी भी रहा है लेकिन यूपीएससी ऐसे किसी भी शॉर्टकट को समाप्त करना चाहता है और उसके लिए वह प्रत्येक वर्ष कुछ न कुछ नवीन प्रयोग करता रहा है गंभीर अभ्यर्थियों की छटनी करने के लिए यूपीएससी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है यह ठीक उसी तरह है जैसे आईआईटी और आईआईएम की प्रवेश परीक्षा में देखने को मिलता है।
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अपनी तैयारी का लेवल बढ़ाएं।
अब समय आ गए हैं की बढ़ती प्रतिस्पर्धा बदलते ट्रेड और सिविल सेवा की नई जरूरतों की उपेक्षा को ध्यान में रखते हुए अभ्यर्थी यूपीएससी को कटघरे में खड़ा करने के बजाय अपनी तैयारी का लेवल बढ़ाएं और परिवर्तनों को स्वीकार करें। आज प्रत्येक स्तर पर एक नए भारत की परिकल्पना की जा रही है तब हमें भी उसके अनुकूल बदलने की जरूरत होगी आज फास्ट फूड वाले दौर में जो लोग यूपीएससी को भी फास्ट फूड या फैशन के रूप में देखते हैं या फिर किसी प्रवेश परीक्षा की तैयारी की तरह मात्र पांच छह महीने देकर इसमें सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें अपनी रणनीति पर एक बार पुनर्विचार करने की जरूरत है।
निष्कर्ष।
यूपी का उद्देश्य से उम्मीदवारों का चयन करना है जो विभिन्न विषयों की अच्छी समझ रखते हो और जिनके पास प्रशासनिक सेवाओं के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता रखते हो। इस परीक्षा में शामिल होने वालों की संख्या लगभग 10 लाख तक पहुंच गई है जबकि रिक्तियों की संख्या लगभग एक हजार के आसपास होती है इसलिए सिविल सेवा परीक्षा का लेवल कठिन हुआ है। अब समय आ गया है बढ़ती प्रतिस्पर्धा , बदलते ट्रेड और सिविल सेवा की नई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए परिवर्तनों को स्वीकार करें और अपनी तैयारी का लेवल बढ़ाएं।
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