गिलोटिन क्या है // मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा

गिलोटिन क्या है

सुर्खियों में क्यों?

  • गिलोटिन क्या है बजट 2023-24 के लिए लोकसभा के द्वारा अनुदान माँगों और विनियोग विधेयक को बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

गिलोटिन क्या है?

  • लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा के लिए समय निश्चित किया जाता है।
  • चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर मंत्रालयों की सभी शेष मांगों को मतदान के लिए पेश कर देते हैं भले ही उन पर चर्चा हुई हो या नहीं, इसी प्रक्रिया को ‘गिलोटिन’ कहते हैं।

विधायी बोलचाल में गिलोटिनका क्या अर्थ है?

  • विधायी बोलचाल में गिलोटिन का अर्थ है एक साथ समूह बनाना और वित्तीय विधेयक को पारित करने में तेज़ी लाना। बजट सत्र के दौरान लोकसभा में यह काफी सामान्य प्रक्रिया है।
  • एक बार गिलोटिन लागू हो जाने के बाद अनुदान की शेष मांगों को बिना किसी चर्चा के मतदान के लिये रखा जाता है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि आवंटित समय के भीतर बजट पारित हो जाए और सरकार बिना किसी देरी के अपना काम जारी रख सके।

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बजट सत्र के दौरान गिलोटिन का उपयोग कैसे किया जाता है?

  • बजट पेश किये जाने के बाद संसद में लगभग तीन सप्ताह का अवकाश रहता है, इस दौरान सदन की स्थायी समितियाँ विभिन्न मंत्रालयों के लिये अनुदान की मांगों पर विचार करती हैं एवं रिपोर्ट तैयार करती हैं।
  • संसद की बैठक दोबारा शुरू होने के बाद कार्य मंत्रणा समिति (Business Advisory Committee- BAC) अनुदान मांगों पर चर्चा के लिये एक कार्यक्रम तैयार करती है।
  • कभी-कभी समय की कमी को देखते हुए सदन सभी मंत्रालयों की व्यय मांगों पर विचार नहीं कर पाती है; इसलिये कार्य मंत्रणा समिति चर्चा के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों की पहचान करती है; आमतौर पर गृह, रक्षा, विदेश मंत्रालय, कृषि, ग्रामीण विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालय।
  • सदन में वाद-विवाद समाप्त हो जाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष “गिलोटिन” लागू करता है, और समय बचाने के लिये अनुदान संबंधी सभी लंबित मांगों (जिन पर चर्चा हुई हो या नहीं हुई हो) तथा विधेयक/संकल्प के अविचारित खंडों पर एक ही बार में मतदान किया जाता है।

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