Meghalaya Tourism
Meghalaya Tourism Cleanest Village भारतीय संस्कृति में प्रकृति को बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और अधिकतर प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों के अनुसार यहां त्योहारों का सेलिब्रेशन भी होता है आज हम बात करेंगे पूर्वोत्तर भारत की जहां एशिया का सबसे स्वच्छ गांव मेघालय में स्थित है और उसका नाम है मावलित्रोग आपकी खूबसूरती और सुंदरता विश्व भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है पूर्वोत्तर भारत में जिसको अपन सेवन सिस्टर के नाम से भी जानते हैं उस मेघालय में स्थित है उसकी राजधानी शिलांग से 90 किलोमीटर दूर स्थित है जहां भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास यह गांव स्थित है इस गांव को देखने पर लगता है कि इसे मिनी स्विट्जरलैंड कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी वहां के लोग इसे ईश्वर की बगिया कहते हैं।
मावलित्रोग की प्राचीन दास्तां।
यह मावली तो गांव प्राचीन समय में ऐसा नहीं था लगभग 25 साल पहले के पर चर्चा करते हैं तब गांव महामारी से पीड़ित था और हर मौसम में कोई न कोई महामारी इसमें फैलती थी और इसमें सबसे ज्यादा जो प्रभावित होते थे वह छोटे बच्चे होते थे जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती थी यह बात 1988 की है उस समय वहां के विद्यालय के एक शिक्षक रिशोत इंडिया ने यह प्रण लिया कि मुझे इस गांव को स्वच्छ बनाना है और शिक्षित बनाना है क्योंकि जब तक लोगों का हम शिक्षित नहीं करेंगे तब तक वह स्वच्छ रहने की संभावना बहुत कम रहती है इसलिए जब उन्होंने इस बारे में लोगों को जागरूक करना शुरू किया और जो बीमारियां फैल रखी थी उनकी मुख्य वजह थी कि वहां फैली गंदगी को दूर करना इसलिए उन्होंने माताओं और बहनों से काफी सहयोग किया और उन्होंने स्वच्छता और शिक्षा का एक संगठित अभियान चलाकर इस प्रारूप पर उन्होंने एक समिति का गठन भी किया। लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू किया और उसमें सबसे पहले परिवार को साफ सुथरा बनाने का संकल्प लिया जिसमें पशु से संबंधित गंदगी साथ ही घर में शौचालय और जो अपशिष्ट जो कचरा है उसको एक स्थान पर एकत्रित करना शुरू करने के लिए उन को जागरूक किया और लोगों ने इसको मारना प्रारंभ कर दिया फिर धीरे-धीरे गंदगी कम होने लगी इस कचरे को री साइकिल की प्रोसेस है खाद में कन्वर्ट करने के लिए कंपोस्ट पिट और उन्होंने बॉस के बॉक्स रखवाना शुरू किया। वहां के निवासियों की जागरूकता के कारण कुछ ही वर्षों में यह गांव जो हमेशा कूड़े कचरे का भंडार लगा रहता था वह गांव एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव 2003 में ही बन गया जिसमें डिस्कवरी ऑफ इंडिया की तरफ से इस गांव को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव के रूप में चयनित किया गया इस गांव में 100% लोग साक्षर हैं
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यहां के निवासियों की दिनचर्या।
मावलित्रोग इस गांव के लोगों की दिनचर्या अब पूर्णता बदल चुकी है यह गांव के सभी लोग अंग्रेजी बोलते है हिंदी बोलने में थोड़ी है समस्या होती है। प्लास्टिक उत्पादों का प्रयोग करना सख्त मना है क्योंकि इसे रीसाइक्लिंग नहीं किया जा सकता यहां धूम्रपान पर प्रतिबंध है यहां नो प्लास्टिक नो स्मोकिंग एंड नो थ्रो आउट का नियम 100% लागू है अगर इसकी कोई पालन नहीं करता है तो उन्हें भारी-भरकम जुर्माना देना पड़ता है इस गांव की आबादी लगभग 600 लोग रहते हैं यहां अधिकतर खासी जनजाति के लोग रहते हैं लेकिन उन्होंने स्वच्छता को और शिक्षा को पहली प्राथमिकता दी जिसके कारण विश्व पटल पर उनकी पहचान बनी हुई है हर घर में शौचालय मौजूद हैं यहां के लोग घर की नालियों की साथ में सड़क की सफाई भी करते हैं हर घर के आगे कूड़े करकट डालने के लिए कूड़ेदान लगे हुए हैं और वह कूड़ेदान बांस के बने हुए हैं परिवार में सभी सदस्य मिलकर संपूर्ण गांव की सफाई करते हैं और जो लोग सफाई नहीं करते हैं उन लोगों को खाने से वंचित कर दिया जाता है। मावलित्रोग गांव के लोगों ने एक वॉच टावर बना रखा है और वह भी बॉस का बना हुआ है जो 75 फीट ऊंचा है और उससे स्काई व्यू टावर कहा जाता है जहां से हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश का नजारा देख सकते हैं यहां इसके पास स्थित गांव की डवकी नदी का पानी भी बहुत खूबसूरत है एकदम साफ पानी जब उसमें नाव चलती है तो ऐसा लगता है कि नाव हवा में चल रही है वहां का बैलेंसिंग रॉक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है वहां के लोगों के लिए वास्तव में यह चट्टान उनकी हर समस्या से वहां के निवासियों की रक्षा करती है ऐसा उनका मानना है। पूर्वोत्तर राज्य जिनको सेवन सिस्टर के नाम से जाना जाता है वहां की खूबसूरती देखते ही बनती है मेघालय का यह गांव अपने आप में भारत के लिए एक गौरव है और जो दूसरों के लिए अनुकरणीय भी है कि हम भी स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा की तरफ ध्यान देकर अपने गांव को अपने आसपास के वातावरण को प्रभावी बना सकते हैं। RELATED LINK