Maternal And Child Mortality // नवजात मृत्यु दर// संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

Maternal And Child Mortalityसंयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

सुर्खियों में क्यों 

maternal and child mortality संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक मातृ मृत्यु, जन्मजात मृत और नवजात मृत्यु के 60 प्रतिशत और  जीवित बच्चों के जन्म का 51 प्रतिशत हिस्सा दुनिया के सिर्फ 10 देश में हैं और भारत उन 10 देशों की सूची में सबसे ऊपर है।

  • डब्ल्यूएचओ (WHO), यूनिसेफ (UNICEF) और यूएनएफपीए (UNFPA) द्वारा प्रगति ट्रैकिंग रिपोर्ट में ताजा प्रकाशित अनुमान दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केप टाउन में चल रहे ‘अंतरराष्ट्रीय मातृ नवजात स्वास्थ्य सम्मेलन’ (IMNHC 2023) में लॉन्च किया गया।

प्रमुख बिन्दु

  • वैश्विक मातृ और नवजात स्वास्थ्य चुनौतियाँ:

  • रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतमातृ मृत्यु, स्टिलबर्थ/मृत जन्म और नवजात मृत्यु के वैश्विक बोझ में सबसे आगे है, जो कुल मृत्यु का 17% है।
  • भारत के बाद वर्ष 2020 में सबसे अधिक निरपेक्ष मातृ और नवजात मृत्यु तथा मृत जन्म वाले देशनाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, बांग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान एवं तंज़ानिया हैं।मातृ एवं शिशु मृत्यु // नवजात मृत्यु दर// संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
  • प्रवृत्ति:
  1. मातृ मृत्यु दर अनुपात (Maternal Mortality Ratio- MMR):

  • MMR में वर्ष2000 और 2009 के बीच 8% की दर से वार्षिक कमी देखी गई, जो वर्ष 2010 एवं 2020 के बीच घटकर 1.3% हो गई है।
  • मातृ मृत्यु अनुपातकिसी दी गई जनसंख्या या क्षेत्र में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या को संदर्भित करता है।
  • यह गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान महिलाओं के
    स्वास्थ्य एवं कल्याण का महत्त्वपूर्ण संकेतक है।
  1. स्टिलबर्थ रेट (SBR):  
  • SBR वर्ष2000 और 2009 के बीच 3% एवं वर्ष 2010 और 2021 के बीच 1.8% कम हो गया था।
  • प्रति 1,000 जन्मों पर ऐसे बच्चों का जन्म जिनके विषय में गर्भावस्था के 28 सप्ताह अथवा उसके बाद के समय में भी बच्चे के विषय में कोई संकेत नहीं मिल रहे होते हैं, SBR कहा जाता है।
  • वर्ष2022 और 2030 के बीच प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 12 से कम मृत जन्मों के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिये 2% की दर से इस प्रकार की मौतों में कमी लाने की आवश्यकता है।
  • नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate- NMR):
    • NMR में समान पैटर्न दर्ज किया गया है; वर्ष 2000 और 2009 के बीच 3.2% की कमी, वर्ष 2010 और 2021 के बीच 2.2% की कमी।
    • प्रति 1,000 जीवित जन्मों के बाद जीवन के पहले 28 दिनों के भीतर शिशुओं की मृत्यु की संख्या को नवजात मृत्यु दर कहा जाता है।
    • नवजात मृत्यु दर को पूरी तरह नियंत्रित करने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने के लिये वर्ष 2022 और 2030 के बीच NMR को और 7.2% कम करने की आवश्यकता है।

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  • सुझाए गए उपाय:
  • मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। सुविधाओं की उपलब्धता का आकलन करने के तीन तरीके हैं: प्रसव-पूर्व देखभाल हेतु कम-से-कम चार बार चिकित्सीय सलाह लेना, जन्म के समय कुशल परिचारक की उपलब्धता और जन्म के बाद पहले दो दिनों के भीतर प्रसवोत्तर देखभाल।
    • प्रसव-पूर्व देखभाल कवरेज वर्ष 2010 के 61% से बढ़कर वर्ष 2022 में 68% हो गया है, जिसमें वर्ष 2025 तक 69% की वृद्धि अनुमानित है।मातृ एवं शिशु मृत्यु // नवजात मृत्यु दर// संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

मातृ एवं शिशु मृत्यु का प्रमुख कारण:

  • मातृ मृत्यु:
  • अधिक रक्तस्राव: यह मातृ मृत्यु का प्रमुख कारण है, जो अक्सर बच्चे के जन्म के दौरान अथवातत्काल प्रसवोत्तर अवधि में होता है।
  • उच्च रक्तचाप विकार (प्री-एक्लेमप्सिया और एक्लम्पसिया):इन स्थितियों के परिणामस्वरूप अंग विफलता, दौरा पड़ना और यहाँ तक कि मातृ मृत्यु भी हो सकती है।
  • असुरक्षित गर्भपात:ऐसे क्षेत्र जहाँ सुरक्षित और कानूनी गर्भपात तक पहुँच सीमित है, महिलाएँ असुरक्षित प्रक्रियाओं का सहारा लेती हैं जिससे कई जटिलताएँ और मातृ मृत्यु हो सकती है।
  • शिशु मृत्यु:
  • जन्म के समय वज़न कम होना:अतिशीघ्र  समय से पूर्व/प्रीटर्म  या जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चे विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, उनमें मृत्यु दर का खतरा अधिक होता है।
  • बर्थ एस्फिक्सिया (जन्म के समय दम घुटना):जब बच्चे को प्रसव के दौरान पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, तो इसका परिणाम बर्थ एस्फिक्सिया हो सकता है, यदि तुरंत उपचार नहीं किया जाता है तो मस्तिष्क क्षति या मृत्यु हो सकती है।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार की विधियाँ:    

  • सामाजिक-आर्थिक कारकों को संबोधित करना: गरीबी, शिक्षा और लैंगिक असमानता जैसे स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को पहचानने और संबोधित करने की आवश्यकता है, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
  • पोषण और खाद्य सुरक्षा: मातृ और शिशु पोषण में सुधार के लिये नवीन दृष्टिकोणों को लागू करना जैसे कि सामुदायिक उद्यान, पोषक खाद्य कार्यक्रम और मोबाइल एप्लीकेशन जो व्यक्तिगत आहार अनुशंसाएँ प्रदान करते हैं। खाद्य बैंक एवं वाउचर प्रणाली जैसी पहलों के माध्यम से खाद्य असुरक्षा को संबोधित करना भी बेहतर स्वास्थ्य परिणामों में योगदान कर सकता है।
  • स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता: मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये माताओं, परिवारों तथा समुदायों को लक्षित करने वाले अभिनव शैक्षिक कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है।

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