ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023 हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा (WEF) ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023 जारी की गयी।

सूचकांक के संबंध में:

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स सालाना चार प्रमुख आयामों में लैंगिक समानता की वर्तमान स्थिति और विकास को मापता है-

  • आर्थिक भागीदारी और अवसर,
  • शैक्षिक प्राप्ति,
  • स्वास्थ्य और जीवन रक्षा, और
  • राजनीतिक सशक्तिकरण
  • यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला सूचकांक है, जो वर्ष 2006 में स्थापना के बाद से समय के साथ लैंगिक अंतरालों को समाप्त करने की दिशा में हुई प्रगति को ट्रैक करता है।
  • रिपोर्ट का लक्ष्य समय के साथ प्रगति के मूल्यांकन के लिए एक सतत वार्षिक मीट्रिक की पेशकश करना है।
  • सूचकांक और विश्लेषण विभिन्न देशों और क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता की बेंचमार्किंग पर केंद्रित है।ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023 हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा (WEF) ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023 जारी की गयी।
2023 रिपोर्ट की मुख्य बातें

वैश्विक परिदृश्य: इस संस्करण में शामिल सभी 146 देशों के लिए 2023 में वैश्विक लिंग अंतर स्कोर 68.4% पर है।

सूचकांक के अनुसार, किसी भी देश ने अभी तक पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है, हालांकि शीर्ष नौ देशों (आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, स्वीडन, जर्मनी, निकारागुआ, नामीबिया और लिथुआनिया) ने अपने अंतर का कम से कम 80% कम कर लिया है।

भारत की स्थिति

  • लैंगिक समानता के मामले में भारत 146 देशों में से 127वें स्थान पर है, जो वर्ष 2022 से आठ स्थानों का सुधार आया है। पिछले वर्ष के संस्करण में यह 135वें स्थान पर था।
  • देश ने शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में समानता हासिल कर ली है।
  • भारत ने समग्र लैंगिक अंतर को 64.3% कम कर दिया है। हालाँकि, यह रेखांकित किया गया कि भारत आर्थिक भागीदारी और अवसर की पर समानता केवल 7% तक पहुँच पाया है।
  • भारत में, जबकि वेतन और आय की समानता में वृद्धि हुई है, जबकि वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले संस्करण के बाद से थोड़ी कम हो गई है।
  • भारत ने राजनीतिक सशक्तीकरण में प्रगति की है तथा इस क्षेत्र में 25.3% समानता हासिल की है। संसद में कुल सांसदों की तुलना में महिला सांसद प्रतिनिधित्व 15.1% है जो वर्ष 2006 में प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद से सबसे अधिक है।
  • एक दशक से अधिक की धीमी प्रगति के बाद भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में 1.9% अंक का सुधार हुआ है।

भारत के लिए क्या चुनौतियाँ हैं?

  • श्रम बाजार में लैंगिक समानता की स्थिति एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • हाल के वर्षों में न केवल विश्व स्तर पर श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी कम हुई है, बल्कि आर्थिक अवसर के अन्य मार्कर महिलाओं और पुरुषों के बीच पर्याप्त असमानताएं दिखा रहे हैं।
  • STEM (Science, technology, engineering, and mathematics) कार्यबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है।
  • लगातार डिजिटल विभाजन को देखते हुए, वर्तमान में महिलाओं और पुरुषों के पास समान अवसर और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म तक पहुंच नहीं है।
  • व्यावसायिक नेतृत्व में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले की तरह, राजनीतिक नेतृत्व में भी लैंगिक अंतर बना हुआ है।

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023

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