इंडिया गठबंधन क्या
सुर्खियों में क्यों
इंडिया गठबंधन भारत के 26 विपक्षी राजनीतिक दलों ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक नये विपक्षी
गठबंधन (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस अर्थात इंडिया) का गठन किया है।
इंडिया गठबंधन क्या है?
इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस अर्थात इंडिया संपूर्ण भारत से (अब तक) 26
विपक्षी राजनीतिक दलों का गठबंधन है।
उन्होंने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से
मुकाबला करने के लिए हाथ मिलाया है।
गठबंधन की अब तक दो बैठकें हुईं जिनमें सात राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों और कई पूर्व
मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया।
इंडिया गठबंधन का हिस्सा बने विभिन्न पार्टियां नीचे दी गई हैं।
26 पार्टियों से बने इंडियन
नेशनल डेवलपमेंटल
इन्क्लूसिव अलायंस की
लोकसभा में 142 सदस्यों की
सामूहिक ताकत है।
- कांग्रेस (INC)
- एआइटीसी (AITC) 13. पीडीपी
- डीएमके(DMK) 14. सीपीआईएम
(CPIM)
- आम आदमी पार्टी 15. सीपीआई(CPI)
- जनता दल (यूनाइटेड) 16. सीपीआई-एमएल
(लिबरेशन)
- राष्ट्रीय जनता दल 17. सीपीआई-एमएल
(लिबरेशन)
- जेएमएम(JMM) 18. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट
पार्टी
- एनसीपी (शरद पवार) 19. ऑल इंडिया फॉरवर्ड
ब्लॉक
- शिव सेना (UBT) 20. एमडीएमके(MDMK)
- समाजवादी पार्टी 21. वीसीके (VCK)
राष्ट्रीय लोक दल 22. केडीएमके (KDMK)
- अपना दल (कमेरावादी) 23. एमएमके (MMK)
- जेएण्डके नेशनल कांफ्रेंस 24. आईयूएमल (IUML)
- केरल काँग्रेस (एम)
- केरल काँग्रेस
(जोसेफ)
भारत में विपक्ष का इतिहास क्या है?
- आजादी के बाद लोकसभा का पहला आम चुनाव वर्ष 1952 में हुआ और कांग्रेस ने चुनाव जीता।
- 1952-1962 की अवधि के दौरान लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा।
- कोई भी विपक्षी दल सीटों की संख्या का दसवां हिस्सा भी नहीं जीत सका।
- पहले आम चुनाव में सीपीआई ने 16 सीटें जीतीं और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी।
- दिसंबर 1969 में, कांग्रेस पार्टी (O) के नेता राम सुभाग सिंह को पहली बार विपक्षी नेता के रूप में
मान्यता दी गई थी
विपक्षी दल की संवैधानिक स्थिति क्या है?
- सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को, जिसके पास सदन की कम से कम 1/10 सीटें हों, विपक्ष का
नेता नियुक्त किया जाता है।
- इसका उल्लेख संविधान में नहीं है लेकिन संसदीय क़ानून में उल्लेखित है।
- विपक्षी दलों में गठबंधन संभव नहीं।
- नेता प्रतिपक्ष – यह पद स्पीकर द्वारा मान्यता प्राप्त होता है।
- लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) को वर्ष 1977 से वैधानिक दर्जा प्राप्त है।
- नेता प्रतिपक्ष को उनकी वैधानिक मान्यता संसद अधिनियम 1977 (लोक सभा और राज्य सभा
दोनों) में विपक्ष के नेताओं के वेतन और भत्ते के माध्यम से मिली।
- इन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन और भत्ते मिलते हैं।
- वर्तमान स्थिति – लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव के बाद से
खाली है क्योंकि कोई भी विपक्षी दल 10% कोरम पूरा नहीं कर सका है।
लोकतंत्र में विपक्ष की क्या भूमिका है?
- विपक्ष संसदीय व्यवस्था के लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संसदीय सदनों में एकदलीय प्रभुत्व को नकारता है।
- वे संसदीय प्रणाली में एक लोकतांत्रिक राजनीतिक विकल्प प्रदान करते हैं।
- वे सत्तारूढ़ दल की नीतियों और सिद्धांतों की निरंतर और सैद्धांतिक आलोचना प्रस्तुत करते हैं।
- इससे सत्तारूढ़ दल नियंत्रण में रहता है और शक्ति संतुलित रहती है।
- वे विधायिका में सरकार की जवाबदेही को बरकरार रखते हैं।
- उनके द्वारा संसद में जनता की राय रखी जाती है।
विपक्ष द्वारा निभाई गई अन्य भूमिकाएँ क्या हैं?
- परंपरागत रूप से लोकसभा का उपाध्यक्ष विपक्ष से होता है।
- वर्ष 1967 से लोक लेखा समिति के अध्यक्ष परंपरानुसार विपक्ष से होते हैं।
- वे कई अन्य संसदीय समितियों का भी हिस्सा होते हैं।
- विपक्ष या विपक्ष के नेता एनएचआरसी, लोकपाल, सीआईसी, सीवीसी, सीबीआई आदि जैसे प्रमुख
निकायों की नियुक्ति समितियों का हिस्सा हैं।
ब्रिटेन में विपक्ष भारत से कैसे अलग?
- भारत ने संसदीय प्रणाली ब्रिटिश संविधान से उधार ली है।
- ब्रिटिश संसद में विपक्ष के नेता को छाया प्रधानमंत्री कहा जाता है।
- वे सत्तारूढ़ कैबिनेट को संतुलित करने के लिए एक छाया कैबिनेट भी बनाते हैं।
- वे न केवल सरकार का विरोध और आलोचना करते हैं बल्कि सरकार गिरने पर सरकार संभालने के
लिए हमेशा तैयार भी रहते हैं।
- भारत – भारत में ऐसी कोई छाया कैबिनेट नहीं होता है।
- बहुदलीय प्रणाली में विधायिका के अंतर्गत दूसरी सबसे बड़ी पार्टी विपक्ष होती है।
विपक्ष का क्या महत्व है?
- विपक्ष का नेता या नेता प्रतिपक्ष प्रमुख संसदीय पदाधिकारियों में से एक है जिसकी भूमिका किसी
भी नियम में परिभाषित नहीं है।
- सत्तारूढ़ सरकार की किसी भी विफलता के मामले में विपक्ष नए चुनाव के बिना एक तैयार
वैकल्पिक सरकार देता है।
- संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए सशक्त विपक्ष आवश्यक है।
- संसद की उत्पादकता बनाए रखने में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस और द हिंदू
इंडिया गठबंधन
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