नई शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा // Objectives of the new education policy

New education policy 2020 Review नई शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा नई शिक्षा नीति का एक बड़ा उद्देश्य साल 2030 तक प्रारंभिक से लेकर माध्यमिक स्तर में 100% सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करना है इसी नीति में 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों को समग्र शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास भी जारी है । कैबिनेट की मंजूरी के बाद से ही इसे लागू करने की प्रक्रिया देश भर में जोर-शोर से चल रही है इस क्रम में कर्नाटक देश का पहला राज्य है। जहां नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया है।  विदित हो कि कर्नाटक के तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 में ही से लागू करने की घोषणा की थी मगर इस मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री नई शिक्षा नीति के प्रति सकारात्मक दिखाई नहीं दे रहे हैं।

मध्य प्रदेश दूसरा हिस्सा राज्य है जो इसे कटिबद्ध हुआ है इसके अलावा उत्तर प्रदेश तेलगाना महाराष्ट्र राजस्थान और असम सहित तमाम राज्य नया जोर जोरों पर इसे लागू करने का प्रयास किया है।

वहीं उत्तराखंड इस मामले में बेहतर कदम के तौर पर समझा जा सकता है केंद्रीय शिक्षा मंत्री की मान्य तो उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए शुभारंभ किया गया है इसमें कोई दो राय नहीं की नई शिक्षा नीति को लेकर राज्यों के अपने दृष्टिकोण है।  बावजूद इसके इस बात को नजरअंदाज करना संभव नहीं है कि नई शिक्षा नीति 2020 तत्कालीन परिस्थितियों में एक नई व्यवस्था कि देश को जरूरत है। नई शिक्षा नीति 2020 के पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी जिसमें 1992 में संशोधन किया गया था तब से यही व्यवस्था अनवर्ते है 34 साल बाद देश में एक नए प्रारूप की शिक्षा अमल में लाने का बिगुल बजा है।  नई शिक्षा नीति के नए आयाम युक्त है जिसकी विशुद्ध चर्चा लाजमी है। भाषा के स्तर पर इसमें उदारता और पाठ्यक्रम की दृष्टि से इसमें कहीं अधिक लोच शीलता भरी हुई है।  इसका स्वरूप 10 प्लस टू के स्थान पर 5 + 3 + 3 + 4 कर दिया गया है चरणबद्ध प्रक्रिया में देखें तो अब भारत में शिक्षा की शुरुआत फाउंडेशन स्टेशन शुरू होगी जिसमें पहले 3 साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री स्कूलिंग करेंगे। इसके पश्चात अगले 2 वर्ष अर्थात कक्षा एक और दो के लिए स्कूल जाएंगे जो नई पाठ्यक्रम के अंतर्गत होगा जाहिर है।

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नई शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा // Objectives of the new education policy

इसका स्वभाव क्रियाकलाप आधारित शिक्षण संयुक्त होगा इसमें विद्यार्थी तीन से आठ साल की आयु के होंगे।  यह पढ़ाई का पहला 5 साल का चरण है।  दूसरा चरण 3 वर्षीय प्रिपेटरी स्टेज का है।  जिसमें कक्षा तीन से पांच और 11 वर्ष की आयु के विद्यार्थियों के लिए है।  जबकि मिडिल स्टेज की पढ़ाई कक्षा 6 से 8 और 11 से 14 वर्ष के विद्यार्थी इसमें शामिल रहेंगे इसके बाद सेकेंडरी स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए और इसमें विषय चुनने की आजादी है इसमें विशेष बात यह है कि कक्षा पांचवी तक मातृभाषा में स्थानीय क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की व्यवस्था की गई है।  विदेशी भाषा की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल पर कर सकते हैं।  जिससे कक्षा 8 या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है इससे यह साफ है की नई शिक्षा नीति में भाषा की थोपने की स्थिति नहीं रहेगी। देखा जाए तो उच्च शिक्षा भी लोचशीलता युक्त है पढ़ाई छुटने और फिर जोड़ने के लिए अभी कई सुविधाएं देखी जा सकती है।  विदेशी विश्वविद्यालय के लिए भी दरवाजे खुलते दिखाई दे रहे हैं।  बदलाव जमीन पर जल्द उत्तर पाएगा यह कहना मुश्किल है मगर भारत में शीर्ष 200 विदेशी विश्वविद्यालय के लिए द्वार खुलने से यहां की उच्च शिक्षा का स्तर भी बढ़ाने की संभावना है।  साथ ही प्रतिभा पलायन को भी ब्रेक लग सकता है।  वैसे यहां एक खास बात यह भी है कि यूपीए  सरकार के समय विदेशी शिक्षण संस्थानों पर ले गए रेगुलेशन आफ एंट्री एंड ऑपरेशन बिल 2010 को लेकर भाजपा विरोध में थी।  लेकिन अब इसके लिए दरवाजा खोलने की सरकार बात कर चुकी है हालांकि इसे सही करार दिया जाना चाहिए क्योंकि हर साल 7:30 लाख से अधिक भारतीय 6 अरब डालर खर्च करके विदेश में पढ़ते हैं जिसका आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है इस दृष्टि से इस पर नए केवल विराम लगेगा बल्कि आर्थिक मुनाफा भी देश को हो सकता है

Objectives of the new education policy

सवाल यह भी है कि भारत के शैक्षणिक वातावरण को देखकर क्या विदेशी विश्वविद्यालय यहां काम करने का रुख करेंगे ऐसे में तब जब नई शिक्षा नीति में अधिकतम फीस की सीमा भी तय करने की बात कही गई है खास यह भी है कि उसे शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसदी सकल नामांकन अनुपात पहुंचने का लक्ष्य है जो साल 2018 के आंकड़े 26 % के लगभग से दो गुना है फिलहाल उच्च शिक्षा में करोड़ों नई सीट जोड़ने की बात भी है। वैसे दुनिया में कई देश शिक्षा की स्थिति और प्रगति को लेकर नई प्रयोग करते रहे हैं अमेरिका में स्कूल व्यावहारिक समझ और अतिरिक्त पाठ्यचर्या गतिविधियों पर अधिक जोर देते हैं यहां प्राथमिक माध्यमिक और उच्च विद्यालय की श्रेणी देखी जा सकती है। के उदाहरण के रूप में एजुकेशन इन स्विट्ज़रलैंड में यह शब्द अपने आप में एक अलग तरह की जिंदगी है यह प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए विख्यात है नीदरलैंड की शिक्षा को काफी सस्ती माना जाता है।  शिक्षा के साथ कई देशों में पार्ट टाइम जॉब करने की भी छूट मिलती है इसके अलावा भी कई सुविधाएं देखी जा सकती है नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा यह है।  संदर्भ उजागर करती है कि 1954 की लॉर्ड मैकाले की इंग्लिश शिक्षा का दौर आगे इस पैमाने पर नहीं रहेगा।

नई शिक्षा नीति 2020

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