क्यों मिला आडवाणी को भारत रत्न सम्मान जानिए
आडवाणी को मिला भारत रत्न सम्मान भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व डेप्युटी पीएम लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी साझा की। और उन्होंने कहा कि हमारे समय के सबसे सम्मानित स्टेट्समैन है। देश के विकास में उनका अमूल्य योगदान को भूलाया नहीं जा सकता। अयोध्या में राम मंदिर जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण आंदोलन और भाजपा को राजनीतिक चरम की ओर ले जाने वाले रामरथ के सारथी आडवाणी को भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
आडवाणी को मिला भारत रत्न सम्मान // आडवाणी जी का परिचय।
8 नवंबर 1927 को कराची में जन्मे भाजपा के दिग्गज नेता आडवाणी जी 97 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं जब वह 14 साल के थे तब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़ गए थे और हमेशा में अपने देश के लिए समर्पित और निस्वार्थ सेवा का भाव का अमूल मंत्र लेते हुए नई दिशा और दशा तय करते हुए भारत में लगातार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर और भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
आडवाणी जी का परिचय।
अटल बिहारी वाजपेई के बाद भाजपा में दूसरे बड़े नेता थे। जिनको भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा। जनसंघ के नानाजी देशमुख को 2019 में यह सर्वोच्च सम्मान मिला था। अब तक 50 शख्सियतो को भारत रत्न से नवाजा गया है लालकृष्ण आडवाणी यह सम्मान पाने वाले 32 में राजनेता होंगे 12 दिन पहले ही बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई थी। 1942 में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे 1947 में आजादी के बाद उनका पूरा परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था यहां पर पहले जैन संघ पार्टी से जुड़े फिर जनता पार्टी में दीनदयाल उपाध्याय है और अटल बिहारी वाजपेई के साथ अहम जिम्मेदारियां संभालते रहे 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे 1989 में वह पहली बार भारत के गृहमंत्री बने 1998 से 2004 के बीच एनडीए सरकार में गृहमंत्री रहे। 2002 से 2004 के बीच अटल सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे। वे 7वें डेप्युटी पीएम थे। 15 में आडवाणी देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से उनको सम्मानित किया गया।
आडवाणी को मिला भारत रत्न सम्मान // आडवाणी की राम मंदिर निर्माण में अहम भूमिका
। राम मंदिर निर्माण में लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका रही है। 35 साल पहले राम मंदिर जन्म भूमि आंदोलन में भाजपा का चेहरा बने थे 80 के दशक में विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन शुरू किया था और उस आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही थी। उस समय 1991 का चुनाव देश की सियासत में ट्रेनिंग पॉइंट राम मंदिर रहा था। भाजपा मंडल कमीशन की काट के रूप में राम मंदिर का मुद्दा लेकर आई थी और रामरथ के ऊपर सवार होकर देश के मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में भाजपा को उभरकर सामने लाने में आडवाणी की अहम भूमिका थी। निर्माण के लिए आडवाणी ने 6 यात्राएं निकाली थी जिन में 1990 में सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथ यात्रा उसके बाद राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा और जन चेतना यात्रा शामिल है। राम मंदिर निर्माण को लेकर जनसंघ में युवा नेताओं की फौज तैयार की साथ ही मौजूद भाजपा में 90% से ज्यादा नेता आडवाणी ने ही तैयार किए थे। और राम मंदिर का उनका सपना 22 जनवरी 2024 को पूर्ण हुवा जब रामलला की स्थापना अयोध्या में विधिवत रूप से संपन्न हुई।
भारतीय राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी की देन
लालकृष्ण आडवाणी हमेशा साफ सुथरी छवि वाले नेता रहे हैं उनके 50 साल से ज्यादा के राजनीतिक कैरियर में कभी कोई दाग नहीं लगा जब एक बार 1996 में विपक्ष के बड़े नेताओं का हवाला कांड में नाम आया था तब लाल कृष्ण आडवाणी इस्तीफा देकर यह कहा था कि अगर मैं बेदाग निकला तो दोबारा चुनाव लड़ूंगा और 1996 में बेदाग साबित हुए। धर्म के प्रति धर्म और राजनीति को साथ लेकर हमेशा चले और भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में उनकी है अमूल्य भूमिका रही। वह हमेशा लोकप्रिय नेता रहे और जनता के दिल और दिमाग में हमेशा उनकी छवि एक साफ सुथरे और प्रख्यात राजनीतिक पंडित के रूप में रही।
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