जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने कहा कि केंद्र समर्थित जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के तहत 10,000 भारतीय मानव जीनोम का अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग) करने और एक डेटाबेस बनाने की कवायद को पूरा कर लिया गया है।
जीनोम अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग)
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट // जीनोम अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग)
- जीनोम – मानव जीनोम प्रत्येक मानव शरीर की प्रत्येक कोशिका के केंद्रक में रहने वाले डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) का संपूर्ण समूह है।
- यह जीव के विकास और कामकाज के लिए जिम्मेदार संपूर्ण आनुवंशिक जानकारी रखता है।
डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक व्यक्तियों की पहचान स्थापित करने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग को नियंत्रित करता है। |
- जीनोम अनुक्रमण – जीनोम अनुक्रमण का आशय किसी जीनोम में डीएनए न्यूक्लियोटाइड्स या बेस युग्म के क्रम का पता लगाना है यानी एडेनिन (ए), थाइमिन (टी), साइटोसिन (सी) और गुआनिन (जी) का क्रम, जिससे किसी जीव के डीएनए का निर्माण होता है।
- जबकि अन्य प्रजातियों की तुलना में सभी मनुष्यों में बेस युग्म का अनुक्रम या क्रम समान होता है, प्रत्येक मनुष्य के जीनोम में अंतर होता है जो उन्हें अद्वितीय बनाता है।
अनुप्रयोग
- दुर्लभ विकारों, विकारों और कैंसर के लिए पूर्व शर्तों का मूल्यांकन करना।
- प्रसवपूर्व जांच के लिए उपकरण, यह जांचने के लिए कि भ्रूण में आनुवंशिक विकार या विसंगतियां हैं या नहीं।
- तरल बायोप्सी, जहां डीएनए मार्करों के लिए रक्त की थोड़ी मात्रा की जांच की जाती है।
मानव जीनोम परियोजना (एचजीपी)
- यह परियोजना वर्ष 1990-2003 तक चलाया गया, मानव जीनोम प्रोजेक्ट मानव जीनोम का पहला अनुक्रम उत्पन्न करने का एक ऐतिहासिक वैश्विक वैज्ञानिक प्रयास था।
- संपूर्ण मानव जीनोम अनुक्रम के पहले परिणाम वर्ष 2003 में दिए गए थे, जबकि एचजीपी ने 0.3% त्रुटि मार्जिन के साथ 2023 में संपूर्ण मानव जीनोम का नवीनतम संस्करण जारी किया था।
जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (जीआईपी)
- लक्ष्य- भारत भर के नागरिकों से 10,000 आनुवंशिक नमूने एकत्र करना, एक संदर्भ जीनोम ग्रिड का निर्माण करना।
- जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट नेक्स्ट-जेनेरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) प्लेटफॉर्म पर आधारित है।
- बुनियादी अगली पीढ़ी की अनुक्रमण प्रक्रिया में डीएनए/आरएनए को कई टुकड़ों में विभाजित करना, एडेप्टर जोड़ना, पुस्तकालयों को अनुक्रमित करना और जीनोमिक अनुक्रम बनाने के लिए उन्हें फिर से जोड़ना शामिल है।
- लॉन्च – 2020 में।
- भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र द्वारा पहल।
- भागीदार संगठन – 20
- निधि – जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा।
स्रोत: द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस👇👇👇