अग्निपथ योजना की वैधता
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना की वैधता को बरकरार रखा।
योजना की वैधता :- यह अभी भी उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीन है।
आइए एक नजर डालते हैं इस योजना की बुनियादी जानकारी पर।
अग्निपथ योजना:
- यहदेशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार साल की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देता है।
- इस योजना के तहतसेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा और युवा कुछ समय के लिये सेना में भर्ती हो सकेंगे।
- नई योजना के तहत लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे।
- हालांकिचार साल के बाद बैच के केवल 25% को ही 15 साल की अवधि के लिये उनकी संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाएगा।
अग्निपथ योजना की वैधता
पात्रता मापदंड:
- यह केवलअधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिये है (जो कमीशन अधिकारी के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)।
- कमीशन अधिकारी सेना के उच्चतम रैंक के अधिकारी हैं।
- कमीशन अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों में एक विशेष रैंक रखते हैं। वे अक्सर राष्ट्रपति की संप्रभु शक्ति के तहत कमीशन किये जाते हैं और उन्हें आधिकारिक तौर पर देश की रक्षा करने का निर्देश होता है।
- 5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के लिये पात्र होंगे।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य देशभक्त और प्रेरित युवाओं को ‘जोश’ और ‘जज्बे’ के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर प्रदान करना है।
- इससे भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु प्रोफाइल में लगभग 4 से 5 वर्ष की कमी आने की उम्मीद है।
- इस योजना में यह परिकल्पना की गई है किसशस्त्र बलों में वर्तमान में औसत आयु 32 वर्ष है, जो 6-7 वर्ष घटकर 26 वर्ष हो जाएगी।
अग्निपथ योजना की वैधता
अग्निवीरों को लाभ:
- सेवा के 4 वर्ष पूरे होने पर अग्निवीरों को 71 लाख रुपए का एकमुश्त ‘सेवा निधि’ पैकेज का भुगतान किया जाएगा जिसमेंउनका अर्जित ब्याज शामिल होगा।
- उन्हें चार साल के लिये 48 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर भी मिलेगा।
- मृत्यु के मामले में भुगतान न किये गए कार्यकाल के लिये वेतन सहित 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि होगी।
- सरकार चार साल बाद सेवा छोड़ने वाले सैनिकों के पुनर्वास में मदद करेगी। उन्हें स्किल सर्टिफिकेट और ब्रिज कोर्स (Bridge Courses) प्रदान किये जाएंगे।
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दूसरी नौकरी ढूँढना मुश्किल:
‘अग्निपथ’ योजना से पहले साल में थल सेना, नौसेना और वायु सेना में लगभग 45,000 सैनिकों की भर्ती चार साल के अल्पकालिक अनुबंध पर कि जाएगी। अनुबंध पूरा होने के बाद उनमें से 25% के अलावा बाकी को सेन्य सेवा से मुक्त करना होगा।
चार साल के सेवा काल का मतलब होगा कि उसके बाद अन्य नौकरियांँ उनकी पहुंँच से बाहर होंगी और चार साल की अवधि पूरा करने वाले सैेनिक पुन: सेवा के लिये पात्र नहीं होगे।
अग्निपथ योजना के तहत नियुक्त किये गए जवानों को उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपए से थोड़ा अधिक की एकमुश्त राशि दी जाएगी।
हालांकि उन्हें कोई पेंशन लाभ प्राप्त नहीं होगा, अत: ऐसी स्थिति में अधिकांश के लिये अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने हेतु दूसरी नौकरी की तलाश करना ज़रूरी होगा।
सेना अनुभवी सैनिकों को खो देगी।
थल सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल होने वाले जवानों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे चल रहे अभियानों में सहयोग कर सकें लेकिन ये पुरुष और महिलाएँ चार साल बाद सेवा से बाहर हो जाएंगे, जो एक शून्य कि स्थिति पैदा कर सकता है।
अग्निपथ योजना की वैधता
देश के लिये ऐसे कदम का महत्त्व:
यह “भविष्य के लिये तैयार” सैनिकों का निर्माण करेगा।
इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और चार साल की सेवा के दौरान प्राप्त कौशल और अनुभव के कारण ऐसे सैनिकों को विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार मिलेगा।
इससे अर्थव्यवस्था के लिये एक उच्च-कुशल कार्यबल की उपलब्धता भी होगी जो उत्पादकता लाभ और समग्र सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि में सहायक होगा। RELATED LINK