जलवायु परिवर्तन Sixth Assessment
सुर्खियों में क्यों
- जलवायु परिवर्तन Sixth Assessment हाल ही में, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (Sixth Assessment Report- AR6) की संश्लेषण रिपोर्ट प्रकाशित की गयी।
प्रमुख बिन्दु-
IPCC संश्लेषण रिपोर्ट
- IPCC द्वारा जलवायु परिवर्तन, इसके कारणों, संभावित प्रभावों और प्रतिक्रिया विकल्पों पर ज्ञान के बारे में व्यापक आकलन रिपोर्ट तैयार की जाती है।
- वर्ष 1988 में अपनी स्थापना के बाद से, IPCC ने अब तक छह मूल्यांकन रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं, जो दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे व्यापक वैज्ञानिक रिपोर्ट हैं।
- IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) की यह संश्लेषण रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के ज्ञान की स्थिति, इसके व्यापक प्रभावों और जोखिमों और जलवायु परिवर्तन के शमन और अनुकूलन को सारांशित करती है।
- यह तीन कार्यकारी समूहों और तीन विशेष रिपोर्टों के आधार पर छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) के मुख्य निष्कर्षों को एकीकृत करती है।
राजस्थान में गिरता भूजल स्तर // पानी की किल्लत // Water
जलवायु परिवर्तन Sixth Assessment
रिपोर्ट के निष्कर्ष क्या हैं?
- लगभग एक सदी तक जीवाश्म ईंधन को जलाने के साथ-साथ, ऊर्जा व भूमि के विषम और असतत प्रयोग के परिणामस्वरूप, तापमान में पहले ही, पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 1.1 डिग्री सैल्सियस की वृद्धि हो चुकी है।
- इसका परिणाम अत्यन्त चरम मौसम की जल्दी-जल्दी होने वाली और सघन घटनाओं के रूप में सामने आया है, जिन्होंने दुनिया के हर क्षेत्र में प्रकृति व लोगों पर लगातार बढ़ते रूप में ख़तरनाक प्रभाव छोड़े हैं।
- रिपोर्ट में पाया गया है कि जलवायु शमन नीतियों और कानून में प्रगति के बावजूद, 21वीं सदी के दौरान यह संभावना है कि तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगी।
- 5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के भीतर रखने के लिए , उत्सर्जन को 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक कम से कम 43% और 2035 तक कम से कम 60% कम करने की आवश्यकता है।
- समग्र कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर पिछले 50 वर्षों में इस वृद्धि को धीमा कर दिया है।
- रिपोर्ट में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और “सभी के लिए रहने योग्य टिकाऊ भविष्य” के लिए “मुख्यधारा प्रभावी और न्यायसंगत कार्रवाई” के माध्यम से मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC)
· विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा वर्ष 1988 में IPCC का गठन किया गया। इस पैनल में भारत सहित 195 सदस्य है। · इसका उद्देश्य सरकारों को वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना है जिसका उपयोग वे जलवायु नीतियों के विकास के लिये कर सकते हैं। · इसके द्वारा पहली आकलन रिपोर्ट वर्ष 1990 में जारी की गई थी। वर्ष 1995, 2001, 2007, 2015 और 2021 में इसकी 5 अन्य रिपोर्ट भी जारी की गई। · ये रिपोर्ट केवल यथासंभव वैज्ञानिक प्रमाणों के माध्यम से तथ्यात्मक स्थितियों को प्रस्तुत करती हैं, न कि देशों या सरकारों को कोई सुझाव देती हैं। इस प्रकार, ये रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया का आधार बनती है। · आकलन रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक राय होती है। · अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन वार्ताओं, जैसे- पेरिस समझौते और क्योटो प्रोटोकॉल के निर्माण में इन रिपोर्ट्स की मुख्य भूमिका रही है। · आई.पी.सी.सी. स्वयं वैज्ञानिक अनुसंधान में संलग्न नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर के वैज्ञानिकों से जलवायु परिवर्तन से संबंधित सभी प्रासंगिक वैज्ञानिक अध्ययन के तार्किक निष्कर्ष के लिये आग्रह करता है।
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जलवायु परिवर्तन Sixth Assessment
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