भारत का नया संसद भवन
भारत का नया संसद भवन हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया, जिसमें कई विशेषताओं के साथ उत्कृष्ट कलाकृति और एक औपचारिक राजदंड ‘सेंगोल‘ होगा।
नए संसद भवन की आवश्यकता क्यों है?
- पुराना: मौजूदा संसद भवन, जिसे वर्ष 1927 में बनाया गया था, लगभग एक सदी पुराना हेरिटेज ग्रेड-I भवन है, जिसमें दशकों से संसदीय गतिविधियों और उपयोगकर्ताओं में भारी वृद्धि देखी गई है।
- तात्कालिक संशोधन: तात्कालिक निर्माण और संशोधन समय के साथ किए गए हैं, और भवन “संकट और अति-उपयोग के संकेत दिखा रहा है। इसके अंतर्गत भवन के क्षेत्रफल, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है”।
- सांसदों के बैठने की जगह कम: समग्र रूप से द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए वर्तमान भवन को कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। वर्ष 2026 के बाद लोकसभा सीटों की संख्या मौजूदा 545 से काफी बढ़ने की संभावना है, जब सीटों की कुल संख्या पर से रोक हट जाएगी। तब बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल हो जाएगी, इसमें दूसरी पंक्ति के आगे कोई डेस्क नहीं है।
- संकटग्रस्त बुनियादी ढाँचा: पानी की आपूर्ति और सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन उपकरण, सीसीटीवी कैमरे आदि जैसी सेवाओं के अतिरिक्त, कई स्थानों पर पानी का रिसाव होता राहत है, जिससे इमारत के सौंदर्य पर असर पड़ा है। भवन में अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- अप्रचलित संचार संरचनाएं: मौजूदा संसद में संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन है, और सभी हॉलों की साउन्डिंग में सुधार की आवश्यकता है।
- सुरक्षा चिंताएं: वर्तमान संसद भवन तब बनाया गया था जब दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-द्वितीय में था; वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में यह सिस्मिक जोन- IV में है। यह संरचनात्मक सुरक्षा चिंताओं को प्रदर्शित करता है।
- कर्मचारियों के लिए अपर्याप्त कार्यक्षेत्र: वर्षों से आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप कार्यस्थलों की गुणवत्ता खराब रही। कई मामलों में, अधिक श्रमिकों को समायोजित करने के लिए उप-विभाजन बनाकर इन कार्यक्षेत्रों को और भी छोटा कर दिया गया।
नए संसद भवन की विशेषताएं क्या हैं?
- डिजाइन: इसमें लगभग 65,000 वर्ग मीटर का एक निर्मित क्षेत्र है, इसके त्रिकोणीय आकार के साथ ही इसके क्षेत्र का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करता है।
- क्षमता: नए भवन में 888 सीटों तक की क्षमता वाला एक बड़ा लोकसभा हॉल और 384 सीटों तक की क्षमता वाला एक बड़ा राज्यसभा हॉल होगा। संसद के संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा में 1,272 सीटें हो सकती हैं।
- थीम: लोकसभा हॉल भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर थीम पर आधारित है। राज्य सभा भारत के राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर आधारित है।
- कॉन्स्टिट्यूशनल हॉल: आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इमारत में अत्याधुनिक कॉन्स्टिट्यूशनल हॉल है, जो “प्रतीकात्मक और शारीरिक रूप से भारतीय नागरिकों को हमारे लोकतंत्र के केंद्र में रखता है”।
- सेंट्रल लाउंज: इसमें एक सेंट्रल लाउंज है, जो खुले प्रांगण का पूरक होगा, इसमें सदस्यों के लिए एक दूसरे के साथ बातचीत करने का स्थान होगा। आंगन में बरगद( राष्ट्रीय वृक्ष) होगा।
- दिव्यांग हितैषीः वेबसाइट के अनुसार, नई संसद दिव्यांगजनों के अनुकूल होगी और विकलांग लोग स्वतंत्र रूप से घूमने-फिरने में सक्षम होंगे।
- आधुनिक विशेषताएं: इमारत में अति-आधुनिक कार्यालय स्थान होंगे जो सुरक्षित, कुशल और नवीनतम संचार प्रौद्योगिकी से लैस होंगे। नए भवन में नवीनतम ऑडियो-विजुअल उपकरण के साथ बड़े समिति कक्ष होंगे और एक बेहतर पुस्तकालय अनुभव प्रदान करेंगे।
- प्लेटिनम-रेटेड ग्रीन बिल्डिंग: नया संसद भवन “प्लैटिनम-रेटेड ग्रीन बिल्डिंग” है और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना:
- नया संसद भवन भारत के सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है।
- सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना, नई दिल्ली में रायसीना हिल के पास स्थित भारत के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र, सेंट्रल विस्टा के पुनरुद्धार के लिए चल रहे पुनर्विकास को संदर्भित करता है।
- क्षेत्र मूल रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था।
- परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच 3 किमी लंबे कार्तव्य पथ का पुनरुद्धार करना है,
- सभी मंत्रालयों के लिए एक नया सामान्य केंद्रीय सचिवालय बनाकर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को सार्वजनिक रूप से सुलभ संग्रहालयों में परिवर्तित किया गया।
- भविष्य के विस्तार के लिए बैठने की क्षमता में वृद्धि के साथ वर्तमान संसद भवन के पास एक नए संसद भवन की स्थापना की गई है।
- नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पास उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए नए आवास और कार्यालय की स्थापना करना और कुछ पुराने ढांचों को संग्रहालयों में बदलाव किया गया।
भारत का नया संसद भवन
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